Thursday, December 30, 2010

अलविदा २०१० ( कुछ भूली बिसरी यादें )

साल बीतने में अब कुछ घंटे ही बचे है . अपना तीसरा साल माधव और मेरे लिए काफी अहम रहा . इस साल माधव का मुंडन हुआ . माधव ने ठीक से बोलना शुरू किया . बहुत सारी यादें जुडी इस साल .इन सभी मीठी यादों को मैंने इस विडियो में समेटा है.इस साल और दशक की की ये आख़िरी पोस्ट है . कुछ ही घंटो में ये साल ही नहीं बल्कि इक्कीसवीं सदीं का पहला दशक भी समाप्त हो जाएगा . आने वाला साल और दशक माधव के लिए काफी अहम होगा .

तो अलविदा २०१० और इसकी यादो के साथ मै इस पोस्ट को आपके लिए छोड़े जाता हूँ .



Wednesday, December 29, 2010

पापा..पापा स्टोरी सुनाओ ( टू स्टोरी, )


यु ही एक रात माधव को एक स्टोरी सुनाने लगा . जंगल की स्टोरी , जिसमे एलीफैंट है , काउ है , टाइगर है .दरअसल स्टोरी थी ही नहीं मै तो बस बाते जोड़ जोड़ कर और बना बना कर आगे बोल रहा था पर खास बात ये कि जंगल की स्टोरी माधव को बहुत अच्छी लगी , उसने खूब ध्यान से सूनी . अब रोज रात को सोने से पहले माधव बोलता है पापा... पापा स्टोरी सुनाओ . एक नही.. टू स्टोरी. स्टोरी जंगल की ही होने चाहिए , यानी की शुरुआत ऐसे होनी चाहिए "एक जंगल था......". बिना जंगल के स्टोरी माधव को अच्छी नहीं लगती है .स्टोरी में बीच में माधव भी आ जाता है. एक दिन संता क्लाज की भी स्टोरी सुनाई थी , मैंने बताया कि संता क्लाज होर्स पर बैठ कर आता है और छोटे बच्चों को चोकलेट और खिलौने देता है . अब अगली सुबह मैंने माधव के जागने से पहले ही उसके तकिये के नीचे एक चोकलेट रख दिया , माधव नींद से जगा ,चाकलेट देख बहुत खुश हुआ पर ये भी पूछा की सांता क्लाज ने खिलोने क्यों नहीं दिए ?

अब बना बना कर कितनी कहानियां सुनाउंगा ,मेरा स्टोक खत्म हो गया है . लग रहा है कि किसी किताब से स्टोरी पढ़ कर सुनानी पड़ेगी .




मृत्युंजय कुमार राय


Tuesday, December 28, 2010

डी एल एफ प्लेस साकेत (DLF Saket)





26 दिसंबर को डी एल एफ प्लेस साकेत गया था . बहुत ही सुंदर और भव्य माल बनाया है डी एल एफ ने . कुछ झलकिया












Monday, December 27, 2010

क्रिसमस की तसवीरें(कनाट प्लेस में )

क्रिसमस से पहले नाना -नानी हमारे यहाँ दिल्ली आये है . बहुत मजा आ रहा है . क्रिसमस के दिन हम सब कनाट प्लेस गए थे . वहा बहुत भीड़ थी . कई जगह संता क्लाज खड़े मिले जो हम बच्चों को चोकलेट /टाफी दे रही थे. एक सांता मेरे पास भी आया , उसे देखकर मै बहुत डर गया और मेरी चीख निकल गयी . पर सांता ने मुझे टाफी दी. कुल मिला जुलाकर ये क्रिसमस बहुत मजेदार रहा .











Friday, December 24, 2010

हैप्पी क्रिसमस






Wednesday, December 22, 2010

पहला हेयर कट


माधव का मुंडन तीन सितम्बर २०१० को हुआ था . बाल तो अभी अभी थोड़े थोड़े ही बड़े हुए है पर साइड की कलम बड़ी हो गयी है . आरा में ही मै माधव को लेकर नाई की दूकान पर गया था पर माधव ने बाल नहीं कटाए . कुर्सी पर बैठते ही खूब जोर जोर से चिल्लाने लगा . उसका रौद्र रूप देख नाई की भी काटने की हिम्मत नहीं हुई , उसने मना कर दिया और बोला कि जब बच्चा थोड़ा और बड़ा हो जाए तब कटवा लेना.

खैर उसके बाद हम दिल्ली आ गए . दिल्ली में मै और माधव की मम्मी , माधव को लेकर बिग बॉस नामक एक सलून में गए . मगर जनाब वहाँ भी अकड गए , "मुझे बाल नहीं कटाना है " कह कर रोने लगा . मम्मी को लगा मेरा बेटा मेरी बात नहीं टालेगा, सो उन्होंने माधव को खूब फुसलाया , मनाया और आखिर में धमकाया भी , पर रिजल्ट शून्य रहा . मै माधव को लेकर बैरंग ( बिना बाल कटे ) घर आ गया . सोचा फिर कभी !

पर ११ दिसंबर, २०१० को माधव के मामा घर आये . माधव का अपने मामा से खूब पटती है . बातो बातो में माधव अपने मामा के साथ उसी सैलून में गया और बाल कटवा लिए . जब मामा -भांजा घर आये तो हम माधव के कटे बाल देख हैरान रह गए . सच ही कहा है बच्चा का दिल राजा का होता है , वही करता है जो उसका मन करता है .




