शनिवार को पापा और मामा ने छोले भठूरे खाने का प्लान बनाया और सुबह ही घर से निकलने लगे, उनको कपडे पहनता देख मेरे भी कान खड़े हो गए और , मैंने भी उनके पीछे जाने की जिद पकड़ ली. पापा ने ले जाने से साफ़ मना कर दिया . उनके नकारात्मक रुख को देखकर मैंने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया और खूब तेज तेज रोना शुरू किया , मेरे आसुओं ने आखिर में रंग लाया और पापा मुझे ले जाने के लिए राजी हो गए , पर मै तब तक रोता रहा जब तक तैयार होकर नीचे सड़क तक नहीं आ गया . मामा ने कहा ," करो या मरो " के नारे पर आ गया है .
बहरहाल रोने का फायदा हुआ और मुझे घुमने का मौका मिला .सीता राम दीवान चन्द , की छोले भठूरे की दूकान पहाड़गंज के चुना मंडी में है , और पापा की मनपसंद दूकान है . पापा अक्सर घर में उस दूकान की बात करते है , पनीर वाले भठूरे और छोले . दूकान पर पहुचने पर देखा बहुत भीड़ थी. पापा और मामा तो भटूरों का आनन्द लेने लगे और मै इधर उधर घुमने लगा , पास आने पर पापा एक चना मेरे मुह में डाल देते .दोनों भटूरों में इतना खो गए की मेरा ध्यान ही नहीं रहा , खैर मैंने भी खाते समय दोनों को परेशान नहीं किया . खाते खाते पापा और मामा मिलकर तीन प्लेट भठूरे खा गए और एक प्लेट घर ( मम्मी ) के लिए पैक करा लिया . वहां से हम बिरला मंदिर गए . वहा से मंदिर मार्ग पर एक किओस्क में मामा और पापा ने चाय पी , वही पर मैंने सु सु किया .आखिर में यात्रा पुरी हुई .

सीता राम दीवान चन्द , छोले भठूरे की दूकान पहाड़गंज, चुना मंडी

पनीर वाले भठूरे और छोले






3 comments:
सु सु कर दिया !!!!
ये तो गलत बात है भई !!
great food taste. i have those Chhole bhature at SRDC shop, mouthwatering stuff.
लालच आ रही है... :)
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