अबे माधब लगता हे सारा दिन लडियो के संग खेलता हे, इस लिये हर बात मे गी गी लगता हे, अजी इसे अभॊ से सीखाओ फ़र्क तभी यह सही बोलेगा, ओर एक दो बार समझाने के बाद एक दो बार इस का मजाक बनाओ, फ़िर देखॊ, यह माधब ही नही सभी बच्चे बोलते हे, जो लडकियो के संग खेलते हे, या लडकियां लडको की तरह से बोलना शुरु कर देती हे, मां बाप उन्हे शुरु से समझाये तो सब ठीक हो जाता हे.
मेरा नाम माधव हूँ.. .. मेरा जन्म मंजू गीता मिश्रा होस्पीटल पटना में हुआ .आज कल मै मम्मी - पापा के साथ दिल्ली में रहता हूँ.सबका लाडला हूँ और खूब शैतानियाँ करता हूँ . इन सबको सहेज कर पापा (मृत्युंजय कुमार राय) ने ये ब्लॉग बनाया है जहां आप मेरे जहाँ को देख- पढ़ सकते है.
पापा का अपना ब्लॉग भी है - http://qsba.blogspot.com/
6 comments:
अबे माधब लगता हे सारा दिन लडियो के संग खेलता हे, इस लिये हर बात मे गी गी लगता हे, अजी इसे अभॊ से सीखाओ फ़र्क तभी यह सही बोलेगा, ओर एक दो बार समझाने के बाद एक दो बार इस का मजाक बनाओ, फ़िर देखॊ, यह माधब ही नही सभी बच्चे बोलते हे, जो लडकियो के संग खेलते हे, या लडकियां लडको की तरह से बोलना शुरु कर देती हे, मां बाप उन्हे शुरु से समझाये तो सब ठीक हो जाता हे.
नहीं मानता है तो उसे बिंदी लगाएं और चूड़ी पहनाएं ,साथियों के मजाक से घबरा कर सही हो जाएगा.
हा..हा..हा..मजेदार वाकया रहा यह तो.
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