आरा और बक्सर में मेरे लिए कुर्सी खरीदी गयी थी , मै अपनी कुर्सी पर ही बैठता था , बहुत प्यार से संभाल कर रखता था मै अपनी कुर्सी . शान के साथ बैठता था उस पर . पर आरा से जब दिल्ली आया तो कुर्सी आरा में ही छुट गयी. यहाँ दिल्ली में कुर्सी थी नहीं . मम्मी ने पापा से मेरे लिए कुर्सी खरीदने को कहा , पापा ने सहमती तो दे दी पर कुर्सी नहीं आई . मम्मी रोज पापा को कुर्सी के बारे में कहती और पापा रोज मीठी गोली दे देते.
मुझे अपनी कुर्सी से बहुत प्यार है , इस पर बैठकर बहुत आनंद आता है , बहुत खुस होता हूँ और इस के चलते दोस्तों में धाक भी जमती है , आप भी देखे मेरी जादुई कुर्सी है ना कमाल की !
1 comments:
aap ki kursi ka color acha he
शानदार
BADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHAKHE KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
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