Thursday, January 31, 2013

स्कुल वैन की स्ट्राइक

दिल्ली पुलिस आज कल स्कुल वैन के खिलाफ बहुत सख्ती कर रही है . कायदे कानून से ना चलने वाले बहुत सारे स्कुल कैब को जब्त कर दिया गया है . बिना परमिट वाले कैब का रजिस्ट्रेसन ही कैंसिल किया जा रहा है . इसके विरोध मे स्कुल कैब एसोसिएसन ने पिछले तीन दिन से हड़ताल पर है . इस हड़ताल का असर हम पर हुआ है . माधव का स्कुल वैन पिछले तीन दिन से नहीं आ रहा है . सुबह मै माधव को स्कुल छोडता हूँ , दोपहर मे श्रीमती , स्कुल  जाकर माधव को लाती है .   

Sunday, January 27, 2013

माईटी राजू और कमांडोज "Mighty Raju & Commandos"

बहुत दिनों से POGO चैनल पर माईटी राजू(Mighty Raju) की कोई नयी मूवी  नहीं आयी थी . पर   आज  27 जनवरी को माईटी राजू  (Mighty Raju) की नयी मूवी आ रही है - "Mighty Raju & Commandos". इस फिल्म का प्रोमो पिछले दस दिनों से  टी वी पर आ रहा है और प्रोमो देखकर माधव की खुशी का ठिकाना नहीं है ! "Mighty Raju & Commandos" का प्रोमो आते ही माधव , मुझे खींचकर टीवी के पास ले जाता है  और  दिखाता है . 


माईटी राजू(Mighty Raju) सीरीज की  सारी फिल्मे मैंने और माधव ने देखी है .  "Mighty Raju & Commandos" का बेसब्री से इन्तेजार है .







Complete Schedule for Mighty Raju and The Commandos

Sun, Jan 27 3:00PM
Sun, Jan 27 6:00PM
Mon, Jan 28 2:30PM
Tue, Jan 29 1:00PM
Tue, Jan 29 6:30PM
Wed, Jan 30 5:00PM
Thu, Jan 31 12:00PM
Thu, Jan 31 6:00PM
Fri, Feb 01 1:00PM
Sat, Feb 02 5:30PM

Saturday, January 26, 2013

हैपी रिपब्लिक डे











Friday, January 25, 2013

स्कुल की बाते

ईद और गणतंत दिवस को लेकर माधव का स्कुल आज से तीन दिन तक बंद है. आज कही दिल्ली मे ही घूमने का प्रोग्राम बन रहा है  . माधव के पिताजी(बड़े पापा ) और बड़ी मम्मी भी आज कल दिल्ली मे ही है .
माधव के स्कुल का 2013-14 का  कैलेण्डर निकल चुका है .  





Sunday, January 20, 2013

आख़िरी पोलियो ड्रॉप {20th January}


आज{20th January} पोलियो रविवार है. आज माधव की उम्र है - पांच साल , चार दिन . अभी अभी  माधव को लेकर  पोलियो बूथ से ड्रॉप पिलवाकर लौटा  हूँ .  आज माधव ने आखिरी पोलियो ड्रॉप पीया . 

अभी तक लगभग सारे पोलियो ड्रॉप मैंने माधव को पिलवाया है .अब आगे लाइफ मे  माधव को पोलियो ड्रॉप पिलाने की जरुरत नहीं है . 







Saturday, January 19, 2013

माधव के बर्थ डे की तसवीरें

माधव के पांचवे बर्थ डे{16 जनवरी} पर हमने एक छोटी सी पार्टी रखी थी .कुछ सम्बन्धियों और मित्रों को आमंत्रित किया था . पार्टी गुजरांवाला के सागर रत्ना रेस्तरां मे रखी थी. पार्टी मे माधव के सभी दोस्त (नमन , अनुष , तनु , मिठू }आये थे और सभी ने मिलकर खूब धूम मचाई . माधव की मम्मी  ने सारी तैयारियां की और  बर्थ डे केक माधव के फेवरेट कार शेप मे बनवाया . 
 पार्टी की कुछ तसवीरें   





















