Wednesday, October 14, 2009

हेलमेट के अन्दर फँस गया माधव

कल पापा का हेलमेट मिल गया , लगे हाथ मै भी ट्राई मारने लगा , पहली बार सर को हेलमेट के अन्दर ले गया तो खुद को संभाल नहीं पाया , तुंरत हेलमेट को सर से उतार दिया. पर मेरी उत्सुकता अभी गई नहीं , बार बार हेलमेट को पहनने लगा , धीरे धीरे बैलेंस बनाने लगा और काफी खुशी हुई , बहुत दिन के बाद कुछ नया करने को जो मिला था . तभी एक बार बैलेंस बिगडा और मै लगभग गिरने ही वाला था की पापा आ गए और संभाल लिया . पर मै फिर भी नहीं माना और दुबारा हेलमेट पहनना शुरू किया , अबकी बार मेरा हाथ भी फँस गया मै घबडाया तभी फिर पापा आ गए ,अंतत मैंने हेलमेट से तौबा कर ली. दिल ही दिल में सोचा और भी वस्तुए है इस घर में , हेलमेट के सिवा .
तस्वीरे कल पोस्ट करूंगा

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