Friday, November 27, 2009

व्यापार मेला २००९ , प्रगती मैदान , दिल्ली , भाग -1

२५ नवम्बर २००९ को व्यापार मेला देखने मै मम्मी , पापा और मामा के साथ प्रगति मैदान पहुचा. बहुत बड़ा मैदान था , कई हाल थे, खाने की दुकाने थी , साथ में एक झील भी थी. मेले में बहुत भीड़ थी, अपने स्वाभाव के चलते पहले तो मै थोड़ा डरा डरा सा रहा , फिर बाद में नोर्मल हो गया . पहले हम झारखंड पवेलियन में गए , झारखण्ड के बारे में समझा , उसके सामने उतर प्रदेश का पवेलियन थी , हम वहा भी गए , उतर प्रदेश पवेलियन में बहुत भीड़ थी .सो मजा नहीं आया . अब तक हम सभी थक गए तो मानसरोवर झील के पास बैठ गए . थोड़ी देर बाद मम्मी चोवमीन और लिम्का खरीद कर लाई . उसे देखकर मै उस पर टूट पडा और खुद से ही निकाल कर खाने की कोशीश करने लगा , पापा यह देखकर हैरान रह गए . मम्मी ने तब बोतल का दूध मेरी तरफ बढाया पर मै तो चोवमीन और लिम्का का दीवाना था , तो दूध कहा से पीता, तो दूध को छोड़ दिया और चोवमीन और लिम्का को ही प्राथमिकता दी .
आगे की कहानी कल बताउंगा , तब तक आप ये फोटू देखे












Thursday, November 26, 2009

आखिर क्यों

आज से करीब एक साल पहले हिन्दुस्तान के पश्चिमी तट पर बसे एक होटल से आग के गुब्बार और धुए उड़ते देखे गए थे . उन्ही गुब्बार से इस मासूम को ऐसा दर्द मिला जिसने इसको रोने के लिए छोड़ दिया. एक ऐसी आंधी आयी जो इस मासूम को रोने और बिलखने की लिए छोड़ गयी . 26/11/2009 की त्रासदी में इस बेजुबान से उसके माँ बाप को छीन लिया और बना दिया अनाथ , किसी दुसरे की दया का पात्र बनने के लिए . ये तस्वीर १ दिसंबर 2008 की ली हुई है . ये दो वर्षीय मोसे होत्ज्बर्ग की, जिसके रब्बी पिता और माँ नरीमन हाउस में मारे गए , बिना किसी गलती के यु ही.

हादसे के चार दिन बाद सोमवार को मुंबई के एक सिनेगाग में मेमोरिअल सर्विस के दौरान इस यतीम के विलाप से खामोशी टूट गए और कई लोगों की आखे नम हो गई.

मेरा क्या कसूर

Tuesday, November 24, 2009

ज़रा सोचिये

गणेशा : माई फ्रेंड

मेरे पास गणेश जी है , भगवान् नहीं बल्कि एक दोस्त के रूप में . वर्षा दीदी ने मुझे मेरे पहले जन्म दिन पर मुझे उपहार स्वरूप गणेश जी गिफ्ट किया था . घर में एक कील पर टंगे रहते है मेरे गणेश , बगल में ही एक बन्दर भी हाथ ऊपर कर लटका होता है . कभी कभी उतरते है तो मै उनके साथ खेल लेता हूँ. सूड़ पकड़कर उन्हें उठाता हूँ . उनके नाक को पकड़ता हूँ , गणेश जी भी मेरे साथ खूब खेलते है . एक दिन खेल खेल में मैंने उनकी धोती भी खोल दी . गणेश जी मुझे बहुत पसंद है. मेरे दोस्त नमन के आखों में गणेश जी बहुत खटकते है और वो उन्हें अपने घर में ले जाने की सोचता है. पर ये गणेशजी तो मेरे है और मेरे घर में ही रहेंगें .







Friday, November 20, 2009

युनिवर्सल चिल्ड्रेन्स डे

आज युनिवर्सल चिल्ड्रेन्स डे है मै एक बच्चा हूँ और आपसे अपील करता हूँ की किसी भी तरीके का बाल श्रम ना होने दे .








पापा की शरारत


मेरे पापा मुझ पर ही शरारत करते है , खेल रहा होता हूँ तो पकड़ कर जबरदस्ती प्यार करना शुरू कर देते है ,नींद में सो रहा होता हूँ तो पुची(kiss) करने लगते है, मुझे पकड़ कर जोर से हवा में उछालते है . उनकी दाढी मुझे बहुत चुभती है पर पापा मानते ही नहीं . दरअसल पापा मुझे अपने पास रखना चाहते है , अपनी गोद में , अपने दिल से लगाकर , पर मै कहा ये करने वाला हूँ . मै तो बस अपनी मस्ती में मस्त रहता हूँ और हमेशा आजाद रहना चाहता हूँ . बंदिशे मुझे पसंद नहीं . मै उड़ना चाहता हूँ , क्षितिज के उस पार . अभी कुछ दिन पहले मै सोया हुआ था तो पापा ने मुझे परेशान करने के लिए मेरे ऊपर बहुत सारी कुशन रख दी. भला हो मम्मी का जो सही वक्त पर पहुच गयी और पापा को मुझे नींद से जगाने नहीं दिया . पापा की शरारतें मुझ पर जारी है आगे कुछ और बातें बताउंगा तब तक आप ये कुछ तसवीरें देखे ,