Wednesday, January 16, 2013

आज है माधव का हैपी बर्थ डे


आज माधव का जन्म दिन है . आज से ठीक पांच साल पहले माधव हमारे गोद मे आया था . ये पांच साल कैसे बीते,  पता ही नहीं चला . ऐसा लग रहा है मानो ये पांच साल बस यू ही निकल गए . माधव के बचपन को हमने जीया है और इसके बचपन  से जुडी हर बात, हर यादें  , हर लम्हा , हमें हमेशा खुश करती रहेगी .
 माधव अपने जीवन मे बहुत खुश रहे यही हमारी कामना है.   
हमारे बेटे  को जन्मदिन की ढेरो शुभकामनाएँ 




















Monday, January 14, 2013

छुटियाँ खत्म , स्कुल शुरू

परसों माधव वापस दिल्ली आ गए . ट्रेन से उतरते ही बोले " पापा  मै क्रिकेट  खेलता हूँ और छक्के मारता हूँ" . बीस दिन माधव दिल्ली से बाहर रहे . नवानगर , आरा और बक्सर के बीस दिन के प्रवास मे माधव का बौद्धिक और सामान्य जानकारी छह महीने बढ़ गयी है . 


बीस दिन के प्रवास मे माधव "क्रिकेटमैनिया" से ग्रस्त होकर आये है . दिन भर मुझसे बोलिंग करवाते है और छक्के मारते है .  


दिल्ली मे ठण्ड भी अब सामान्य हो गयी है . आज माधव का स्कुल भी खुल गया है . जिंदगी फिर पुरानी पटरी पर आ गई है . आज इलाहाबाद मे कुम्भ-2012  का पहला शाही स्नान है. 


मकर संक्राति की शुभकामनाए . 

Sunday, January 13, 2013

मिस्टर गार्डेनर {Mr. Gardener}

 माधव के स्कुल मे Parents Orientation के दौरान हमें दो  स्टोरी सुनाई गयी थी . पहली स्टोरी थी - स्टोरी ऑफ दार्जिलिंग बॉय {Story of Darjeeling Boy} और दुसरी स्टोरी थी मिस्टर गार्डेनर {Mr. Gardener}. 

मिस्टर गार्डेनर {Mr. Gardener} की स्टोरी  भी  बहुत ही प्रेरणादायक थी.  कहानी के अंश अंगरेजी मे :




स्टोरी ऑफ मिस्टर गार्डेनर {Story of Mr. Gardener}


Mr. Gardener was a man in love with flowers. To grow all sorts of flowers was his only aim in life. To talk to his flowers, look at them, to enjoy their fragrance was all his delight. One day, he called his friends to his garden for a party. At the end of the party, he gifted each one of them with a bag of seeds. 
                            As they left, one of them murmured- 'why should I waste my precious time cultivating flowers. There are more important things in life than flowers" saying this he threw the bag away. 

   Another guest said 'these seeds are really good. Not now, later on, when I have some leisure, I will cultivate them.' when he reached home, he kept the bag in one of the drawers of his desk, never to open it again. 

The third guest said to himself 'Oh I love flowers but I have no time to cultivate them myself. I will get someone else to do it for me.' He called his servant and ordered him to cultivate the seeds for him. The seeds never bloomed to the full. The servant cultivated them just for a wage, not for love.

             Finally full of enthusiasm, another guest exclaimed 'I love flowers ! I will cultivate these seeds with all my love and care." He spent on them the time and energy they deserved. The seeds sprouted and grew to give beautiful flowers and his garden was as beautiful, as colorful and as scented as the one of Mr. Gardener.

Friday, January 11, 2013

स्टोरी ऑफ दार्जिलिंग बॉय {Story of Darjeeling Boy}

ये कहानी हमें हमारे बेटे के स्कुल मे सुनाई गई थी . माधव के स्कुल मे Parents Orientation के दौरान हमें दो  स्टोरी सुनाई गयी थी . पहली स्टोरी थी - स्टोरी ऑफ दार्जिलिंग बॉय {Story of Darjeeling Boy}. कहानी दिल को छूने वाली और और बहुत ही प्रेरणादायक थी  . कहानी के अंश अंगरेजी मे :

स्टोरी ऑफ दार्जिलिंग बॉय {Story of Darjeeling Boy}

 Once in a small town in Darjeeling,lived a Boy with his father. he lost his mother when he was still a baby. His father was very strict and disciplined man . He has made many rules & regulations  for his son which had to be followed at any cost. He used to got very angry if the boy broke any rule. The boy was very unhappy with the situation at home. 

