छ नवंबर को हम आरा नहीं जा पाए' स्टेसन से लौटकर वापस आना पड़ा . भारतीय रेल और ममता बनर्जी को कोसते कोसते छ नवंबर बीत गया .सात नवंबर को घर में सब कुछ शांत शांत सा था . दूध वाले ने दूध नहीं दिया , अखबार वाले ने अखबार नहीं दिया , कूड़े उठाने वाला भी कूड़ा उठाने नहीं आया . हमारा बैग जो पैक हो के स्टेसन गया था अभी तक पैक ही था . हमारा मन दिल्ली में था ही नहीं बल्कि आरा चला गया था बस शरीर हमारे साथ था .मम्मी बहुत गुस्से में थी और पापा पर हर बात पर भड़क रही थी .
शाम होते होते पापा में सोचा , दिल को बहलाने और मम्मी का मुड ठीक करने के लिए लिए कुछ किया जाए . फिर गोलमाल देखने का प्रोग्राम बना . मेरे जन्म के बाद पापा -मम्मी साथ में कभी सिनेमा हाल नहीं गए थे . वजह मै ही था ,क्या मै दो तीन घंटे सिनेमा हॉल में बैठ पाउँगा , इस बात के डर से मेरे जन्म से आज तक सिनेमा हाल नहीं गए . पर कल प्लान बन गया था . अडवांस में गोलमाल की टिकटे आई. 7.30 Pm का शो देखने मै मम्मी और पापा घर से बत्रा सिनेमा के लिए निकले .गोलमाल देखने के बाद मम्मी का मुड ठीक हो गया . सिनेमा सबको अच्छा लगा .
अब अपनी बात बताता हूँ . सिनेमा हाल में आकार सिनेमा देखना मेरा पहला अनुभव था . कुल मिलाकर गोलमाल -3 ,मेरी पहली फिल्म बन गयी .मेरा कोई टिकट नहीं लगा . मैंने सिल्वर स्क्रीन को बड़ा टी वी समझा . सिनेमा में मेरे नाम का एक कैरेक्टर ( माधव, अरशद वार्षी ) भी था , मूवी चलती रही ,पहले हाफ तक मै पापा की गोद में बैठा , दूसरे हाफ में मम्मी की गोद में चला गया. मैंने किसी को परेशान नहीं किया . हां एक बार सु सु लगी तो पापा बाथ रूम में ले जाकर करा लाये .सबसे अच्छी बात की भारतीय रेल द्वारा दिए गए गम को हम मूवी देखने के बाद भूल गए .
3 comments:
Good:)
माधव अपने उम्र का लाभ उठाओ माह में एक मूवी देख लिया करो मम्मी का मूड भी ठीक हो जाया करेगा
dabirnews.blogspot.com
ajabgazab.blogspot.com
अरे सही ! वाह माधव तो अब तुम थिएटर में मूवी देखने के लिए एलिजिबल हो गए :)
गुड न्यूज़ यह है कि मम्मी का मूड ठीक हो गया ....वर्ना पापा को और नजाने कितनी बिना बात कि डांट मिलती....माफ़ करना ३ दिन जरा व्यस्त रही सो बिलेटेड हेप्पी दीवाली ....वैसे भी अपने यहाँ तो अगले १५ दिनों तक दीपावली की शुभकामना दी जासकती है :D
उम्मीद है तुमने दीवाली बहुत एन्जॉय की होगी ...प्यार
अनुष्का
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