Wednesday, June 30, 2010

कभी खुशी कभी गम

विडियो देखने के बाद ही पता चलेगा की शीर्षक ऐसा क्यों है !

Friday, June 25, 2010

खुशी का लम्हा : मेरे घर आई एक नन्ही परी


आज सुबह सुबह ही हमें एक बहुत ही अच्छी खुशखबरी मिली . मेरी बुआ घर में एक नन्ही परी लेकर आई है . आज सुबह आठ बजे आरा में उसका जन्म हुआ . नन्ही परी बुआ जैसी ही सुन्दर है. दादी ने फोन पर बताया की नन्ही परी "पुतरी" जैसी है . खबर सुनकर पापा बहुत खुश हुवे , मम्मी भी खुश थी , पर मम्मी बेटा एक्स्पेक्ट कर रही थी . फिर पापा ने मम्मी को बताया आज के दौर में बेटा बेटी सब एक सामान है , महिला शसक्तीकरण का दौर चल रहा है .


अब इस खुशी के लम्हे को सेलेब्रेट करने की बात आई . पापा ने शाम को मेरठ वाले की दूकान पर चल कर इमरती खाने का प्रोग्राम बनाया . आज सुबह से ही दिल्ली का मौसम खुशनुमा है , सुबह में बारिस भी हुई .

तो प्लान के अनुसार हम शाम को आठ बजे मेरठ वाले ( मुखर्जी नगर ) की दूकान पर गए और इमरती खाई . गर्म -गर्म रसदार इमरती खाकर मजा आ गया , मीठा खाने के बाद अब कुछ नमकीन खाने का दिल हुआ, मम्मी , मामा और मैंने गोल गप्पे खाए और पापा ने गोल गप्पे का पानी किया . फिर हम घर वापस आ गए , रास्ते में कई काटू मिले , जिन्हें मैंने बाय- बाय कर दिया .









यही बनती है ये इमरती

देसी घी की इमरती

ये मेरे मामा है










(25 जून,2010 को देसी घी से बनी इमरती का मूल्य २४० रूपये किलो है . जलेबी २०० रूपये किलो है . १५ रूपये में पांच गोलगप्पे मिलते है .)

Thursday, June 24, 2010

काटू

मम्मी ने मेरे लिए एक अनजाने अदृश्य से डर का इजाद किया है नाम है "काटू ". जब भी मै कुछ जिद करता हूँ , कोई बात नहीं मानता हूँ , शैतानियाँ करता हूँ , मम्मी कहती है "काटू आ जाएगा ". कह सकते है मेरे पहले डर का नाम है "काटू ". अब काटू को अपने अनुसार बना लिया है , कुछ भी, जो अजीब है , असामान्य है , वो काटू है और उससे मुझे डर लगता है . 9XM टी वी चैनेल पर दो एनिमेटेड पात्र आते है उनके नाम हैबड़े और छोटे , जो बोलते है "बकवास बंद कर " . उस पात्र की तीन आँखे है वो भी काटू है , मुझे उससे बहुत डर लगता है . जब भी वो प्रोग्राम टी वी पर आता है मै भाग कर दुसरे कमरे में चला जाता हूँ , अब पापा और मामा मजा लेने के लिए भी कभी - कभी 9XM टी वी चैनेल लगा देते है.




सबसे खतरनाक काटू

9XM टी वी चैनेल पर ही दो तीन और एनिमेटेड कैरेक्टर आते है जिनके नाम है , भीगी बिल्ली , बादशाह भाई , ये सभी काटू है.इन सबके चलते मेरे घर अब 9XM टी वी चैनेल चलना बंद ही हो गया है , क्योकि हर गाने के ख़त्म होते ही ये आ धमकाते है ( दरअसल 9XM टी वी चैनेल के सारे होस्ट एनिमेटेड पात्र ही है ). पर रात को जब मै दूध पीने से मना करता हूँ तो इसी 9XM टी वी चैनेल का सहारा लिया जाता है , तब मै डर के कारण दूध पी लेता हूँ .

इसका नाम "भीगी बिल्ली" है पर इसको देखकर मै भीगी बिल्ली बन जाता हूँ

ये भी काटू ही है

काटू की लिस्ट दिन पर दिन लम्बी होती जा रही है . ताजा सूरते हाल ये है की काटू भी अब दो प्राकार के हो गए है , अच्छा काटू और बुरा काटू . दिल्ली कामन वेल्थ गेम्स का मस्कोट "शेरा " भी काटू ही है , पर वो अच्छा काटू है .


