Thursday, October 21, 2010

बड़े पापा आये , साइकिल लाये


दशहरे की अगली सुबह मेरे बड़े पापा आरा से दिल्ली आये . श्रमजीवी एक्सप्रेस से सुबह में ही बड़े पापा आ गए . वो आरा से मेरे लिए खुरमा लाये थे . उसी दिन शाम को उन्होने मेरे लिए सायकिल खरीदाने को कहा .फिर उन्होंने माल रोड पर स्थित पंजाब सायकिल स्टोर से एटलस कंपनी की सायकिल ( १४ से मी ) खरीदी . सायकिल पाकर मै सातवे आसमान पर हूँ .अभी चलाना नहीं आ रहा है , मम्मी पापा की सहायता से सायकिल की सीट पर बैठ जा रहा हूँ पर पैर छोटे पड़ रहे है और सायकिल के पैडल पुरे घूम नहीं पा रहे है. हां घंटी मारने में खूब मजा आ रहा है .

बड़े पापा अभी दिवाली तक मेरे साथ ही रहेंगे. खूब मजा आयेंगा .












सायकिल की दूकान पर

Maadhav Archive: अक्टूबर २०१० में दिल्ली में एटलस की १४ इंच की सायकिल का मूल्य रु २५०० है .

6 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

bhai vaah bahut pyaari hai tumhaari cycle to.
koi baat nahin dheere dheere seekh jaoge

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

दीवाली का गिफ्ट साइकिल बहुत ही प्यारी है।

आपका अख्तर खान अकेला said...

maadv bhayi bchchon men bhgvaan hote hen or is bhgvana ki khushi dekh kr lgtaa he ke bhgvaan ko hmne pta liyaa he ab to khuda jo bhi kuch kregaa shubh subh kregaa . mubark ho nyaa andaaz he pyaara andaz he . akhtar khan akela kota rajsthan

संजय भास्‍कर said...

are wahhhhhhhhh bahut hi badhiya ji

संजय भास्‍कर said...

nice gift

double bed blanket for summer said...

दशहरे की अगली सुबह मेरे बड़े पापा आरा से दिल्ली आये . श्रमजीवी एक्सप्रेस से सुबह में ही बड़े पापा आ गए . वो आरा से मेरे लिए खुरमा लाये थे
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