Saturday, January 5, 2013

सुरकंडा देवी मंदिर (Surkanda Devi Temple)

ये यात्रा मैंने दिसंबर,2012 के पहले सप्ताह मे की थी . शुरू से पढ़ने के लिए नीचे  क्लिक करे 

हमारी यात्रा की अगली मंजिल थी सुरकंडा देवी जी दर्शन . सुरकंडा देवी जी का मंदिर धनोल्टी और कानाताल के बीच स्थित है . धनोल्टी और कानाताल के बीच एक जगह है कददुखाल .ये  जगह सुरकंडा देवी जाने के लिए बेस कैम्प है .  इसी जगह से दो  किलो मीटर पहाड़ी पर  कठिन चढाई के बाद  पर पहाड़ की चोटी (Mountain Top) पर माता का मंदिर है जिसकी ऊँचाई 2903 मीटर है  .

यू तो कददुखाल से माता का मंदिर यू ही दिखाई देता है , पर दो  किलोमीटर की चढाई बहुत ही कठिन और थकाऊ है. ५१ रूपये का प्रसाद हमने कददुखाल मे खरीदा और चढाई शुरू की .  २०० मीटर चढने के बाद ही माधव ने सरेंडर कर दिया . ५०० मीटर जाते जाते ,मै भी बुरी तरह थक गया . माता के दर्शन किए बिना वापस भी नहीं लौट सकते . फिर माधव को पीठ कर टांगकर मै किसी तरह हाँफते हाँफते  मंदिर पहुचा .  हेल्थ  का असली  टेस्ट लैब मे नहीं बल्कि पहाडो पर होता है.  चढाई इतनी जबरदस्त थी कि मैंने एक जैकेट पहना हुआ था उसे निकालना पड़ा , पसीने के कारण . 

 मंदिर पहुचते ही सारी थकान दूर हो गई .  मन्दिरों की कुछ खासियत होती है कि जैसे ही आप थक हार कर वहाँ  पहुचते है सारी थकान दूर हो जाती है .  मंदिर पहुचने पर हमें कुछ बहुत खास चीज  दिखी  , जिसे देखकर हम सारे खुशी से गदगद हो गए , माधव की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था .  वो खास चीज थी -बर्फ . मंदिर परिसर के चारों और बर्फ का ढेर लगा था . 1 दिसंबर को बर्फ मिलना हमारे लिए आश्चर्यजनक और सुखद था . नीचे कददुखाल और मंदिर के रास्ते मे कही बर्फ नहीं दिखी , पर मंदिर बर्फ से गुलजार था और साथ ही हम भी .मंदिर सबसे ऊँची चोटी पर स्थित है जिसके चलते चारों ओर का 360 डिग्री व्यू दिखता है. इतनी उचाई पर होने के कारण ही यहाँ 1 दिसंबर को ही बर्फ मिल गई .   मंदिर मे कोई भीड़ भाड़ नहीं थी . हमने विधिवत रूप से माता के दर्शन किए. मंदिर के बारे मे कहानी है कि माता सती के जो ५१ हिस्से हुए थे उनमे से यहाँ माता का शीश  गिरा था .  

दर्शन के बाद हम करीब दो घंटे मंदिर के पास हुए हिमपात के बर्फ पर खेलते रहे. मुझे लगता है बर्फ मनुष्य को बहुत आकर्षित करती है . माधव का यहाँ बर्फ से प्रथम साक्षात्कार हुआ . (हालाकि इसके पहले भी माधव मनाली मे बर्फ देख चुके है पर तब माधव मात्र सवा साल के थे ) . पहली बार बर्फ देखकर माधव जमकर खेले , बर्फ की गेंद बनाकर सभी को मारा और स्केटिंग भी की . 

दो घंटे बर्फ पर लोटने कूदने के बाद हम वापस हो गए . मंदिर से हिमालय के दर्शन और मंदिर की सादगी ने मन मोह लिया 



 मंदिर का रास्ता (आसान दिख रहा है पर वास्तव मे बहुत कठिन है )


माधव का सरेंडर (पापा का बैंड बजाए )


 मंदिर का प्रवेश 


बर्फ से प्रथम साक्षात्कार 





अपने पुत्र को खुश देख हम भी गदगद हो गए 







बच्चों को मैगी हर जगह मिल जाती है 





मंदिर से पुरे क्षेत्र का 360 डिग्री व्यू मिलता है 


कठिन चढाई के बाद नीचे उतरना आसान हो जाता है 





7 comments:

ब्लॉग बुलेटिन said...

सनमीत कौर ने दिखाया ज्ञान का दम - पांच करोड़ के चेक पर चली बिग बी की कलम - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Smart Indian said...

बर्फ देखने भर से ठंड लगाने लगी, आप लोगो ने बिना जैकेट-कोट के सर्दी का सामना कैसे किया?

Manish Kumar said...
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Manish Kumar said...

आपकी हाथ में ली हुई बर्फ वाली फोटो में पीछे बंदरपूँछ की चोटी दिख रही है। मंदिर का भ्रमण कराने के लिए धन्यवाद !

yanmaneee said...

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yanmaneee said...

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Anjali Kohli said...
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