                        Finally , he ran away to Kolkata. He did not get any food or shelter anywhere. He was chased away and abused by everyone. Then he remembered his home comfort and missed his father. He wrote a letter to his father stating " I want to come back but on one condition that you will love me and not beat me. I will pass by the house any day in next fifteen days . If you love me , put a white sheet on the tree opposite the house.If I do not find the sheet,  I will go away & never come back again. 

Seven days later, the boy passed by the house . He was hesitant to look at the tree. He asked the man at the bus window " Do you see a white sheet on the tree? " The man replied "The tree is fully covered with white sheets". The boy overwhelmed with emotions and decided to return to his father.  

Wednesday, January 9, 2013

नर्सरी एडमिसन की मारामारी

दिल्ली मे आज कल नर्सरी  मे एडमिसन चल रहा है . तमाम पारेंट्स अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए स्कूलों का ख़ाक छानते फिर रहे  है. अखबारों मे स्कुल के एक एक पन्नों के विज्ञापन आ रहे है . पिछली साल मै भी माधव के एडमिसन के लिए कई स्कूलों मे घुमा था. लिंक यहाँ है   .  दिल्ली के पारेंट्स मे बच्चों के एडमिसन के लिए हो रहे दर्द को मै महसूस कर सकता हूँ क्योकि पिछले साल मैं भी इस दौर से गुजरा था . मुझे याद है जब पहली लिस्ट मे माधव का नंबर किसी भी स्कुल मे नहीं आया था तो कितनी निराशा हुई थी ! तमाम दौड़ भाग के  बाद माधव का एडमिसन जब मोंट फोर्ट स्कुल मे हुआ था तो कितनी खुशी हुई थी बयाँ नहीं कर सकता !

आज कल मुझे रोज दो चार फोन आ रहे है . कुछ मित्र , कुछ मित्रों के मित्र  और अन्य कई लोग मुझसे स्कुल मे एडमिसन के लिए बात करते है . कुछ लोग  स्कूलों की रैंकिंग {HT-C Fore Ranking}के बारे मे पूछते है .  कुछ स्कूलों के बारे मे जानकारी लेते है . कुछ मित्र पूछते है कि कुछ ले देकर भी एडमिशन होता है क्या ? कुछ जानकार , अपने बच्चों के सर्टिफिकेट अटेस्ट कराने के लिए आते है .  

अभिभावकों को उधेड़बुन मे डालने का काम दिल्ली के अखबारों ने भी किया है . हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार हर साल दिल्ली के स्कूलों का एक सर्वे कराता है और उसके आधार पर टॉप टेन स्कूलों की एक रेटिंग निकालता है {इस साल की रेटिंग यहाँ पढ़े } . बस , अब ये रेटिंग ही समस्या पैदा करती है . लोग अखबार पढते है और चाहते है कि उनका बेटा उन्ही स्कूलों मे पढ़े . 

पर मेरी सलाह है कि लोग इन रेटिंग पर खास  ध्यान ना दे और अपने लाड़ले का स्कुल चुनते समय इन कुछ बातो पर ध्यान दे :
स्कुल आपके घर के आस पास हो {घर से चार किमी  की दूरी पर्याप्त है }
स्कुल  आने जाने के लिए यातायात सुविधा हो 
स्कुल के पास अपना प्ले ग्राउंड हो 
स्कुल की छवि धर्मनिरपेक्ष हो 

अंतिम बात बच्चे  का एडमिसन कही ना कही हो ही जाएगा अतः जब पहली लिस्ट मे नाम आ आये तो अपना दिल छोटा ना करे . शुभकामनाएँ