सोये बच्चें को परेशान कर रहे है पापा
सोये बच्चें को परेशान कर रहे है पापा



Wednesday, November 18, 2009

बिन पहिये की ट्रेन

क्या बिन पहिये की गाडी हो सकती है ? मेरे पास है , मामा मेरे लिए शिमला से टॉय ट्रेन खरीद कर ले थे .मैंने खेल खेल में उस ट्रेन के एक एक करके चारों पहिये तोड़ डाले और ट्रेन बन गयी ,बिन पहिये की ट्रेन.




पापा की घड़ी

कल खेलते खेलते पापा की घड़ी पर नजर गयी . पहन कर देखा कैसी लगती है , कुछ देर तक पहना , कलाई न नहीं आयी तो बाह ने पहन ली . कुछ देर पहना , फिर फेक दिया . अभी समय से बंधने का समय नहीं है भाई !



Monday, November 16, 2009

हकीकत नगर की कचोरिया और गुलाब जामुन

कल सुबह नींद खुली तो मम्मी पापा दोनों नहीं थे .मम्मी का एक्साम था और पापा मम्मी को लेकर एक्साम सेंटर पर छोड़ने गए थे , सुबह ही मामा शिमला से आ गए थे तो मामा घर पर थे . थोड़ी देर बाद पापा मम्मी को एक्साम सेंटर पर छोड़कर घर आ गए . मैंने अपने दिनचर्या रोज के काम से शुरू की पर मम्मी के ना होने से कुछ खाली खाली सा लग रहा था . पापा और मामा नास्ते के लिए हकीकत नगर की कचौरी खाने मुझे साथ लेकर गए . हकीकत नगर के गली नंबर ०७ में ये दूकान स्थित है जहां दाल भरी हुई खस्ता कचौरियां , ब्रेड पकौड़े , आलू पकौड़े और गरमा गर्म गुलाब जामुन मिलता है . पापा और मामा ने दो दो कचौरियां ली , मैंने दोनों में से शेयर किया . फिर पापा ने एक ब्रेड पकौडा लिया . आखिर में दोनों ने दो दो गुलाब जामुन लिया , जो मुझे सबसे अच्छा लगा . मैंने गुलाब जामुन खूब चाव से खाया . उसके बाद हम घर को आ गए . अब मै मम्मी को खोजने लगा था , और मै रोने लगा , पापा समझे की भूख से रो रहा है सो उन्होंने मेरे बोतल में मुझे दूध दिया , दूध गर्म था सो मैंने नहीं पी फिर मामा ने वो दूध को ठंडा कर के मुझे दिया , मैंने थोड़ा सा दूध पीया और फिर रोने लगा . अब पापा मुझे बहलाने के लिए बाहर ले गए , मम्मी से जुदाई का गम मुझे बर्दास्त नहीं हो रहा था और रह रह कर मम्मी की याद मुझे रुला रही थी . तकरीबन दो दोपहर को मम्मी आई और आते ही मै मम्मी की गोद में समा गया .
गली नंबर -07 हकीकत नगर , किंग्सवे कैंप दिल्ली-7

mouthwatering






कचौरियों का स्वाद भी लाजवाब था


गरमा गरम गुलाब जामुन मुझे बहुत अच्छे लगे


गली नंबर -07 हकीकत नगर , किंग्सवे कैंप दिल्ली-7

Sunday, November 15, 2009

बाल दिवस

कल बाल दिवस था , हमारा दिन . शनिवार होने के चलते कल पापा घर पर ही थे . मैंने अपना दिन रोजमर्रे की दिनचर्या के साथ शुरू किया . फिर तनु और नमन आये, उनके साथ मैंने खूब धमा चौकडी मचाई उनके साथ खूब खेला , ग्यारह बजते-बजते वो चले गए पर मेरा दिल है की मानता नहीं . मेरा मन घर से उब गया और मैंने पापा से बाहर जाने की जिद शुरू की , मांग पुरी होते ना देखते मैंने रोना शुरू कर दिया , आखिर में पापा मुझे लेकर सामने वाले पार्क में गए . मै वहा एक घंटे खेला जब पापा वापस लाये तो फिर रोना शुरू किया . पापा फिर मुझे लेकर पार्क में गए फिर मैंने वहां आधे घंटे विताये और तब पापा मुझे लेकर आये . घर आने पर मै फिर भी शांत नहीं बैठा और मेरी शैतानियाँ जारी रही. आखिर में दिन भर पापा मम्मी के नाक में दम करने बाद मै शाम को चार बजे जाकर सोया. नींद आठ बजे रात में खुली , मम्मी ने पापा से कहा इसे किसी की नजर लग गयी है इसे लेकर मंदिर में चलते है झाडा लगवाने . फिर मम्मी , पापा मुझे लेकर पास के मंदिर में गए , वहा पुजारीजी ने मुझपर मंत्र का जाप किया . फिर हम घर को वापस आ गए . देखते है पुजारी जी के मंत्र का सर मुझ पर होता है या नहीं ?




