परसों विश्व पर्यावरण दिवस था . शनिवार होने के चलते पापा घर पर ही थे , सुबह से ही पापा को परेशान करना शुरु किया. सबसे पहले कम्पूटर चलवा कर पोएम ( Poem ) सुनी, फिर मन भर गया तो उल्टी सीधी हरकते कर सबको परेशान कर दिया . इन सबसे निजात दिलाने के लिए पापा मुझे लेकर हमारी कोलोनी वाले पार्क में ले गए . पार्क में हरियाली देखकर मेरा मन खिल उठा . जून का महीना होने के वावजूद , धुप नहीं थी , क्योकि बादल छाए हुवे थे . पैर का सैंडल निकाल कर फेंक दिया और नंगे पैर घास पर दौड़ने लगा . अभी इस छोर कभी उस छोर , बहते हुवे दरिये की तरह . वाकई हरियाली देखकर कितना अच्छा लगता है ! हमें हरियाली बनाए रखना चाहिए .
पर्यावरण के सहेज कर रखना हमारा कर्तव्य है . मै पार्को में यहाँ- वहां पलास्टिक की थैली बिखरे हुवे देखता हूँ . दिल्ली में प्लास्टिक (पोलीथीन) पर बैन है , पर ये बैन कही नहीं दिखता है , जहां जाओ, हर जगह पोलीथीन दिखाई देता है . हम प्लास्टिक /पोलीथीन का कम से कम उपयोग कर पर्यावरण को थोड़ा साफ़ सुथरा बना सकते है .
अब हरियाली वाली कुछ तसवीरें दिखाता हूँ , आशा करता हूँ आप ये हरियाली देखकर खुश होंगे .





28 comments:
बहुत सुन्दर चित्र और आलेख
अंतिम चित्र में तुम तो माधव नहीं प्रवचन देते हुए माधवानन्द लग रहे हो
वाह वाह ... इतने सुंदर फोटो.. किसने लिए हैं ....
Well Done Madhav.शैतानियाँ करने की उम्र है , पापा की उम्र में थोड़े ही करेंगे !
भाई छोरा तो बस दुनिया माँ थारो ही जाम्या , इब इन्ने आप्पो बी कर लें दियो कुछ \
बहुत समझदार हो गए हो तुम !!
...सुन्दर हरियाली ... सुन्दर फ़ोटो ...!!!
bahut khubsurat photo hain madhaw...dher sara pyar...puppy bhi..
बहुत सुन्दर चित्र और आलेख..माधव
फिर से अपनी भारत भू को
हरा भरा श्यामल शस्य बनाना है!
इसके हर कोने में हमको
ज्यादा पेड़ लगाना है!
बहुत अच्छा संदेश दिया बेटा...शाबास!!
तस्वीरें भी बहुत अच्छी हैं.
पर्यावरण के सहेज कर रखना हमारा कर्तव्य है',
- लेकिन यह बात केवल बात ही रह गयी है. इस पर अमल होता दिखाई नहीं देता. अलबत्ता छुटपुट प्रेस अवश्य दिखाई देते हैं.
आज इस ब्लाग पर पहली बार आया, और लिटिल ब्लागर को देखकर मन खुश हो गया।
वाह वाह...
बहुत सुंदर चित्र ओर बहुत प्यारा माधाव, यार माधब तेरे बाल बहुत बडे है, क्या मुनान करने है?
(मुनान पंजाबी मै कहते है धार्मिक रीति से बाल काटने को)
भाई वाह .......शुभकामनायें !
very beautiful
madhav ji
@ राज भाटिय़ा
राज अंकल हमारे यहाँ मुंडन एक वर्ष , तीन वर्ष या पांच वर्ष पर कराये जाते है . अब मेरा तीसरा साल चल रहा है . मेरी दादी मेरा मुंडन हरिद्वार के शांति कुञ्ज के करवाना चाहती है , जुलाई या अगस्त में किसी शुभ मुहूर्त पर ये काम प्रस्तावित है .
वैसे सब कहते है की मेरे बाल मेरी उम्र के मुताबिक़ कुछ ज्यादा ही बड़े हो गए है.
बहुत ही सुन्दर और बढ़िया आलेख! तुम बहुत प्यारी लग रही हो ! सारे चित्र बेहद सुन्दर है!
बेटा, पार्क में हरियाली तलाश रहे हो?
जून चल रहा है। बप्पू से बोलो कि पहाडों पर चलो। असली चीज वहां है।
इस हरी भरी पोस्ट के लिए बधाई।
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ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
बहुत सुन्दर | कहते हैं ना, होनहार बिरवान के होत चीकने पात |
उम्दा पोस्ट पढ़ने से ज्याद देखने में मज़ा आया . और एक बात ...आजकल आप घूम-घूम कर सबका ब्लॉग खूब पढ़ रहे हैं..ज्यादा कंप्यूटर पर बैठना भी तो पर्यावरण के लिए नुक्सान देह है..! यूँ ही हरे-भरे बाग में खूब घूमा कीजिए.
.सुन्दर हरियाली ..
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