लेफ्ट हैंडी {Left Handy}

आज के अखबार मे लेफ्ट हैंडी {खब्बू}  लोगो पर पुरे एक पन्ने का एक लेख छपा है . अखबार के मुताबिक़ , दुनिया के दस प्रतिशत लोग ही लेफ्ट  हैंड का स्तेमाल करते है , बाकी सारे लोग राईट हैंड का ही स्तेमाल करते है. अक्सर लेफ्ट हैंडर्स को अजीब दृष्टि से देखा जाता है. उन्हें हीन भावना या हेकारत की दृष्टि से देखते है . लेख मे आगे लिखा है कि लेफ्टी होने की वजह को लेकर कई सारे रिसर्च हुए है , लेकिन कोई एकमत नहीं बन पाया है. . कुछ रिसर्च से पता चला है कि मानव शरीर के जींस और डी एन ए की वजह से लोग लेफ्ट हैंड का  स्तेमाल करने लगते है. कुछ लोग जेनेटिक कारणों से भी लेफ्ट हैंडर बन जाते है . जैसे कि लेफ्ट हैंडर अमिताभ के बेटे अभिषेक भी लेफ्ट हैंडर है.  

माधव भी लेफ्टी है . जब माधव के लेफ्टी होने की सहज वृति हमें पता चली तो हमने भी कोशीश की कि माधव लेफ्ट हैंड छोड़कर ,राईट हैंड का प्रयोग करे . हमारे परिवार के  सभी बडों ने भी माधव को राईट हैंड प्रयोग करने के लिए हमसे कहा . हमने भी बहुत कोशीश की पर मनुष्य की सहज वृति को छुडाना असंभव है . फिर एक दिन माधव के स्कुल की मैडम ने भी हमसे इस बारे मे बात की . 

कहने का मतलब ये है कि  शरुआत मे लेफ्ट हैंडी को हमारे समाज मे लोग एक तरह से  विकलांगता से जोड़ देते है  और इसे छुडाने की कोशिस की जाती है . पर क्या इससे कोई फर्क पड़ सकता है कि कोई बाएं हाथ से काम करे या दाए से  ? फिर क्यों ना , सहज , स्वाभाविक और सरल वृति से  ही स्वतन्त्र विकास होने दिया जाए . प्रतिभा भी  , लेफ्ट या राईट देखकर नहीं आती !

कुछ लेफ्ट हैंडर  हस्तियाँ : बराक ओबामा , बिल गेट्स , अमिताभ बच्चन ,आइन्स्टाइन , महात्मा गांधी 







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Monday, January 7, 2013

घुमावदार सड़के और चम्बा

ये सफर मैंने दिसंबर,2012 के प्रथम सप्ताह मे किया था . सफर को शरू से जानने के लिए नीचे दी हुए लिंक पर क्लिक करे 
शांत और सुरम्य धनौल्टी  { Serene & Simple Dhanolti}

कानाताल से दिल्ली  वापसी के लिए हमने दुसरा रूट लिया जो ऐसे था - कानाताल -चम्बा -नरेन्द्रनगर - ऋषीकेश-हरिद्वार - मुजफ्फरनगर-मेरठ -दिल्ली. कानाताल से चम्बा का  रास्ता ढलान का था . चम्बा  एक बाजार जैसा है . चम्बा मे चीड के पेड़ थे और यहाँ से भी हिमालय की बर्फीली चोटियाँ दिख रही थी . चम्बा मे मैंने वोमिटिंग रोकने वाली कुछ दवाइयाँ खरीदी . 

इंटरनेट पर चम्बा के बारे मे बहुत कुछ लिखा है पर मुझे चम्बा कुछ खास नहीं लगा . एक चम्बा हिमाचल मे भी है जहां मै २०११ मे गया था . हिमाचल वाले चम्बा के सामने उत्तरांचल वाला चम्बा कुछ नहीं है . चम्बा के बारे मे लिखने लायक कुछ नहीं है . 


