कल यानी रवीवार (11/09/2011) को मै माधव को लेकर रेल म्यूजियम गया . माधव को ट्रेन से बहुत लगाव है. ट्रेन देखते की रोमांचित हो जाते है और चिल्लाने लगते है ट्रेन गाड़ी छुक ..छुक ....छुक ! दिल्ली में तो वैसे ही किसी सड़क पर निकल जाए मेट्रो रेल तो दिख ही जाती है , बस क्या ! मेट्रो देखते ही ट्रेन ट्रेन चिल्लाने लगते है .
ट्रेन की इस धुन को सही खुराक देने के लिए रेल म्यूजियम से अच्छी जगह और क्या हो सकती है . रेल परिवहन संग्रहालय नई दिल्ली में शांतिपथ, चाणक्यपुरी में 1977 में स्थापित किया गया था। करीब 12-14 एकड़ जमीन पर बने इस म्यूजियम में 1853 से 1994 तक के रेल परिवहन के इतिहास से जुड़े करीब 70 तरह के इंजन, क्रेन, सैलून कोच देखने को है । यही नहीं, रेलवे इतिहास से जुड़ी विदेशी वस्तुएं, जैसे पुराने मॉडल भी यहां पर उपलब्ध है ।
8 comments:
बहुत सुन्दर..
बहुत खूब... माधव आपने तो हमें भी रेल म्यूजियम की सुन्दर सैर करा दी...थैंक्यू!
waah madhav....khub masti karo....:)
हूँ देखा है हमने भी।
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