दीवाली शाम तक तो बहुत ही हैपी रही. सुबह से ही मौज मस्ती हो रही थी , हाथी की देखा, उसकी सवारी भी की , दोस्तों ( तनु और नमन) के साथ खूब खेला . उसके बाद पापा मम्मी के साथ घुमु घुमु करने बाजार गया . शाम को मम्मी ने मुझे सिल्क का कुर्ता और धोती पहनाई और कुल मिला जुलाकर बहुत ही अच्छा दिन रहा . पर जब रात हुई और कानफाडू पटाखे बजने शुरू हुए , मुझे बहुत डर लगाने लगा, तेज पटाखों की आवाज से मै खूब तेज रोने लगा और मम्मी और पापा के गोंड में समा गया. जब शाम को मम्मी ने पूजा शुरू की , तब और पटाखे बजने लगे , और मेरा बुरा हाल हो गया . मै पटाखों से बहुत डरता हूँ और मेरी सलाह है की औरो को भी पटाखों से दूर रहना चाहिए. तो आख़िरी में दिन भर की सुखद यादों के साथ शाम/ रात अनहैपी हो गयी , खैर आपको
हैपी दीवाली
5 comments:
kyaa bat hai madhav , bahut achchhaa
achhi chetawani.
achhi salah.
आपका हार्दिक स्वागत है.
मेरी शुभकामनाएं.
इतनी कम उम्र से सबको शिक्षा देने लगे .. वाह !!
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