Wednesday, September 8, 2010

मुंडन संस्कार की कुछ और झलकिया






9 comments:

Roshani said...

अच्छे लग रहे हो माधव जी. रोना किस बात का है? वैसे भी जितने महान लोग हुए लगभग बाल विहीन थे :)

Dr. Zakir Ali Rajnish said...


हार्दिक शुभकामनाएँ।

………….
साँप काटने पर क्या करें, क्या न करें?

समयचक्र said...

रोईये मत आगे आ जायेंगे ....

राज भाटिय़ा said...

ऒये गंजे रो क्यो रहा है भाई ? अभी हम भी एक बच्चे के मुंडन देख कर आये, वो बिलकुल नही रोया, हम सब हेरान हुये, ओर फ़िर बाद मै भी खेलने मै मस्त रहा, चल अब चुप हो जा ओर हमारी तरफ़ से तुम्हे ओर तुम्हारे मां बाप कॊ , दादा दादी को सभी को बहुत बहुत बधाई

शिक्षामित्र said...

ऐसे मौके पर कई बच्चे रोते हैं,कई नहीं। कारण मनोवैज्ञानिक ही जानें।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सचमुच, आपकी पोस्ट बहुत बढ़िया है।
--
इसकी चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/16.html

नीरज मुसाफ़िर said...

ओ हो हो हो

Kumar Ajay said...

हार्दिक शुभकामनाएँ...
dekhen please www.geegalo.blogspot.com

lightweight cotton blankets for summer said...

ऒये गंजे रो क्यो रहा है भाई ? अभी हम भी एक बच्चे के मुंडन देख कर आये, वो बिलकुल नही रोया, हम सब हेरान हुये, ओर फ़िर बाद मै भी खेलने मै मस्त रहा, चल अब चुप हो जा ओर हमारी तरफ़ से तुम्हे ओर तुम्हारे मां बाप कॊ , दादा दादी को सभी को बहुत बहुत बधाई

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