Wednesday, October 28, 2009

ये प्यास है बड़ी

पानी मुझे पसंद है , पीने के लिए खेलने, लीपने के लिए . किसी को भी पानी पीते देखता हूँ , बस दौडा चला जाता हूँ पीने के लिए बोलता हूँ दे .. दे ...दे ... दे....दिया तो ठीक है नहीं तो रोना शुरू . खैर अक्सर पीने को मिल ही जाता है , लोग कहते है पिछले जन्म में मरुस्थल का निवासी था जो पानी के लिए मारा मारा फिरता था. शुरू में दूध की बोतल से पानी पीता था , बाद में मम्मी ने मेरे लिए एक ग्लास खरीदा , बिलकुल मेरे लिए ही बना , रंगीन स्टील का म्यूजिकल ग्लास जो आवाज करता है . पापा को कभी बोतल से पानी पीते हुए देखा , मन में आया क्यों ना मै भी बोतल से ही पियू. बस क्या था जब भी पानी की भरी हुई कोई बोतल दिखती है , बस उठा कर पीने की कोशीश करता हूँ , प्रयास सफल होता है , थोडा पानी मुह में जाता है , थोडा नाक में और बाकी कपडे पर गिरता है .पर कोई बात नहीं ,ये करके खुशी होती है. अब तो ढक्कन खोलना भी सीख गया हूँ , अब जहां भी पानी की बोतल दिखती है, ढक्कन खोलता हूँ , पीता हूँ और फिर नीचे पानी गिराकर लीपना शुरू कर देता हूँ , घर के लोग परेशान होते है पर मुझे इस बात की फ़िक्र कहाँ है ?





ढक्कन खोलना सीख गया हूँ

ये प्यास है बड़ी !

ये प्यास है बड़ी

हर हाल में पीना है

हर हाल में पीना है

size does not matter

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