Thursday, May 27, 2010

माधव : दर्जी


आज मम्मी ने मुझे नया टी शर्ट पहनाया , बहुत बढ़िया लाल रंग का है ये टी शर्ट . बुद्ध पूर्णिमा के कारण पापा की छुट्टी है और पापा घर पर ही है . मम्मी ने आज इडली साम्भर बनाया था , पर मुझे पसंद नहीं आया . पापा और मामा ने छक कर इडली और साम्भर उड़ाया, खाने के बाद पेट में गर्मी हुई तो उन दोनों ने लिम्का पी ली . मैंने सुबह सुबह उठते ही कम्पूटर खोला और "Jhony Jhony yes paapaa " सुना, उससे मन हटा तो सिलाई मशीन पास ही रखा हुआ था , उस पर अपना हाथ आजमाने लगा , सिलाई मशीन का हैंडल घुमाना बहुत अच्छा लगा , आप भी देखिये


नया टी शर्ट


एक और फोटू नए टी शर्ट में



सिलाई मशीन के साथ दर्जी गिरी




Monday, May 24, 2010

रविवार: पोलिओ डे (23/05/2010)


कल पोलिओ डे था , पिछले पोलिओ डे पर मै ड्रॉप नहीं पी पाया था , पर इस बार पापा सावधान और सतर्क थे . कल दिल्ली में बहुत तेज धुप और उमस भी थी . दो बजे मै पोलिओ ड्रॉप पीने के लिए पापा के साथ घर से निकला , नीचे नमन ( मेरा दोस्त ) भी हमारे साथ हो लिया . डी ए वी स्कुल में स्थित पोलिओ सेंटर पर पहुच कर हम दोनों ने पोलिओ की दवा पी . साल -छः महीने पहले मै ड्रॉप पीने में बहुत परेशान करता था , अपना मुह ही नहीं खोलता था , पर अब मै थोड़ा समझदार हो गया हूँ और फ़टाफ़ट मुह खोलकर ड्रॉप पी लेता हूँ .
पापा कहते है की , उनके जमाने में पोलिओ की ड्रॉप नहीं थी , बल्कि पोलिओ की सुई लगती थी जो काफी दर्द दायक और कष्टदायक होती थी, बच्चे सुई देखते ही रोने लगते थे . सुई लगाने के बाद हाथ सूज जाता था और बाद में वहा पर दाग भी बन जाता था , पर आज सही है .



पोलिओ सेंटर


पोलिओ सेंटर



नमन के साथ , ड्रॉप पीने के बहाने ही थोड़ी मस्ती हो गयी
पापा के साथ

Friday, May 21, 2010

माधव : डी देस्ट्रोयर( the Destroyer)

ये कोई साउथ इंडियन फिल्म का टाइटल नहीं है , इस हफ्ते मै वास्तव में Destroyer बन गया हूँ. मैंने इस पुरे हफ्ते तीन चीजों पर अपना हाथ आजमाया और वे तीनो चीजे अब खराब हो चुकी है .

पहली चीज : मेरा पहला शिकार रहा , मम्मी का मोबाइल . ये मोबाइल पापा ने तीन साल पहले मम्मी को गिफ्ट की थी. मैंने खेल खेल में वो मोबाइल पानी से भरी हुई बाल्टी में डाल दी , पाच मिनट बाद पापा मुझे देखने आये तो मोबाइल पानी में गोते लगा रहा था . , damage control के तहत बैटरी निकाल दी गयी पर जनाब स्वर्ग सिधार चुके थे.

दुसरी चीज : मेरा दुसरा शिकार रहा , कैनन पॉवर शोट डिजिटल कैमरा . मैंने एक हाथ मारा , कैमरा पापा के हाथ से छुट कर सीधे जमीन पर आ गिरा , कैमरे की लेंस निकली हुई थी सो कैमरा लेंस के बल ही जमीन से टकराया , लेंस टूट गया और कैमरा ने काम करना बंद कर दिया है .कैनन(Canon) का ये कैमरा दिल्ली में बनता भी नहीं है , इसका सेर्विस सेंटर गुडगाँव में है . कम्पनी वाले भी कम नहीं है , कैमरा जयादा दिल्ली में बिकता है पर सेर्विस सेंटर गुडगाँव में रखा है .