चम्बा से ऋषीकेश के रास्ते मे कई जगह भू स्खलन हुआ था अतः सड़क कई जगह बहुत टूटी फूटी थी. पुरे रास्ते मे टिहरी जल विद्युत निगम के स्वागत करते बोर्ड दिखे. रास्ते मे थोड़ी दूर तक एक नदी भी हमारे साथ साथ चली , पता नहीं कौन सी नदी थी . रास्ते मे एक झरना भी मिला जिसका नाम बेमुनडा फाल (Bemunda Fall)था . वहा हम थोड़ी देर रुके . वहा से गाड़ी खुली तो ऋषीकेश मे ही रुकी .  



















अगले भाग मे ऋषीकेश की चर्चा ..........................

क्लब महिंद्रा ,कानाताल {Club Mahindra Resort, Kanatal}

ये सफर मैंने दिसंबर,2012 के प्रथम सप्ताह मे किया था . सफर को शरू से जानने के लिए नीचे दी हुए लिंक पर क्लिक करे 

क्लब महिंद्रा कानाताल {Club Mahindra  Resort , Kanatal}


कनाताल प्रवास के दौरान हम क्लब महिंद्रा के रिसोर्ट मे ठहरे थे.  तमाम आधुनिक सुख सुविधाओ से सुज्जतित ये रिसोर्ट बहुत आकर्षित करने वाला है .  रिसोर्ट चम्बा और धनोल्टी के बीच मुख्य सड़क पर स्थित है . शहर की आपाधापी और भीडभाड  से अगर मन उब रहा हो तो ये रिसोर्ट बिलकुल सही जगह है .प्रदुषण से बिलकुल मुक्त , इस रिसोर्ट के ठीक सामने देवदार का जंगल है . वही पर सेव के बागान भी है . रिसोर्ट मे कॉम करने वालो के अनुसार , यहाँ दिसम्बर के आख़िरी  और जनवरी के शुरू मे हिमपात होता है, और रिसोर्ट चार-पांच  फुट बर्फ मे दब जाता है.   

रिसोर्ट का USP यहाँ का स्पा{Spa} है . रिसोर्ट मे एक बहुत ही आधुनिक  जिम भी  है. सुबह ब्रेकफास्ट मे इसके रेस्तरां की पूरी भांजी बहुत स्वादिष्ट  थी . रिसोर्ट का स्टाफ बहुत मिलनसार और शिष्ट है  . कुल मिलाकर मै इस  रिसोर्ट को दस मे से दस नंबर {Perfect Ten on Ten}  देता हूँ . 

रिसोर्ट मेरे नजरो से :




















Sunday, January 6, 2013

शांत और सुरम्य धनोल्टी (Dhanolti)

यह सफर मैंने दिसंबर,2012 के प्रथम सप्ताह मे किया था .  इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करे 

पिछली बार धनोल्टी मै जनवरी ,2011 मे  दोस्तों के साथ आया था  . नाग टिब्बा ट्रेक(Nag Tibba Trek) से लौट कर केवल  रात बिताने के लिए  हम धनौल्टी मे रुके  था . उस समय पूरा धनौल्टी मे बर्फबारी हुई थी और धनौल्टी बर्फ से पटा हुआ था .


सुरकंडा देवी मंदिर के दर्शन के बाद हमारा अगला पड़ाव धनौल्टी था . सुरकंडा देवी की चढाई और वापसी मे हम काफी थक गए थे अतः धनौल्टी मे सबसे पहले खाना खाया . धनौल्टी मे ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होती है, अतः रेस्तरां मालिक ने केवल हमारे लिए ही खाना बनाया . धनौल्टी  बहुत शांत , खाली -खाली पर खूबसूरत रमणीक  जगह है . यहा का मुख्य आकर्षण है  - इको पार्क जो देवदार का एक बगीचा है जिसमे भीमकाय देवदार है. ये मूलतः एक चिल्ड्रेन पार्क है जिसमे बच्चों के लिए झूले वगैरह है. पार्क मे सीढ़ियाँ बनी थी घूमने के लिए . सुरकंडा देवी मंदिर के दर्शन मे हम काफी चढ -उतर चुके थे अतः दुबारा सीढीयां चढना हमारे लिए मुश्किल भरा था .पार्क मे माधव ने झूलों का खूब मजा लिया और हम चटक धुप मे बैठे  धुप सेकते रहे . 






















 
 
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