Friday, April 27, 2012

बैट्समैन मतलब सचिन

कल मै आई पी एल का मैच टी वी पर देख रहा था . माधव भी मेरे साथ ही बैठा था . सवाल दागा - पापा , जो बालिंग करता है उसे क्या बोलते है ?  , मैंने उत्तर दिया - बालर.

कुछ देर के बाद मैंने सोचा बैटिंग करने वाले को क्या बोलते है,  ये तो माधव ने पूछा ही नहीं .  फिर मैंने माधव से ही सवाल किया , बेटा जो  बैटिंग कर रहा है उसे क्या बोलते है . ? माधव का जबाब था - सचिन !

वैसे  माधव को अभी क्रिकेट की समझ नहीं है . जब भी  कभी ,आई पी एल की टाइमिंग से छोटा भीम  की टक्कर होती है . पिता -पुत्र में  भी टक्कर  होती है जिसका नतीजा कुछ ऐसा  होता है ..




Thursday, April 26, 2012

लीलू मैम और शिवाली मैम

माधव को नए स्कुल जाते आधा महीना हो चुका है . पर नए स्कुल में किसी से दोस्ती नहीं हुई है ना ही किसी सहपाठी का नाम याद हुआ है . हाँ नयी मैम का नाम याद हो चुका है . लीलू मैम और शिवाली मैम . माधव के अनुसार  लीलू मैम अच्छी है , प्यार करती है पर शिवाली मैम प्यार नहीं करती बल्कि गुस्सा करती है . 


हर छात्र अपने शिक्षक का सबसे बड़ा मूल्यांकन करता है . अपने छात्र का दिल जीतना अध्यापक का पहला काम होना चाहिए . मुझे लगता है  लीलू मैम ने ये काम कर लिया है . 


खैर मै कोई शिक्षा विद नहीं  हूँ , और उपरोक्त टिप्पड़ी  मेरा अपना पर्सनल व्यू है .


माधव के लिए एक स्टडी टेबल लिया है . रानी झांसी रोड , विडियो कान टावर के पीछे दिल्ली का सबसे बड़ा सायकिल मार्केट है  . वही से माधव के लिए स्टडी टेबल खरीदा है . अब होम वर्क इसी पर बैठ कर होता है .

















Monday, April 23, 2012

माधव की साइक्लिंग

माधव आज कल साइकिल खूब चला रहे है . स्कुल से आते ही आधा घंटा साइक्लिंग होती है , फिर लंच होता है  फिर छोटा भीम देखते है , उसके बाद जनाब थोड़ी झपकी लेते है . शाम को नींद खुलने के बाद फिर साइक्लिग़ होती है . माधव की साइक्लिग़ से मेरा काम बढ़ गया है . सायकिल में रोज कुछ ना कुछ खराबी आती है जिसे ठीक कराना मेरा मौलिक कर्तव्य बन जाता है . हर दो दिन के बाद टायरो में हवा भी भरवाना  पड़ता है . 


खैर साइक्लिंग करते समय जनाब बहुत खुश होते है और उन्हें खुश देखकर मै भी .........




































Thursday, April 19, 2012

मम्मी मै बड़ा कब होऊँगा ?

माधव अब धीरे -धीरे नए स्कुल में अडजस्ट करने लगा है . नए स्कुल का पहला दिन बहुत मुश्किल भरा था . स्कुल वैन को देखते ही रोने चिल्लाने  लगा , किसी तरह वैन पर बैठाया पर रोता ही रहा . अपने बच्चे को रोता बिलखता देखना बहुत कष्टकारी होता है पर दिल को मजबूत करना ही पड़ता है . खैर नए स्कुल ने जाते दस दिन हो गए है और जनाब अब एडजस्ट हो रहे है .

कल स्कुल से घर आये तो मम्मी से पूछा कि मै बड़ा कब होऊँगा ? पूछने पर  बड़ा होने के लिए तीन कारण बताया 
१. मै डोर बेल खुद से बजाऊँगा 
२. जैसे पापा कार चलाते है मै भी चलाउंगा 
३. पापा के जैसे बाइक भी चलाउंगा 



       तेरी ऊँची शान है मौला , मुझको  भी तो लिफ्ट करा दे







Wednesday, April 11, 2012

नया स्कुल

माधव के नए स्कुल (मोंट फोर्ट) का सत्र 9th अप्रैल से होना था . इसके पहले दो दिन अभिभावकों का Orientation हुआ . माधव को तीन अप्रैल से वायरल बुखार हो गया . बुखार बहुत तेज होता था और आठ अप्रैल तक रहा. 9th अप्रैल को स्कुल का पहला दिन था . बुखार के बाद ,माधव बहुत कमजोर हो गया था इसलिए मैंने माधव के क्लास टीचर से मिलकर तीन दिन की छुट्टी ले ली . आज माधव बुखार की कमजोरी से उबरकर स्वस्थ हो चुका है और कल से स्कुल जाना शुरू होगा .


9th April 2012 मोंट फोर्ट स्कुल का पहला दिन और स्कुल ड्रेस में पहली तस्वीर


 
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