आज कल दिल्ली के आसमान में बहुत हेलिकॉप्टर नजर आ रहे है. मै ट्रेन और हेलिकॉप्टर को देख कर बहुत खुश होता हूँ , ये दोनों चीजें मुझे बहुत आकर्षित करती है . अब जब भी हेलीकाप्टर की घड घड सुनाई देता है , दौड़ा -दौड़ा बालकोनी में आता हूँ , सर आसमान के करके हेलीकाप्टर देखता हूँ . दिख जाए तो चिल्ला चिल्ला कर ताली बजाता हूँ और ना दीखे तो इधर -उधर उड़ते कबूतरों को देख कर ही खुश हो जाता हूँ .
हेलीकाप्टर दिखा
नहीं दिखा
थोड़ा और सर घुमाता हूँ शायद दिख जाए
पिजन (pigeon) तो दिखा
4 comments:
बस ऐसे ही प्रयोग करते रहो... आप बड़े भी हो जाओगे...और जब बड़े हो जाओ तब चलाना असली वाली गाड़ी
वीना जी ने ठीक कहा है...माधव..फिलहाल तो ऐसे ही काम चलाओ ....
प्रयोग तो अच्छा है .....अब जल्दी जल्दी बड़े हो जाओ ताकि असली वाली गाड़ी में यह प्रयोग सार्थक हो जाए :)
प्यार
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
हा हा सही है, लगे रहो बेटे :)
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