Thursday, January 21, 2010

मेरा दुसरा जन्मदिन

पिछले १६ जनवरी 2010 को मेरा दुसरा जन्मदिन था . जन्मदिन पर पापा मेरे पास नहीं है वो दिल्ली में है और मेरे जन्मदिन पर मुझसे मिलने नहीं आये , बताया की छुट्टी नहीं मिली . उन्होंने सुबह में मम्मी को फोन किया और मेरा हाल चाल लिया और मुझे HAPPT BIRTH DAY कहा . खैर जन्म दिन के दिन बड़े पापा और बड़ी मम्मी नवानगर ( नवोदय विद्यालय ) से मुझसे मिलने आये . बड़ी मम्मी ने मुझे कपडे खरीदे और वही कपडे मैंने पहने . कपडे में मै हीरो लग रहा था . दादी ने मेरे जन्म दिन पर सत्यनारायण भगवान् की कथा का आयोजन कराया ( दादी केक काटने और मोमबती बुझाने की प्रबल विरोधी है ). कथा सुनने के लिए दादी मुझे गोद में लेकर बैठी पर मै कहाँ बैठने वाला था , मै दादी के गोद से भाग चला . पुरी कथा दादी ने सूनी . इधर एक अच्छी आदत दादा दादी में मुझे सिखाई है , मै सबके पैर छूकर प्रणाम करता हूँ . तो जन्म दिन के दिन बहुत सारे लोग मेरे घर आये और मैंने भेड़ चाल में सबका पैर छूकर प्रणाम किया , सारे लोग गदगद हो गए आखिर दो साल के बच्चे में ये संस्कार कैसे आ गए ? सबसे ज्यादा प्रभावित हुए कथा वाचक पंडितजी . कथा होने के बाद कुछ चुने हुवे लोगों ने खाना भी खाया . दिन भर की तमाम हलचलों के बाद मै थक गया और शाम को चार बजे मै माता के आँचल में जाकर सो गया . रात को दिल्ली से पापा का फोन आया और उन्होंने मेरे बारे में पूछा पर मै तो सो चुका था , पापा ने मुझे बहुत मिस किया .

Wednesday, January 13, 2010

मै आदमी बनकर जीना चाहता हूँ


मै आदमी बनकर जीना चाहता हूँ
न की क्रम संख्याँ
और जो कुछ भी चाहता हूँ
कल नहीं
आज पाना चाहता हूँ !

Tuesday, January 12, 2010

यादें याद आती है


पापा हमसे दूर दिल्ली चले गए है, और मै अपना तो नहीं कह सकता पर उनका दिल मेरे बिना लग नहीं रहा है .
पापा ! हम जल्द ही मिलेंगें .

Monday, January 11, 2010

क्रिकेट


एक दिन छत पर पापा , विकी चाचा और कुछ और लोग क्रिकेट खेल रहे थे . मै भी पहुच गया , खेलने के लिए , व्यस्त खिलाड़ियों ने मुझ पर ध्यान नहीं दिया और मुझे किसी टीम में जगह नहीं मिली . मै बारहवे खिलाड़ी की तरह हो गया , पर मुझे ये कहाँ बर्दास्त था मै तेंदुलकर हूँ न की दिनेश कार्तिक . सो मैंने विद्रोह कर दिया और बीच पीच पे आकर धरना दे दिया . लोगो ने हटाने की कोशीश की पर मै नहीं हटा , खुटा गाड़ कर खडा हो गया पीच पर , जब जबरदस्ती की गई तो रोने लगा , और जबरदस्ती करने पर आवाज और तेज़ हो गई . मेरे असहयोग आन्दोलन का फल ये हुआ की मैच के बीच ब्याव्धान पड़ने के कारण खेल स्थगित करना पडा .