ये अब अच्छा काटू बन गया है

Sunday, June 20, 2010

पापा के लिए


आज फादर डे है , एक दिन पिता लिए समर्पित . मुझे तो इतनी समझ नहीं है की फादर डे क्या है , पर इतना जरुर माना जा सकता है , जितना मेरे पापा अपने पापा से प्यार करते है मै भी अपने पापा से उतना ही प्यार करता हूँ और करता रहूंगा .
Papa I Love You




Thursday, June 17, 2010

माधव: पेंटर बाबू


आज कल हमारे घर में पेंट का काम चल रहा है . दीवार को नए पेंट से रंगा जा रहा है . दो पेंटर सुबह ग्यारह बजे आते है दिन भर दीवारें रंगते है और शाम को अपने घर जाते है. कभी पहले कमरे का सामान दुसरे कमरे में तो अगले दिन दुसरे कमरे का सामान पहले कमरे में. पुरे घर में अव्यस्था का आलम है, और इस अव्यवस्था का मै भरपूर लाभ उठा रहा हूँ. इस आदान प्रदान में काफी चीजे भूल गयी है और कुछ मैंने भी गुम कर दी है . परसों अलमारी की चाबी मेरे हाथ में आ गयी , मै उससे खेलता रहा और खेल- खेल में कही गुम कर दिया , वो चाबी कल जाकर मिली . इस भाग- दौड़ में मम्मी काफी व्यस्त रह रही है , और मुझे मौका मिल रहा है कुछ नयी शैतानियाँ करने का . अब दोनों पेंटरों को पेंट करते देख एक ब्रश मैंने भी उठा लिया और शुरू किया पेंट करना ,
अब मैंने कैसा पेंट किया है ये तो आपको ही बताना है





माधव पेंटर
पहले सलाह जरुरी है


ये बाल मजदूरी नहीं, बाल मजबूरी है

पेंट करने के बाद डांस ( जांस )
(मै डांस को जांस बोलता हूँ )

Wednesday, June 16, 2010

मुझे ग्रीनफेक्सन ( Greenfection ) हुआ है , क्या आप भी इससे पीड़ित है ?

मुझे और मेरे पापा को एक बीमारी हो गयी है , बीमारी का नाम है ग्रीनफेक्सन ( Greenfection ) . हमने अपने छोटे से पर्यावरण में ही हरे- भरे पौधे लगा रखे है . पौधो की रोज देखभाल करना , पानी देना और निराई करना पापा और मेरा रोज का कार्य है . पापा सब्जी लेने के लिए बाजार में जुट बैग ले कर जाते है , सब्जी वाला पोलीथीन में सब्जी दे तो पापा पोलीथीन को मना कर देते है. हम रोज शाम को अपने कोलोनी के पार्क में जाते है , वहां की हरियाली हमें अपने पर्यावरण को हरा भरा और सजीव रखने के लिए प्रेरित करती है . पापा सेविंग करते समय नल खुला नहीं छोड़ते बल्कि मग में पानी रख कर सेविंग करते है , बेकार पानी को फेकते नहीं है बल्कि गमलो में डाल देते है. पापा ऑफिस जाने के लिए मेट्रो सेवा का स्तेमाल करने के बारे में भी सोच रहे है . मम्मी खाना बनाने के लिए ज्यादातर प्रेसर कुकर का प्रयोग करती है , किचेन में दिन में बिजली के प्रकाश का प्रयोग नहीं करती है . प्रयोग में ना हो रहे बिजली के उपकरण तुरंत बंद कर देती है और दिन में किसी प्रकार के बिजली के प्रकाश का प्रयोग नहीं करती है .

मुझे और मेरे परिवार को ये बीमारी लग गयी है और डाक्टर कहते है की ये अच्छी बीमारी है . क्या आपको ये बीमारी नहीं लगी ?


क्या आप भी ग्रीनफेक्सन ( Greenfection ) से पीड़ित है ?

ग्रीनफेक्सन ( Greenfection ) के लक्षण

ग्रीनफेक्सन ( Greenfection )का असर




Monday, June 14, 2010

दिल्ली में आंधी और मेरे नए कपडे -नए खिलौने

शनिवार को मम्मी पापा मुझे सुलाकर कमलानगर गए . वहां कोल्हापुर रोड से उन्होंने मेरे लिए तीन टी शर्ट और दो खिलोने लिए . एक एयर बस और एक creative ब्लाक . एयर बस बहुत बड़ा है , डैने लगने के बाद तो बहुत बड़ा दिखने लगता है . creative ब्लाक का सेट मुझे ज्यादा पसंद आया .





