Monday, May 3, 2010

कम्पूटर से नयी यारी

इन दिनों कंपूटर से कुछ ख़ास ही लगाव हो गया है , पापा -मम्मी को कम्पूटर खोलने के लिए कहता हूँ , माँग पूरी ना होने की सूरत में जिद करता हूँ, इस यन्त्र का प्रयोग करते ही माँग पूरी हो जाती है . कम्पूटर खुलने के बाद इंजीनीयरिंग शुरू करता हूँ , सबसे पहले मोनीटर के स्वीच को छेड़ता हूँ ,स्वीच को बार बार छेड़ने से हालात ये हो गए है के मोनीटर का स्वीच खराब हो गया है . कभी कभी यु पी एस के स्वीच से ही पूरा सीस्टम बंद कर देता हूँ . सी डी ड्राइव को बार बार दबाता हूँ , तस्तरी बाहर आता देख अच्छा लगता है और ये बार बार करता हूँ इसी क्रम में कुछ गलतियां भी होती है , पापा नाराज़ होते है पर मुझे फर्क नहीं पड़ता है , मै अपने मिशन में लगा रहता हूँ .




कम्पूटर से लगाव इतना बढ़ गया है की उसी की आस पास रहने का इरादा भी रखता हूँ , कम्पूटर टेबल की अलमारी के कुछ सी डी और कुछ कागज़ थे , जब मैंने इनकी जाच पड़ताल करनी शुरू की, तो मम्मी ने वहां से सारे कागजात हटा दिए . अब मैंने इसी अलमारी को अपना घर बनाया है देखिये कैसे



मजा आ गया


नया घर ! कैसा है

छोटा घर है , पर गुजारा कर लूंगा



3 comments:

संगीता पुरी said...

तेरी सारी शैतानियां देख रही हूं मैं भी !!

संजय भास्‍कर said...

almari se bahar niklo
maine keh diya na........

संजय भास्‍कर said...

bahut hi sharat karne lage ho....

kai dino se maine dhyan nahi diya naa

isiliye.....

 
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