बाल काटने से पहले


बाल काटने के बाद

Tuesday, December 21, 2010

डाबर च्यवनप्राश पोटी है !


सर्दी के मौसम में घर में सभी लोग आज कल च्यवनप्राश खाने लगे है . रात को खाना खाने के बाद एक चम्मच डाबर च्यवनप्राश , एक ग्लास दूध के साथ . मुझे ये च्यवनप्राश अच्छा नहीं लगता है सो मम्मी मुझे नहीं देती है . कल यु ही पापा जब च्यवनप्राश खा रहे थे तो उन्होंने मुझे भी खाने को कहा . मैंने फट से मना कर दिया और कहा कि ये तो पोटी है .सबकी हंसी फुट पडी .

Thursday, December 16, 2010

दो नए खिलौने


इस हफ्ते मेरे टॉय बैंक में दो नए खिलौने शामिल हुए . पहला खिलौना है ,एक लक्जरी कार. मम्मी के जन्म दिन ( 9 दिसंबर ) की शाम हम घूमने कनाट प्लेस गए थे . वही कोरीडोर में सजी एक पटरी की दूकान पर से पापा ने मेरे लिए एक ब्लू रंग की गाड़ी खरीदी. इस गाड़ी से इतना प्यार हुआ कि दो दिन तक मैंने इसे किसी को छूने भी नहीं दिया . सोते समय भी इस गाड़ी को साथ लेकर ही सोया . हद तो तब हो गयी , जब रात में नींद खुली तब भी कार के बारे में ही पूछ रहा था.





दुसरा खिलौना मेरी गुंजा बुआ ने दिया . ११ दिसंबर को बुआ, फूफाजी और अनुष हमारे घर आये थे . बुआ मेरे लिए एक चाइनीज पिस्टल( लेजर गन ) लाइ थी . मै भी बहुत दिन बाद अनुष से मिला . वो अब चलने लगा है और बहुत ही क्यूट लग रहा है . रंग तो इतना गोरा है कि अंग्रेज लगता है .



माधव और अनुष


अनुष

Wednesday, December 15, 2010

दादाजी को पदोन्नति पर बधाई


मेरे दादाजी का पिछले हफ्ते पदोन्नति हो गयी . दादाजी की पदोन्नति प्राचार्य के पद पर हो गयी . घर में बहुत खुशी का माहौल है . दादाजी को प्राचार्य बनने पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें .








दादाजी


दादाजी

Tuesday, December 14, 2010

एक शाम " क्रास रिवर माँल "में

कल (13 December, 2010) मम्मी पापा की शादी की वर्षगाठ थी . मंदिर में पूजा के बाद हम घूमने क्रास रिवर माल गए . रंग बिरंगे झूले और सजी हुई दुकाने देख मै बहुत खुश हुआ .वही मैंने एस्केलेटर से ऊपर चढना और नीचे उतरना सीखा . इसके पहले मै एस्केलेटर पर चढ़ने में बहुत डरता था . घूमने के बाद हमने वही हल्दीराम में खाना खाया और फिर देर रात घर वापस आये .



एनिवर्सरी केक के साथ








Monday, December 13, 2010

आज मम्मी -पापा की शादी की वर्षगाठ है


आज यानी दिसंबर को मम्मी पापा की मैरेज एनिवरसरी है .आज से चार साल पहले १३ दिसंबर २००६ को मम्मी पापा का विवाह हुआ था .दोनों को मेरी शुभकामनायें .







जुलाई २००७ में मम्मी -पापा , ताजमहल में


मम्मी पापा और माधव


Thursday, December 9, 2010

आज मेरी मम्मी का जन्मदिन है

आज मेरी मम्मी का जन्मदिन है . सुबह ही पापा ने मम्मी को जन्म दिन की बधाई दी , मुझे भी बधाई देना सिखाया फिर मैंने भी मम्मी को हैपी बर्थ दे कहा .







मम्मी के साथ माधव

Happy Birth Day Mummy

Happy Birth Day Mummy

Monday, December 6, 2010

नवानगर के जंगल में माधव और राघव

नवोदय विद्यालय, नवानगर ,के पीछे एक बहुत बड़ा जंगल है जिसमे नीलगाय , सियार घूमते रहते है . मै राघव भैया के साथ उस जंगल में गया था . मुझे बहुत अच्छा लगा था वो जंगल




जंगल में मंगल

नवानगर का जंगल

जय -वीरू की जोड़ी

नील गायों का एक झुण्ड

Sunday, December 5, 2010

जवाहर नवोदय बिद्यालय , नवानगर बक्सर


इस बार कीआरा यात्रा में मुझे जवाहर नवोदय बिद्यालय , नवानगर बक्सर जाने का अवसर मिला मेरे बड़े पापा वही रहते है , वो इस स्कुल में प्राध्यापक है . नवोदय बिद्यालय कुछ मामलो में बहुत अनूठा है . शहर की भीड़ भाड़ से दूर प्रकिति की गोद में बसा ये बिद्यालय प्राचीन काल के गुरुकुल का आभास करता है.

खैर मुझे वहां खूब खेलने को मिला . राघव भैया ने मुझे पुरे स्कुल की सैर कराई . अपने दोस्तों से मिलवाया .मै वहां के छात्रावास में भी गया .













Saturday, December 4, 2010

मेरी नानी


सरसों के तेल से गुनगुनी धुप में मालिस

पहले पैर

अब हाथ


फिर उंगलियां
नो फोटो प्लीज़



आखिर में सिर


 
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