असहयोग आन्दोलन


आख़िरी रास्ता : मांगे मनवाने का

क्या आईडिया है सरजी


आईडिया की दुनिया , नए नए आईडिया . पर ये आईडिया वाकई काम का है , कोपेनहेगेन सम्मलेन में शायद सभी देशो को इसी बारे में कोई सहमती बनानी चाहिए थी. नो पेपर , नो ट्री कट्टिंग. कह सकते है की आईडिया थोड़ा झक्की टाइप का है पर शुरुआत तो कही से करनी ही होगी , टोलेमी ने भी जब पहली बार वर्ल्ड का मैप बनाया था तो बहुत सी गलतिया थी .
और उड़नतश्तरी सर आप क्या कहते है इस बारे में ?




Saturday, January 9, 2010

कोमल जीवन


दादी जी ने मेरा इन्सुरैंस करा दिया है . भारतीया जीवन बीमा निगम का कोमल जीवन प्लान लिया है दादी जी ने मेरे उज्जवल भविष्य के लिए . सालाना प्रीमियम है पंद्रह हजार रूपये . प्लान के मुताबिक़ जब मै अठारह साल का होउंगा तब मेरे उच्च शिक्षा के लिए मुझे पैसे की कोई कमी नहीं होगी .
दादी ने मुझे बना दिया है , जियो निडर ,रहो बेफिक्र .


मै दादी से कहता हूँ "जीते रहो "



Thursday, January 7, 2010

रिक्शे की सवारी


एक दिन दादी के साथ रिक्शे की सवारी की , बहुत मजा आया . दादी के बारे में एक खासियत यह है की वो रिक्शे वाले को तय किराए से जयादा किराया देती है. इसका लाभ यह है की मेरी दादी को देखते ही रिक्शा वाले दादी को बैठाने के लिए दौड़े चले आते है . दादी का व्यवहार रिक्शे वाले के प्रति बहुत ही अच्छा होता है . वो रिक्शे वाले से यात्रा के दौरान उसके घर द्वार के बारे में पूछती है और सब कुछ ठीक हो जाने की दिलासा देती है ( all is well के स्टाइल में ) . दादी अक्सर कहती है रिक्शे वाले से लोगो का व्यवहार अच्छा नहीं हो ता है जबकि वो इसके हकदार है .दादी के साथ रिक्शे का पहला सफ़र बहुत अच्छा रहा , बाहर घुमने का मौका जो मिला .










Wednesday, January 6, 2010

मेरी दादी

दादी का प्यार अनमोल है , माँ से भी ज्यादा प्यार करती है मुझे . आरा जाने के बाद उन्होंने मेरे लिए तिलकुट , लाइ , मेथी बनाई . मै रोज सुबह उठते ही लाई खाता हूँ , मुझे लाई खाता देख दादी को दिल से खुशी मिलती है . मेरी दादी टीचर है , समय कम है पर फिर भी अपनी ब्यस्त दिनचर्या से मेरे लिए काफी समय निकाल लेती है , मै चाहता हूँ दादी हमेशा मेरे पास रहे और मुझे प्यार करती रहे . मै दादी का प्यार पाकर बहुत खुश हूँ , और अपनी खुशी में ही ये पोस्ट लिख रहा हूँ . मै दादी के कमरे में जाकर उनके सामान को बिखरा देता हूँ और दादी ये देख कर खुश होती है . एक दिन मैंने उनके बक्से पर खूब जोर अजमाईस की और खोलने की कोशीश की . दादी बहुत ही पूजा पाठ करती है उन्होंने अपने लिए एक पूजा रूम बनवा रखा है , मै उस रूम में जाकर धमा चौकड़ी मचाता हूँ , खेल खेल में पूजा के सामान का नुक्सान भी हो जाता है . दादी के बारे में एक पोस्ट में बताना मुस्किल है आगे की पोस्ट में भी दादी के बारे में और बताउंगा .