तीसरी चीज : हमारा एल सी डी भी खराब हो गया है , इसमें मेरा कोई दोष नहीं है पर पापा मेरा नाम इसमें भी घसीट रहे है .

अब गलतियां की है तो सजा तो मिलेगी , तो पापा ने मुझे कान पकड़ पर उठक बैठक कराया , मुझे सीखाने के लिए पहले खुद भी उठक बैठक की . कान पकड़कर उठक बैठक मुझे करने में बहुत मजा आया




अगले कुछ दिनों में कम्पूटर का नंबर आ सकता है .

Wednesday, May 19, 2010

पापा की मुश्किल( One little monkey jumping on the bed)

मैंने बताया था की पापा मेरे लिए कनाट प्लेस से नर्सरी राईम की एक डी वी डी लाये थे . अब पापा उस डी वी डी को लाकर पछता रहे है. कारण ये है की मुझे उस डी वी डी के राइम बहुत अच्छे लगे है और वक्त बेवक्त मै पापा या मम्मी से कम्पुटर खोलकर वो डी वी डी चलाने के लिए कहता हूँ . रात को जब सोने का समय होता है तो मुझे नर्सरी राइम "जानी जानी यस पापा "की याद आती है , पापा /मम्मी को कम्पुटर चलाने के लिए बोलता हूँ , मांग ना माने जाने की सूरत में रोने लगता हूँ , अब तो कम्पुटर खोलने भी आ गया है , बस फाइल को खोजकर चलाने भर सीखने की देर है .

नर्सरी राइम मेरे दोस्तों को ( तनु / नमन ) को भी बहुत भाती है .आजकल उनकी स्कुल की छुट्टी हो रखी है, सुबह सुबह ही मेरे घर आ जाते है नर्सरी राइम सुनने के लिए . मै पापा /मम्मी से कहकर कम्पुटर खुलवाता हूँ और उनके साथ बैठकर नर्सरी राईम सुनता हूँ . एक भी राइम अभी याद तो नहीं हुई पर five little monkey jumping on the bed वाली राईम सुनकर और देखकर मै भी बेड जम्प करने लगा हूँ ,,जम्प करने के बाद सबको ताली बजाने के लिए कहता हूँ , सब जबरदस्ती ताली बजाते है , आप भी देख ले .



Tuesday, May 18, 2010

कुर्सी का नया अनुप्रयोग


कुर्सी पर बैठने का ये एक नया तरीका है , आप क्या कहेंगे इस पर










Friday, May 14, 2010

अभी तो मुझे जीने दो (पहली पुस्तक )


इसी हफ्ते पापा मुझे मम्मी को लेकर मुखर्जी नगर के बत्रा सिनेमा हॉल के पास स्थित मेरठवाले नामक एक मिठाई की दूकान पर ले गए .ये दूकान मुखर्जी नगर में मिठाई की सबसे अच्छी दूकान मानी जाती है . मम्मी- पापा ( खासकर मम्मी को ) यहाँ की जलेबियाँ और इमरती बहुत अच्छी लगती है . यहाँ पर जलेबी और इमरती देशी घी में बनाई जाती है इसलिए महंगी है पर स्वाद और सेहत के लिए थोड़ा महँगा भी चलता है . जब हम वहां पहुचे तो दूकान दार इमरती ताल रहा था और बोला की जलेबी बनाने में दस मिनट का टाइम लगेगा . पापा ने उसको बिल की पर्ची थमा दी और हम जिलेबियों का इंतज़ार करने लगे, तभी मम्मी ने कहाँ की माधव के लिए कुछ बुक खरीदते है . और मेरे लिए पहली पुस्तक खरीदी गई. नवनीत प्रकाशन की दो पुस्तके मेरे लिए खरीदी गई जिनमे चार पन्ने है . पहली पुस्तक में पालतू जानवर की तसवीरें है , तो दुसरी पुस्तक में ABCD.......