घर का ये हाल मैंने किया है


पार्क में भी मैंने पापा को तंग किया

Friday, November 13, 2009

वाक इवेन यु नॉट टाक ( walk even u not talk)

आईडिया के जमाने में ये मेरा आईडिया है . उनका आईडिया है walk when u talk . क्यों क्या बिना talk के walk नहीं हो सकती है क्या ? मै कहता हूँ रोज walk करो टॉक तो २४ घटे करते है walk के लिए दिन में थोड़ी वक्त निकाल लो . तो मैंने तो ये शुरू कर दिया है जब जी करता है , मम्मी, पापा , मामा जो मिल जाए , उसको लेकर निकल पड़ता हू walk के लिए और अपने घर के सामने वाले पार्क में पहुच कर walk शुरू कर देता हूँ . ये ही है मेरी तंदुरस्ती का राज .
















Monday, November 9, 2009

बुखार

कल शाम से ही मिजाज कुछ ठीक नहीं है . कल शाम को तीन बजे मम्मी ने सुला दिया था नींद रात को आठ बजे खुली और तभी से बुखार है. मम्मी ने पिछली बार की छुटी हुई दवा कालपोल (colpol) एक चम्मच पिलाया. मेरा शरीर जब ज्यादा गरम हुआ तो पापा चिंतीत हो गए , मम्मी को बोलकर मेरा स्वेटर , थर्मल और मोजा अलमारी से निकलवा कर मुझे पहना दिया . दवा के असर और स्वेटर की गर्मी से मेरा बुखार एक घंटे में उतर गया . फिर पापा ने मम्मी को बताया की मौसम बदल रहा है , माधव का कुछ ख़ास ध्यान रखना पडेगा , ये बात मम्मी को बुरी लगी की "कोई उनको मेरा ख्याल रखने को कहे " , मम्मी पापा पर गुस्सा हो गयी पर कुछ कहा नहीं . आज सुबह फिर मुझे बुखार हो गया , पापा ऑफिस जाने से पहले मामा को साथ लेकर मुझे डॉक्टर के पास ले गए , डॉक्टर आंटी ने दो दवाइया लिखी दवाइयाँ है - पारासीटामोल सीरप ( Paracetamol syrup I.P) और Promethazine Elixir Syrup. रास्ते में ही पापा को रंजन अंकल का फोन आया , उन्होंने खुसखबरी सुनाई की उनको बेटी हुए हुई थी . पापा ने उनको पुत्री होने पर वधाई दी .

सुबह से ही वो दवाइयाँ पी रहा हूँ और तब से ही बुखार नहीं है , शाम को जब पापा घर आये तो मै पापा से फिर बाहर घुमने की जिद की और हारकर पापा मुझे घुमाने ले गए .










दवाइयाँ

Sunday, November 8, 2009

8 नवम्बर 2009 : पोलियो रविवार

आज फिर पोलियो रविवार , सुबह से ही नमन के साथ खूब खेला और खूब आवारागर्दी की. फिर मम्मी ने नहला धुला दिया और मै निकल पडा , पापा के साथ पोलियो की दवा पीने. हर बार मै दवा पीने में पापा और पोलियो दवा पिलाने वाले अंकल को काफी तंग करता था , पर अबकी बार मैंने पोलियो ड्राप देखते ही अपना मुह खोल दिया और तुंरत दवा पी ली .








Friday, November 6, 2009

पापा का जूता


कल पापा ऑफिस जाने से पहले जूता पहन रहे थे, पापा को रोज ऑफिस जाते देखता हूँ , तभी मेरे कान खड़े हो जाते है , पापा के साथ बाहर जाने के लिए मै भी जिद करता हूँ , मेरे लगातार और निरंतर जिद के आगे अब पापा ने आत्मसमर्पण कर दिया है और अब रोज वो मुझे लेकर ही नीचे जाते है . अब रोज पापा के साथ नीचे तक जाता हूँ पापा को छोड़ने के लिए, उसी थोड़े से वक्त में मेरा दिल लग जाता और उसी दौरान मुझे थोडा खेलने को मिल जाता है. खैर अब बात पापा के जूते की बात करता हूँ , तो पापा ऑफिस जाने से पहले रोज जूता पहनते है , कल मैंने सोचा क्यों ना जूता मै भी ट्राई करू और यही सोचकर मैंने अपने दोनों पैर जूते में डाल लिए और चलने लगा , मुझे ऐसा करते देख पापा समेत सभी हंसने लगे, मैंने सोचा जरुर कुछ अच्छा हुआ है और मेरे चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी.









 
Copyright © माधव. All rights reserved.
Blogger template created by Templates Block Designed by Santhosh
Distribution by New Blogger Templates