बटरफ्लाई माधव को बहुत आकर्षित करती है . बटरफ्लाई को ठीक से पहचान नहीं पाया है ,कीट पतंगों को भी बटरफ्लाई ही बोलता है . पिछले दिन अपनी कॉलोनी के पार्क में गया और बटरफ्लाई के पीछे -पीछे दौड़ा . बटरफ्लाई तो हाथ नहीं लगी , कुछ कीड़े हाथ आ गए . बोला .-"पापा -पापा देखो बटरफ्लाई"
Wednesday, September 14, 2011
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4 comments:
बच्चे मन के सच्चे .............
.....धन्यवाद् ...
बहुत खूब...
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कब तक ढ़ोना है मम्मी, यह बस्ते का भार?
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुनलो नई कहानी।
हा-हा! कोई भी कीड़ा बटरफ्लाई, कितना मज़ेदार! लगभग रक साल पहले तक मेरा छोटा भाई भी ऐसा ही समझता था ....
देखी रचना ताज़ी ताज़ी --
भूल गया मैं कविताबाजी |
चर्चा मंच बढाए हिम्मत-- -
और जिता दे हारी बाजी |
लेखक-कवि पाठक आलोचक
आ जाओ अब राजी-राजी |
क्षमा करें टिपियायें आकर
छोड़-छाड़ अपनी नाराजी ||
http://charchamanch.blogspot.com/
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