दुकानदार से मैंने तुरंत बुक लपक ली , थोड़ी देर तक देखी , फिर फेक दी . मै आज दो साल तीन महीने का हूँ , क्या ये मेरी उम्र अभी पढने की है .घर पर वो पुस्तके मै देखता हूँ , आधा फाड़ चुका हूँ,
बाकी भी कब तक बचेंगे .

आप बताये , मै आज दो साल तीन महीने का हूँ , क्या ये मेरी उम्र अभी पढने की है ?




पहली पुस्तक

सीधा तो सभी पढ़ते है , उलटा पढ़ कर दिखाओ तो जानू


चित्र / फोटू देखकर अच्छा लगता है

Wednesday, May 12, 2010

गिटारिस्ट माधव

संजीव अंकल हमारे पडोस में रहते है , पापा के दोस्त है . Jazz और Rock संगीत के शौकीन है ,
Jazz और Rock
सुनते भी है और गिटार बजाते है .एक दिन मै पापा के साथ उनके घर पहुचा , घर में छानबीन करने के बाद उनका गिटार दिखा , मेरी सहजबुधी
ने मुझे बता दिया की ये कोई बजाने वाला यन्त्र है.बस क्या था , मैंने गिटार पर अपना हाथ साफ़ करना शुरू किया .
गिटार के स्ट्रिंग्स को छेड़ कर एक नयी धुन बनाई ,वो धुन आप भी सुनेंगे क्या ?








Monday, May 10, 2010

मदर डे: माँ के साथ


कल मदर डे था . कल मैंने मम्मी को परेशान नहीं किया ऐसा झूठ नहीं बोलूंगा, दरअसल कल भी मम्मी को खूब परेशान किया .रविवार का दिन था इसलिए पापा मुझे और मम्मी को लेकर घुमाने प्रगती मैदान गए , मई के महीने में भी मौसम अच्छा था , शायद मदर डे का प्रभाव था जो मौसम भी माँ की तरह शीतल हो गया था. वहां प्रगती मैदान में प्रोपर्टी एक्सपो लगा हुआ था . पापा तो प्रोपर्टी देखने लगे , मै मम्मी को परेशान करने लगा , कभी किसी स्टाल में घुस जाता , तो कभी दूर भाग कर नजरों से ओझल हो जाता , मम्मी को डर लग रहा था की भीड़ भाड़ में मै कही खो जाउंगा . पर इस बात की मुझे कहाँ फिक्र थी .प्रगती मैदान के हॉल न १५ में मैंने धूम मचा दी , थक कर मम्मी पापा को हॉल से बाहर ले लाई. हाल के बाहर पिज्जा हट की एक दूकान थी , पापा ने पेटीस और कोफी ली इस दौरान भी मै मम्मी को परेशान करता रहा .

मै करीब छ्ह महीने बाद प्रगती मैदान गया था . पिछली बार नवम्बर २००९ में जब अन्तराष्ट्रीय मेला लगा था तब मै मम्मी पापा और मामा के साथ यहाँ आया था . तब यहाँ की मानसरोवर झील में पानी था और वाटर fountain चल रहे थे , पर कल मानसरोवर झील सुखी हुई थी , पानी की एक बूंद भी नहीं थे तो वाटर fountain का क्या हाल होगा आप समझ ही गए होंगे .हाँ कौवे और कुत्ते जरुर थे वहां पर .हम सब थोड़ी देर तक प्रगती मैदान में ही घूमते रहे .

फिर पापा हमें लेकर पास में ही इंडिया गेट ले गए .वहां के पार्को में हरी घास को देखकर लग ही नहीं रहा था की मई का महीना चल रहा है , चारों तरफ हरियाली फ़ैली हुई थी . वहां रविवार होने के चलते खूब चहल पहल भी थी . मम्मी ने मुझेआइस क्रीम खरीद कर दिया , वहां पर मै खूब खेला .रात होने को आई . हम इंडिया गेट से रवाना हुवे , और वही पास में ही आन्ध्र भवन के कैंटीन में चले गए , साउथ इंडियन खाना खाया और फिर घर वापस और मदर डे को खुसी मन से विदा किया.





