Monday, August 16, 2010

टर्टल

ये टर्टल है , ये मेरी नानी बक्सर से मेरे लिए लाइ थी . बहुत सुन्दर है ये खिलौना . पहली बार जब इसे देखा तो थोड़ा डर सा लगा था . टर्टल की गर्दन हिल रही थी , पूंछ भी घूम रही थी , साथ ही साथ उसकी पीठ पर एक डायनासोर भी बैठा था और वो भी हिल रहा था , पर धीरे धीरे डर जाता रहा और अब ये मेरा सबसे अच्छा खिलोना है .

9 comments:

Shah Nawaz said...

अरे वाह, यह टर्टल तो वाकई बड़ा अच्छा है....

Shah Nawaz said...
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राज भाटिय़ा said...

टर्टल अरे बाबा मुझे तो अभी भी डर लग रहा है.....

मनोज कुमार said...

कितना बढिया है।
घूमता है तो बत्ती जलती है।

वीना श्रीवास्तव said...

पहले डर लगा अब तो दोस्त है न..?

Chinmayee said...

मुझे भी पसंद आया

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर ।

कुमार राधारमण said...

बालमन से डर निकल जाना ही अच्छा।

दिगम्बर नासवा said...

वाह वाह ... कीत्यना अच्छा खिलोना है ... दोस्त को भी खेलने देना इससे ...

 
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