टॉफी में पर्क चोकलेट मुझे सबसे ज्यादा पसंद आ रहा है . पांच रूपये में इतना बड़ा चाकलेट मिलता है , वो भी ग्लूकोस से भरा हुआ . पर्क चोकलेट को खुद खोल नहीं पाता हूँ , पापा या मम्मी को खोलने के लिए देता हूँ , इस दौरान ध्यान से देखता हूँ की कही खोलने वाला इसे खान ना ले . मेरी आज्ञा के बिना ले ले तो ये मुझे अच्छा नहीं लगता , हाँ मै खुद उन्हें ऑफर जरुर करता हूँ .कल नींद से उठा , मम्मी को खोजते हुवे किचेन में गया , वहां पापा थे , उन्होंने फ्रीज से निकाल कर पर्क चोकलेट दी.
Friday, May 7, 2010
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5 comments:
एक बाईट हमें भी
JALDI KHATAM KARO YAAR..
MUH ME PANI AA RAHA HAI....
MUGHE BHI PASAND AHI
@ सैयद , संजय भास्कर
आप को चोकलेट जरुर खिलाउंगा , पर आप घर आओ तो सही
thanxxxxxxxxxxxxxxxxxx
खूब खाईये मजे से..जल्दी खोलना सीख जाओ. :)
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