रेफ्र्श्मेंट लेकर हम फिर मेला घुमने लगे , इतनी चीजे और इतने हाल थे की बस पूछो मत . घुनते घूमते थक गए पर मेला खत्म नहीं हुआ . पापा ने तो चार बजे ही सरेंडर बोल दिया , वो तो मम्मी थी की कुछ देर और घुमने को मिला . थकने के बाद हम फिर फ़ूड प्लाज़ा में गए , वहा पापा ने बिहार का लिट्टी चोखा खाया , मामा ने कर्नाटक के खाने से इडली खाया . आखिर में मम्मी ने मुझे जैकू खरीदा , जैकू कौन है , क्या है , और जैकू का नाम जैकू कैसे पडा ये बात कल बताउंगा , तब तक आप तसवीरें देखे .
बिहार पवेलियन की तस्वीर
बुलबुले छोड़ने वाला मशीन
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