करीब दस दिन के दिल्ली प्रवास के बाद मेरे नाना नानी वापस चले गए . हजरत निजामुद्दीन से उनकी ट्रेन थी , उनको ट्रेन तक छोड़ने मै स्टेसन भी गया था . नाना नानी जब गरीब रथ में बैठे तो मै भी उनके साथ बैठ गया , अब ट्रेन छूटने की घड़ी आई तो पापा और मामा मुझे नीचे उतारने लगे , मै खूब रोया , फिर लगा की नीचे उतरना ही पडेगा तब चुप हो गया. जाते समय नानी ने मुझे आइसक्रीम खाने के लिए पैसे भी दिए .
दिल्ली प्रवास के दौरान नानी ने कमला नगर से मेरे लिए नए कपडे खरीदे . उन्होंने मेरे लिए एक सायकिल भी खरीदी, ये मुझे बहुत पसंद आयी , जिस दिन सायकिल घर आयी थी , उस दिन मै रात बारह बजे तक को सायकल चलाता रहा . बाके सारे खिलौने सायकिल के आगे फीके हो गए . जब अगले दिन मेरा दोस्त नमन और तनु मेरे घर आये , उनकी नजर सायकिल पर पडी , पर मैंने उनको सायकिल छूने भी नहीं दिया
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22 comments:
ये तो बहुत बढ़िया साईकिल दिला गई नानी...अब इस पर बैठकर आईसक्रीम लेने जाना. :)
मुझे लगता है,कुछ देने की आदत बचपन से ही डालनी चाहिए। दोस्ती के आगे साइकिल की बिसात ही क्या!
मैं चाहूंगा कि नाना-नानी को आप उनकी गैर-मौजूदगी में भी शिद्दत से याद करें। बड़ों को बच्चों के स्नेह के अतिरिक्त कुछ नहीं चाहिए।
वाह !!! माधव जी आपकी तो खूब मस्ती रही नानी का जो संग रहा !! आप पटना मेंभी रहे जानकर बढया लगा.आएश की भी नानी गया में रहती थीं अब हजारीबाग में हैं.
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पहला फ़ोटो देखकर तो मुझे लगा,
तुम इस पर बैठकर सवारी का मज़ा लोगे,
पर यह तो तुम्हारे हाथ की सवारी के मज़े ले रही है!
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माघव बेटा अपने खिलौने सभी के साथ बाट कर खेलते है यदि तुम अपने दोस्तों को अपने खिलौने नहीं दोगे तो वो भी तुमको अपने खिलौने नहीं देंगे तब क्या करोगे |
बहुत सुंदर साईकिल, अब जब मै आऊंगा तो हम दोनो इस साईकिल पर बेठ कर कमला नगर मै खुब घुमे गे, लेकिन बच्चे अपने दोस्तो को भी खेलने दो अपने खिलोनो के संग, अच्छॆ बच्चे बनते है, माधव तो है ही अच्छा बच्चा, ओर सुन कमला नगर मे सुना है गोलगप्प्ये बहुत स्वादिष्ट मिलते है, अरे यार वो रेडी वाले के पास......
साइकिल तो इतनी प्यारी है कि मैं अभी बच्चा बन कर चुरा लुंगा. आप तो सो भी चुके होंगे...!
बहुत सुन्दर है साईकल...वो भी पिंक ....
क्या बात है माधव भाई ,
बहुत अच्छा काम कर रहे हो
माधव बहुत पसंदीदा है
नाना नानी को प्रणाम बोलना
@ एमाला
मेरा जन्म पटना में हुआ है और मेरा होम टाउन आरा है .
@ anshumala
माघव बेटा अपने खिलौने सभी के साथ बाट कर खेलते है यदि तुम अपने दोस्तों को अपने खिलौने नहीं दोगे तो वो भी तुमको अपने खिलौने नहीं देंगे तब क्या करोगे
सही कहा आपने पर वो अपने खिलौना मुझे कभी नहीं देते है . उलटा अपना खिलौना दिखाकर मुझे ललचाते है , तो मै क्या करू ?
@ राज भाटिय़ा
भाटिया अंकल , कमला नगर में स्ट्रीट फ़ूड की भरमार है , कोल्हापुर रोड पर गोलगप्पे मिलते है . बंगलो रोड के पास कश्यप के आलू टिक्की और ब्रेड पकोडे तो उंगली चाटने पर मजबूर करते है . वही पास में बैष्णव चाट भण्डार पर तो सब चीजे मिलती है .
बेटा आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा. आपकी साइकिल से हमें भी अपने बचपन की साइकल याद आ गई लेकिन अच्छी बात यह है कि इससे आपको हमारी तरह चोट नहीं लगेगी सीखने में. अपना ख्याल रखना
वाह! बहुत बढ़िया साइकिल दिया है तुम्हें नानी जी ने! इतना सुन्दर साइकिल देखकर तो मुझे चलाने का मन कर रहा है! खूब मस्ती कर रहे हो अपने नाना जी और नानी जी के साथ है न?
क्या साइकल है.. डबलिंग करोगे?
प्यार..
आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार .
achha likhteh hin aap
Madhav aap bahut achchhe bachchhe ho!...smart aur sudar bhi ho!..apani harkaton se hame bhi pareshaan karate rahiegaa..bada maza aaegaa!..bye, bye...
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