पांच मार्च को माधव के स्कुल में वार्षिकोत्सव था . छ मार्च को हम दिल्ली से सुबह आठ बजे नौकुचियाताल के लिए निकल पड़े . रविवार के चलते सड़के खाली थी , हम सरपट निजामुदीन ब्रिज से होते हुए ,NH-24 पर आ गए . गाजिआबाद ,हापुड ,गजरौला, मुरादाबाद ,टांडा , बाजपुर , कालाढूंगी ,हल्दानी , काठगोदाम होते हुए शाम को चार बजे हम नौकुचियाताल पहुच गए . वहाँ क्लब महिंद्रा के रिसार्ट में हमारा कमरा बुक था .
नौकुचियाताल कुमायूँ हिमालय की सबसे बड़ी झीलों में से एक है जो चारों ओर से पहाडियो से घिरी हुई है . हमारा रिसोर्ट झील के बिलकुल सामने चीड और देवदार के लंबे -लंबे पेडों से घिरा हुआ था . नौकुचियाताल झील नौ कोनों वाली(Nine cornered lake) पहाडो से घिरी है , और किवदंती है कि जो भी आदमी इस झील के नौ कोनों को एक साथ देख ले , उसे निर्वाण की प्राप्ति होती है , हमने शिकारा बोट से झील के नौ कोनों को निहारा. झील और उसकी हरियाली मन्त्र मुग्ध करने वाली थी . नौकुचियाताल काफी शांत और कोलाहल रहित जगह है.
अगर आप शांति प्रिय और सुकून से जीने वाले है तो नौकुचियाताल आपके लिए उपयुक्त जगह है .
3 comments:
बहुत सुन्दर चित्र...
बहुत सुंदर चित्र ओर सुंदर यात्रा विवरण
बहुत सुन्दर चित्रण| धन्यवाद|
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