Tuesday, January 5, 2010

पैम्पर्स

आज कल बहुत ठण्ड पड़ रही है जैसा की मै दादा दादी से सुन रहा है . दादा दादी मुझे स्वेटर से लाद दे रहे है . थर्मल, , स्वेट शर्ट ,स्वेटर, जैकेट , मंकी कैप, दास्ताने , मोज़े , जूते पहना दिए जा रहे है मुझे . मै ये सब पहन कर कभी कभी एलियन लगने लगता हूँ . अभी मेरा डाइपर ख़तम हो गया था , ठण्ड में इसकी बहुत जरुरत है सो पहुच गया डाइपर लेने के लिए और पैम्पर सबसे बड़ा पैकेट लिया .







Monday, January 4, 2010

वर्षा दीदी और ऋतू दीदी


आरा में सबसे पहले मेरी दोस्ती वर्षा दीदी से हुई . वो मुझे खूब खिलाती है, प्यार करती है , बाहर घुमाने ले जाती है और अपने साथ रखती है . वर्षा दीदी पांचवे क्लास में पढ़ती है. उनको पढ़ाई में मै डिस्टर्ब भी करता हूँ . मै उनके साथ खूब खुश रहता हूँ . वैसे मै सबको मम्मी बोलता हूँ सो वर्षा दीदी को भी मम्मी कह कर पुकारता हूँ , मम्मी सुनकर वर्षा दीदी फुले नहीं समाती है . ऋतू दीदी भी मुझे बहुत प्यार करती है और मुझे माधवजी कह कर बोलती है . मुझे गोद में लेने के लिए दोनों में कम्पीटीशन होता है .

ये रही उनके साथ मेरे कुछ ख़ास पलछीन











Saturday, January 2, 2010

रोलर कोस्टर ड्राइव ऑन गेहूं

दिल्ली में हम आटा खरीद कर खाते है , पर यहाँ आरा में आटा खरीदना शिकायत की बात है, यहाँ तो गेहूं को बीन कर , धोकर , सुखाकर , चक्की में पीसाकर आटा बनता है . तो एक दिन छत पर गेहूं धोकर पसारा हुआ था , मै भी छत पर ही खेल रहा था , खेलते खेलते ही मै पसारे हुए गेहूं पर जा पहुचा , और गेहूं पर फिसलने का खेल खेलने लगा , उस समय छत पर निधी बुआ थी , उन्होंने मुझे रोकने के बजाय मेरी यह करामात दादीजी को बताई , दादी जी ने मेरी इस शरारत / बदमाशी को रोकने के लिए मना कर दिया और कहा मेरे पोते को छोड़ दिया जाय , हर शरारत करने के लिए . दादीजी और सभी मिलकर मेरी यह शरारत देखने लगे , कोई मुझे रोक नहीं रहा था सब मेरा गेहूं पर फिसलना देख रहे थे और मै इन सबसे अनजान अपनी ही धुन में गेहूं पर फिसलता रहा .



रोलर कोस्टर ड्राइव

रोलर कोस्टर ड्राइव


रही सही कसर झाड़ू से पूरी कर दी

मिशन कम्प्लीट

Friday, January 1, 2010

साइकिल का परीक्षण

यहाँ आरा में मेरे घर में दो साइकिल है . एक विकी चाचा की और एक वर्षा दीदी की . मुझे जब पहली बार जब साइकिल से सामना हुआ तो नई चीज होने के नाते मैंने उसका परीक्षण करना शुरू कर दिया .साइकिल के पैडल को घुमाना शुरू किया , मधुर आवाज निकली , उत्साह बढ़ा और प्रयोग बढ़ते गए, और प्रयोग में ही साइकिल मेरे ऊपर आ गिरी , पापा पास ही थे सो बचा लिया गया . दुर्घटना होने के बाद भी साइकिल के प्रति मेरा लगाव बना रहा , जब भी साइकिल दिखता है परीक्षण शुरू हो जाता है .








 
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