Monday, April 12, 2010

माधव: बुआ के घर


कल मैंने नया शर्ट और पैंट पहना था , ये तो आपको पता चल चुका है . अब आगे की बताता हूँ , कल हम गुंजा बुआ के घर महरौली गए थे , गुंजा बुआ कुतुबमीनार के पास रहती है . कल बहुत गर्मी थी और "लू " भी चल रही थी सो मम्मी ने मुझे एक कैप पहना दिया . कैप तो मैंने पहन ली , पर मुझे कुछ ख़ास मजा नहीं आया सो रास्ते में ही मैंने कैप उतार कर कही फेक दी , फिर वो कैप मिली भी नहीं . गुंजा बुआ के घर पर अनुष( बुआ का लड़का ) (सात महीने ) से मिला , वो बहुत छोटा और बहुत क्यूट था . उसके पास बहुत से खिलोने थे , मै उसके सारे खिलोने से खेला , उसके वाकर पर मैंने वाक( Walk) किया . सात महीने के अनुष के दांत निकलने वाले थे सो उसे लूज मोशन हो रहा था , उसे पोटी करता देख मैंने भी पोटी की .
बुआ ने मुझे बहुत प्यार किया , फूफाजी ने कैडबरी की " दो रूपये में दो- दो लड्डू" वाला चाकलेट खिलाया , उनके घर में कम करने वाली मेड ( Maid) से भी मेरी दोस्ती हो गयी . रात आठ बजे हम वहां से वापस लौटने के लिए रवाना हुवे , सरोजनी नगर, चाणक्यपुरी आते- आते मुझे नींद आ गयी .







ये अनुष है , है ना प्यारा !


अनुष का वाकर मुझे अच्छा लगा

अनुष के पास बहुत से खिलोने थे , जैसे की ये



मेरी कैप, जो मैंने कल कही गुम कर दी

कैप में मेरी तस्वीर , कैसी है !

5 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

माधव जी लगते हो प्यारे!

Jandunia said...

बहुत प्यारी तस्वीरें हैं.

Anonymous said...

आपका भाई तो बहुत प्यारा है बिलकुल आपकी तरह

संजय भास्‍कर said...

bahut hi pyare..........

रावेंद्रकुमार रवि said...

चर्चा मंच पर
महक उठा मन
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!

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संपादक : सरस पायस

 
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