नया टी शर्ट

एयर बस ( Air Bus )

माधव एयर लाइन्स

कल जब मैंने नया टी शर्ट पहना तो दिल्ली में शाम को खूब तेज आंधी आयी . धुल भरी आंधी और बारिस भी हुई .मै पापा के साथ घर की छत पर गया , खूब तेज हवा चल रही थी ,
पर मजा आ रहा था ये रही कुछ झलकियाँ






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Thursday, June 10, 2010

कुछ मीठा हो जाए

ना ही आज पहली तारीख है और ना ही कुछ नया हुआ है , पर मै मीठा खा रहा हूँ . डेयरी मिल्क ने निर्धारित कर रखा है की पहली तारीख को "मीठा है खाना...... ". पापा कहते है की पहले मीठा मतलब होता था , गुड़ मिश्री , या लड्डू पर आज डेयरी मिल्क चोकलेट इस पोस्ट का स्वघोषित उम्मीदवार बन बैठा है , ठीक वैसे ही जैसे "ठंढा मतलब कोका कोला ".


पर मेरा फंडा कुछ अलग है , मै मीठा तभी खाता हूँ जब मेरा दिल करता है , किसी तारीख से मुझे मतलब नहीं है . मामा रोज मुझे शाम को घुमाने पार्क में ले जाते है , वही पर अरोरा जेनरल स्टोर की दूकान है, वही से चोकलेट खरीदते है और मै आराम से चोकलेट खाता हूँ .

आप भी देखिये कैसे ! पर मुहँ से पानी नहीं आना चाहिए


मेरी चोकलेट




क्या स्वाद है !





Monday, June 7, 2010

विश्व पर्यावरण दिवस

परसों विश्व पर्यावरण दिवस था . शनिवार होने के चलते पापा घर पर ही थे , सुबह से ही पापा को परेशान करना शुरु किया. सबसे पहले कम्पूटर चलवा कर पोएम ( Poem ) सुनी, फिर मन भर गया तो उल्टी सीधी हरकते कर सबको परेशान कर दिया . इन सबसे निजात दिलाने के लिए पापा मुझे लेकर हमारी कोलोनी वाले पार्क में ले गए . पार्क में हरियाली देखकर मेरा मन खिल उठा . जून का महीना होने के वावजूद , धुप नहीं थी , क्योकि बादल छाए हुवे थे . पैर का सैंडल निकाल कर फेंक दिया और नंगे पैर घास पर दौड़ने लगा . अभी इस छोर कभी उस छोर , बहते हुवे दरिये की तरह . वाकई हरियाली देखकर कितना अच्छा लगता है ! हमें हरियाली बनाए रखना चाहिए .

पर्यावरण के सहेज कर रखना हमारा कर्तव्य है . मै पार्को में यहाँ- वहां पलास्टिक की थैली बिखरे हुवे देखता हूँ . दिल्ली में प्लास्टिक (पोलीथीन) पर बैन है , पर ये बैन कही नहीं दिखता है , जहां जाओ, हर जगह पोलीथीन दिखाई देता है . हम प्लास्टिक /पोलीथीन का कम से कम उपयोग कर पर्यावरण को थोड़ा साफ़ सुथरा बना सकते है .

अब हरियाली वाली कुछ तसवीरें दिखाता हूँ , आशा करता हूँ आप ये हरियाली देखकर खुश होंगे .











Tuesday, June 1, 2010

नाना नानी के शादी की वर्षगाठ काफी डे (Cafe Coffee Day) के साथ


पिछले हफ्ते (27 May 2010) मेरे नाना- नानी के विवाह का वर्षगाठ था . मम्मी पापा ने सबेरे ही नाना -नानी को फोन करके शादी के वर्षगाठ बधाई दी , नाना -नानी ने वधाई स्वीकार कर ली और ये भी कहाँ की माधव को साथ ले कर किसी रेस्टोरेंट में खाना खा ले , बिल जब वो दिल्ली आयेंगे तो देंगे .अब यहाँ फैसला हुआ की शाम का खाना किसी रेस्टोरेंट में खायेंगे , पर शाम होते - होते गर्मी इतनी बढ़ गयी की बाहर जाकर खाना खाने का विचार त्यागना पडा . पापा ने काफी डे में चलकर काफी पीने का प्रस्ताव पेश किया जो सर्व सम्मति से मान लिया गया .


हमारे घर के ठीक पीछे Cofee Cafe Day का एक outlet है , हम रात में वही गए . मामा ने Coffee Nirvana लिया और मम्मी- पापा ने Devils Own . coffee nirvana में काले रंग का चोकलेट लगा था सो मैंने गंदा कहकर लेने से मना कर दिया, पर Devils Own मुझे अच्छा लगा . वहां हमने पहली बार केले का चिप्स खाया . पुरी दूकान खाली थी , सारी टेबले खाली थी सो मैंने हर टेबल/सोफे पर बैठकर खूब एन्जॉय किया .










पुरी दूकान खाली थी , सो हर टेबल का निरक्षण किया


मुझे भी लेना है





 
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