Friday, December 4, 2009

सवेरे वाली गाडी

कल मै दादाजी के पास आरा (बिहार) जा रहा हूँ . हमें आरा गए हुए छह महीने हो गए है , हम दीवाली और छठ में भी आरा नहीं जा पाए थे , सो एक दिन दादीजी का अध्यादेश आया की माधव को लेकर जल्द से जल्द आरा आ जाओ . दादा दादी मुझे देखने के लिए बहुत अधीर हो गए थे अतः पापा ने घर जाने का प्लान बनाया , श्रमजीवी ट्रेन में टिकट भी करा लिया है. कितना दिन आरा रहना पड़ेंगा , दादाजी और दादीजी की आज्ञा पर निर्भर करता है , फिर मेरा नानाजी के घर जाने का भी प्रोग्राम बन सकता है, वैसे इस महीने मम्मी का जन्म दिन(९ दिसंबर ) और मम्मी पापा की मैरेज एनिवर्सरी(१३ दिसम्बर) भी है .अतः आगे से मै आरा के किस्से बताउंगा , मेरे सुखद यात्रा के लिए शुभकामनाये दीजिए .





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