Wednesday, November 18, 2009

पापा की घड़ी

कल खेलते खेलते पापा की घड़ी पर नजर गयी . पहन कर देखा कैसी लगती है , कुछ देर तक पहना , कलाई न नहीं आयी तो बाह ने पहन ली . कुछ देर पहना , फिर फेक दिया . अभी समय से बंधने का समय नहीं है भाई !



0 comments:

 
Copyright © माधव. All rights reserved.
Blogger template created by Templates Block Designed by Santhosh
Distribution by New Blogger Templates