Friday, October 23, 2009

तिजोरी पर हाथ साफ़

घर की अलमारी मेरे लिए हमेशा कौतुहल का विषय रही है , अक्सर मम्मी या पापा अलमारी खोलते है और कुछ काम करके बंद कर देते है मुझे बस उस थोड़े वक्त में ही उसके अन्दर झाकने का समय मिलता था , मुझे लगता था की उसके अन्दर बहुत सी चीजे है मेरे काम की , पर अलमारी मेरे लिए सपने जैसा था , क्योकी कभी मौका ही नहीं मिलता था की उसके अन्दर की चीजों पर हाथ साफ़ कर सकू . कल यु ही मैंने अपने दोनों पैर को अंगूठे पर उचकते हुए अलमारी को खोलने की कोशिस की और सफलता मिल गयी . हमेशा उसे खोलते हुए मम्मी पापा को देखता हूँ पर कभी मुझे मौका नहीं मिला था . स्वतंतत्रता के साथ अलमारी खोलने पर बहुत अच्छा लगा. ये क्रिया कई बार दुहराई ,और अलमारी खोलना और बंद करना सीख गया. अब अलमारी के अन्दर की चीजों पर ध्यान गया . खेलने /फेकनें लायक बहुत सी चीजे थी समझ नहीं आ रहा था कहाँ से शुरू करू , तभी मेरी नजर अलमारी के अन्दर और एक अलमारी(लॉकर ) पर गयी , लगा इसे भी खोलना चाहिए , बिना किसी ख़ास मेहनत के वो भी खुल गयी , अन्दर कुछ कागजात , फ़ाइले और डब्बे रखे हुए थे , मैंने उन सभी चीजो का परीक्षण करना शुरू ही किया था की पापा टपक गए, दरअसल पापा मझे काफी देर से देख रहे थे और मेरे खतरनाक कदम का इंतजार कर रहे थे , दरअसल अभी तक मैंने कुछ नुक्सान नहीं किया था इसलिए वो पीछे से ही देख रहे थे थे . बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी , अब हर वक्त मेरा टारगेट अलमारी खोलना ही है ,और पहुच जाता हूँ अलमारी खोलने , थक हार कर अब महाशय को लाक रखा जा रहा है , मुझसे बचाने के लिए .

3 comments:

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

माधव जी, आप तो आंटी साथ अपना जन्मदिन साझा करते हैं। और देखिये नाम भी कुछ एक जैसा ही है, मानसी/माधव... तिज़ोरी में बड़ी अच्छी चीज़ें होती हैं...एक दिन मम्मी पापा से बच कर खोल कर देखना तो... ;-)

Anonymous said...

ये तो गलत हो गया भई !! आलमारी क्यों बंद रखा जा रहा है :(



... पापा से कहो टेम्पलेट बदल लें... बैकग्राउंड तस्वीर हट गयी है इसमें...

Udan Tashtari said...

ये सही है...घर में ही?

 
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