पिछले १६ जनवरी 2010 को मेरा दुसरा जन्मदिन था . जन्मदिन पर पापा मेरे पास नहीं है वो दिल्ली में है और मेरे जन्मदिन पर मुझसे मिलने नहीं आये , बताया की छुट्टी नहीं मिली . उन्होंने सुबह में मम्मी को फोन किया और मेरा हाल चाल लिया और मुझे HAPPT BIRTH DAY कहा . खैर जन्म दिन के दिन बड़े पापा और बड़ी मम्मी नवानगर ( नवोदय विद्यालय ) से मुझसे मिलने आये . बड़ी मम्मी ने मुझे कपडे खरीदे और वही कपडे मैंने पहने . कपडे में मै हीरो लग रहा था . दादी ने मेरे जन्म दिन पर सत्यनारायण भगवान् की कथा का आयोजन कराया ( दादी केक काटने और मोमबती बुझाने की प्रबल विरोधी है ). कथा सुनने के लिए दादी मुझे गोद में लेकर बैठी पर मै कहाँ बैठने वाला था , मै दादी के गोद से भाग चला . पुरी कथा दादी ने सूनी . इधर एक अच्छी आदत दादा दादी में मुझे सिखाई है , मै सबके पैर छूकर प्रणाम करता हूँ . तो जन्म दिन के दिन बहुत सारे लोग मेरे घर आये और मैंने भेड़ चाल में सबका पैर छूकर प्रणाम किया , सारे लोग गदगद हो गए आखिर दो साल के बच्चे में ये संस्कार कैसे आ गए ? सबसे ज्यादा प्रभावित हुए कथा वाचक पंडितजी . कथा होने के बाद कुछ चुने हुवे लोगों ने खाना भी खाया . दिन भर की तमाम हलचलों के बाद मै थक गया और शाम को चार बजे मै माता के आँचल में जाकर सो गया . रात को दिल्ली से पापा का फोन आया और उन्होंने मेरे बारे में पूछा पर मै तो सो चुका था , पापा ने मुझे बहुत मिस किया .
Thursday, January 21, 2010
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2 comments:
भैय्या बधाई हो जन्मदिन की चिरायु हो...
लो, हमें तो मालूम ही नहिम चल पाया. चलो, अब निकालो केक और ढेर सा आशीष तुमको....
खूब तरक्की करो!!
अब केक?? :)
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