कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी "चांदनी चौक टू चाइना". फिल्म में हीरो चांदनी चौक से चाइना जाता है . पता नहीं चांदनी चौक से चाइना कुछ जाता है या नहीं, पर चाइना से चांदनी चौक बहुत कुछ आता है . जहाँ तक बच्चों के खिलौनों का सवाल है , आप किसी भी दूकान में चले जाय सारे खिलोने पर मेड इन चाइना लिखा पायेंगे . इस चीज को देखकर कई सवाल मन में उठते है जैसे ,भारत में मेड इन इंडिया खिलौने क्यों नहीं मिल रहे है ? क्या खिलौने बनाने की कोई फैक्टरी हमारे देश में नहीं है ? दस रूपये से लेकर हजार रूपये तक के ये खिलोने चाइना से बन कर आ रहे है , क्या ये सारे खिलोने लीगल तरीके से इंडिया आते है ( मतलब सारे टैक्स और लेवी चुकाकर )या ये खिलौने तस्करी के जरिए भारत में आ रहे है ? जब हमारे देश में इतनी बेरोजगारी है तो सरकार इन खिलोनो पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाती है ? प्रतिबन्ध लगने से खिलोने हमारे देश में बनने लगेंगे जिससे रोजगार का सृजन होगा .वैश्वीकरण (Globalization) के दौर में पता नहीं मेरी ये सोच कितनी तार्किक और व्यवहारिक है , खुद मुझे पता नहीं !
ये सारे सवाल मेरे मन में तब आये जब मेरे बेटे(माधव) का एक दोस्त नमन कल मेरे घर आया था . उसने माधव का एक खिलोना लिया और पीछे लिखे हुए लाइन को पढ़ा "मेड इन चाइना " . ये बाते माधव ने सूनी और कल से ही" मेड इन चाइना"- "मेड इन चाइना" का रट्टा मार रहा है .माधव के पास लगभग सभी खिलोने "मेड इन चाइना " ही है , क्या करे "मेड इन इंडिया " टैग की बाजार में कुछ मिलता ही नहीं . हां एक लकड़ी की गाड़ी है जो उसके मामा शिमला से लाये थे वो मेड इन इंडिया है .कुछ और खिलोने है जो "मेड इन इंडिया" है पर वो अल्पसंख्यक की सूची है . बहुसंख्यक तो "मेड इन चाइना" ही है .
खैर माधव को इस बात से क्या मतलब ! उसे तो अपने सारे खिलोनो से बहुत प्यार है खासकर अपनी खिलोना कारों से .इन खिलोना कारों से माधव कितना प्यार करता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि माधव हर रात अपने किसी ना किसी खिलौना कार को लेकर ही सोता है और सुबह जगते ही उसी के बारे में पूछता है .
आज भी सुबह माधव जगते ही हाथ में खिलोना कार ली और बोला, "मेड इन चाइना ".
Made in India
Made In China
4 comments:
कल तक जब भारत में मेड इन चाइना खिलौने नहीं आ रहे थे तब ही कौन से भारतीय उत्पादक अच्छे खिलौने बना रहे थे !
हो सकता है शायद अब खरबूजा रंग बदले
सर्कार प्रतिबन्ध न भी लगाये ,यदि हम देश वासी संकल्प करें कि विदेशी माल नहीं प्रयोग करेंगे तब भी बात बन जायेगी.
खिलौने तक ही मेड इन चाइना ठीक है। चाइनीज ब्रेन-ना बाबा ना........
तर्कशीलता और व्यावहारिकता का तो मुझे भी पता नहीं. लेकिन सुझाव सचमुच अच्छा है और अगर भूले से कहीं हमारी सरकार
इस पर अमल करने का जरा सा भी विचार कर ले तो सचमुच हालात बदल सकते हैं, कितने ही बेरोज़गार रोज़गार पा सकते हैं. मैं और मेरा परिवार कैलिफोर्निया में रहते हैं और यहाँ पर सिर्फ खिलौने ही नहीं लगभग हर जरुरत की चीज, चाहे कपड़े हों या बर्तन, खिलौने हों या घरेलू सामान गर्ज़ ये कि लगभग सबकुछ मेड इन चाइना ही होता है. मेरी सात साल की बेटी कोई भी सामान उठा कर देखती है और नाराज़गी भरे स्वर में कहती है सब कुछ मेड इन चाइना ही क्यूँ है हम खुद कुछ क्यूँ नहीं बनाते. उसके लिए "हम" से मतलब USA से है, क्योंकि वह यहीं पर जन्मी है. देशों के नाम अलग हैं लेकिन भावना उसकी भी वही है "मेड इन चाइना क्यों ? हम क्यों नहीं "
मंजु
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