Thursday, October 15, 2009

ढोलक और तबला

दिवाली के पहले घर की सफाई चल रही है , गर्मी बीत गई है , सो मयूर जग को अन्दर रखने का समय आ गया है, मम्मी ने मयूर जग अलग रख दिया था. मै भटकते हुए वहां पहुच गया , कुछ अच्छा सा आइडिया दिमाग में आया , मयूर जग को ढोलक बना लिया और बजाने लगा , कुछ देर बजाया , फिर लगा की कुछ और परिवर्तन किया जा सकता है , अबकी बार तबला बना लिया और बजाना शुरू किया .पापा कहने लगे बड़ा होकर "तबलची "बनेगा .

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