पिछले साल नवंबर २०१० में जब मै छठ त्यौहार के दौरान आरा गया था वहाँ वर्षा दीदी और ऋतू दीदी टी वी पर डोरीमाँन नाम का एक कार्टून प्रोग्राम बहुत चाव से देखती थी .मुझे अभी तक कार्टून वगैरह की समझ नहीं है पर चूकि मै उन्ही दोनों के साथ रहता था सो मै भी डोरीमन देख लेता था .
कुछ दिन बाद , मै तो फिर दिल्ली आ गया और डोरीमाँन को भूल गया .पर आज सुबह सुबह अखबार ( हिन्दुस्तान, रीमिक्स ) में डोरीमाँन की तस्वीर आई थी . डोरीमाँन की तस्वीर देखते ही मै डोरीमाँन को पहचान गया और डोरीमाँन-डोरीमाँन चिल्लाने लगा . मै पापा -मम्मी को भी डोरीमाँन की तस्वीर दिखाई और कहा "मेरा डोरीमाँन" .
अखबार में डोरीमाँन के बारे में जानकारी दी हुई है जैसे कि बीसवी शताब्दी का एक डोरीमाँन एक कैट रोबोट है , जो कि एक छोटे बच्चे नोबिता की मदद करता है , जिसका आई क्यू कमजोर है और वह बहुत लेजी बच्चा है .डोरीमाँन नोबिता के जीवन को ठीक करता है . नोबिता का जीवन बहुत ही दयनीय है . वह बहुत ही समस्याओं से तंग रहता है .
आप डोरीमाँन को देखना चाहते है तो रविवार .३० जनवरी को दोपहर एक बजे हंगामा टी वी पर डोरीमाँन देख सकते है .
वैसे मेरी स्कूलिंग सही चल रही है और स्कुल की सारी बातें मै फेस बुक( FACE BOOK) पर करता हूँ .
साभारः हिन्दुस्तान दैनिक और गूगल
5 comments:
मुझे भी पसंद है डोरीमान।
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हंसी का विज्ञान।
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
तुम्हारी स्कूलिंग ठीक चल रही है,बहुत खुशी की बात है.
लविज़ा को भी डोरीमौन बहुत पसंद है..
माधब यार जब तक तु बच सकता हे इस डोरी मांन से बच बेटा, मम्मी पापा को बोलना कि तुम्हे इन से जितना दुर रखेगी उतना अच्छा होगा....
@ राज भाटिय़ा
बिलकुल दुरुस्त बात कही है आपने , पापा आपसे पूरी तरह सहमत है
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