ये क्या? सार्वजनिक जगह पर धुम्रपान प्रतिबंधित है ! पर इन अंकल को शायद नहीं पता ?

यूनीटेक के स्टाल पर पापा के साथ


confused

नवम्बर २००९ में जब अन्तराष्ट्रीय मेला लगा था, तब की तस्वीर. कितना पानी है


आज का हाल ,पानी की एक बूंद भी नहीं , बिन पानी सब सुन


थक गया हूँ , माँ के अलावा कहा जा सकता हूँ



कैसी है मेरी तस्वीर

कैसी है मेरी तस्वीर

बैठने की मेरी मनपसंद जगह






माधव और बैगन


आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' , दिव्या नर्मदा( http://divyanarmada.blogspot.com/) ने बैगन से जोड़कर मेरे ऊपर एक चौपाई लिखी है जो ये है --


माधव को बैंगन रुचे, थैला भरकर लांय.

श्री राधा के साथ मिल, भरता-बाती खांय..

Sunday, May 9, 2010

मेरी माँ

आज मदर डे है. आज मम्मी के बारे में बताता हूँ . मेरी मम्मी ही मेरी लाइफ है . सुबह उठने से लेकर रात हो सोने तक मेरी पुरी लाइफ मम्मी के इर्द गिर्द ही चक्कर काटती रहती है . सुबह उठने ही रोने लगता हूँ , मम्मी दूध का बोतल तैयार रखती है, आज तक ये बोतल कभी लेट नहीं हुई है . मेरी हर जरुरत को मम्मी संभालती है , मुझे अगले घंटे क्या चाहिए मम्मी को पता होता है . मम्मी मेरे लाइफ में क्या है , ये शब्दों में बताना मुश्किल है. अब कल की ही बात बताता हूँ मै कल रात तीन बजे अचानक डरकर उठ गया और रोने लगा. मम्मी और पापा दोनों जग गए . मै रोये ही जा रहा था , मम्मी पापा दोनों मुझे चुप करा रहे थे , पर मै बहुत दर गया था और रोये ही जा रहा था . आधा घंटा गुजर गया पर मै चुप नहीं हुआ , पापा फिर सो गए मम्मी मुझे लेकर बैठी रही , कभी फुसलाती , कभी लोरी सुनाती . मै पांच बजे जाकर सोया तब तक मम्मी मेरे लिए जगी रही .
मम्मी मेरे लिए मेरा जहां है ...........................................





मै अपनी मम्मी के साथ


मै अपनी मम्मी के साथ



मम्मी -पापा दोनों के साथ

Friday, May 7, 2010

मेरी आवाज सुनो




पर्क चोकलेट


टॉफी में पर्क चोकलेट मुझे सबसे ज्यादा पसंद आ रहा है . पांच रूपये में इतना बड़ा चाकलेट मिलता है , वो भी ग्लूकोस से भरा हुआ . पर्क चोकलेट को खुद खोल नहीं पाता हूँ , पापा या मम्मी को खोलने के लिए देता हूँ , इस दौरान ध्यान से देखता हूँ की कही खोलने वाला इसे खान ना ले . मेरी आज्ञा के बिना ले ले तो ये मुझे अच्छा नहीं लगता , हाँ मै खुद उन्हें ऑफर जरुर करता हूँ .कल नींद से उठा , मम्मी को खोजते हुवे किचेन में गया , वहां पापा थे , उन्होंने फ्रीज से निकाल कर पर्क चोकलेट दी.











Wednesday, May 5, 2010

माधव : नेचर ( nature) के साथ



कल माली घर पर आया था . पापा के कुछ पौधे मँगा रखे थे. माली ने तुलसी, एलो वेरा, कड़ी पत्ता और कुछ सुंदर मौसमी पौधे लगा दिए . खाली गमलों में रौनक आ गयी . माली गमलो में से मिट्टी निकाल कर पौधे लगा रहा था ,और मै वही पर बैठकर सब कुछ ध्यान से देख रहा था. माली की खुरपी लेकर मैंने भी कुछ सहयोग ( असहयोग ) किया . जब पौधे लग गए और पापा पौधों में पानी डालने के लिए बाल्टी से पानी लेकर आये तो मैंने रोकर जग खुद ले लिया और गमलों में पानी डालने लगा . पौधों में मै काफी पहले से ही पानी डालता आया हूँ , पापा को ऐसा करता देखकर मै भी पौधों को पानी देता हूँ . हरे हरे पौधों को देखकर दिल भी हरा भरा हो गया .





आप बताये ये कौन सा प्लांट है ?



आप बताये ये कौन सा प्लांट है ?



पानी देने से पौधे स्वस्थ रहते है




नर्सरी राइम्स


पापा ने कनाट प्लेस से मेरे लिए नर्सरी राइम की डी वी डी लाये . पुरी डी वी डी में ५१ नर्सरी राइम है . जैक एंड जिल , बाबा बाबा ब्लैक शिप , ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार , जानी जानी यस पापा मेरे पसंदीदा राइम बन चुके है , जब भी जी करता है , मम्मी पापा का हाथ पकड़ कर कम्पूटर तक ले जाता हूँ और डी वी डी चलाने के लिए कहता हूँ , अमूमन मेरी बात मान ली जाती है, राइम्स सुनकर डांस भी करता हूँ . मेरे दोस्तों ( नमन और तनु ) को भी ये राइम्स सुनना अच्छा लगता है







Tuesday, May 4, 2010

साफ़ -सफाई

रविवार को अपने दोस्त नमन के साथ घर की सबसे ऊपर छत पर पहुचा . वहां बहुत सारा कचरा पडा हुआ था और फ़र्स बहुत ही गंदा था . वही पास ही एक नहीं बल्कि दो-दो झाड़ू पड़े थे . बस क्या था , हम दोनों लग गए सफाई काम में . मै पुरी तन्मन्यता से सफाई में लगा , वही नमन मेरी देखा -देखी कर रहा था . उसने मुझे झाड़ू से मारे भी , पर मै अडिग था , उसे इग्नोर करते हुए अपना काम करता रहा .

Monday, May 3, 2010

कम्पूटर से नयी यारी

इन दिनों कंपूटर से कुछ ख़ास ही लगाव हो गया है , पापा -मम्मी को कम्पूटर खोलने के लिए कहता हूँ , माँग पूरी ना होने की सूरत में जिद करता हूँ, इस यन्त्र का प्रयोग करते ही माँग पूरी हो जाती है . कम्पूटर खुलने के बाद इंजीनीयरिंग शुरू करता हूँ , सबसे पहले मोनीटर के स्वीच को छेड़ता हूँ ,स्वीच को बार बार छेड़ने से हालात ये हो गए है के मोनीटर का स्वीच खराब हो गया है . कभी कभी यु पी एस के स्वीच से ही पूरा सीस्टम बंद कर देता हूँ . सी डी ड्राइव को बार बार दबाता हूँ , तस्तरी बाहर आता देख अच्छा लगता है और ये बार बार करता हूँ इसी क्रम में कुछ गलतियां भी होती है , पापा नाराज़ होते है पर मुझे फर्क नहीं पड़ता है , मै अपने मिशन में लगा रहता हूँ .




कम्पूटर से लगाव इतना बढ़ गया है की उसी की आस पास रहने का इरादा भी रखता हूँ , कम्पूटर टेबल की अलमारी के कुछ सी डी और कुछ कागज़ थे , जब मैंने इनकी जाच पड़ताल करनी शुरू की, तो मम्मी ने वहां से सारे कागजात हटा दिए . अब मैंने इसी अलमारी को अपना घर बनाया है देखिये कैसे



मजा आ गया


नया घर ! कैसा है

छोटा घर है , पर गुजारा कर लूंगा



 
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