शनिवार को घुमने प्रगती मैदान गया था . बहुत उमस था , हल्की बारिस हुई और उमस दुगुनी हो गयी . खैर मम्मी के कहने पर पापा प्रगती मैदान ले गए . वहा एक एक्सपो लगा हुआ था . मानसरोवर झील पानी से लबालब थी. झील में पानी देखकर बहुत अच्छा लगा , पिछले बार जब हम मई में वहां गए थे तो झील में एक बूंद भी पानी नहीं था , पर इस बार पानी था. दो घंटे हम वहां रहे फिर चांदनी चौक गए . वहां गुरुद्वारा सीशगंज साहिब में जाकर मत्था टेका .गुरुवाणी सूनी . फिर पराठे वाली गली गए , पर पराठे नहीं खाए , वहां के दूकान में गन्दगी थी . फिर हम पेट पूजा करने हल्दी राम, रेस्टोरेंट में गए .वहां हमने छोले भटूरे , राज कचोरी और नुडल्स खाए फिर घर वापस
Monday, July 19, 2010
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19 comments:
वहां हमने छोले भटूरे , राज कचोरी और नुडल्स खाए फिर घर वापस ...Akele-akele, Kuchh idhar bhi Parcel karo Madhav.
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
Chhole-Bhathure....Yami-Yami.
mast.. maujaa hi mauja..
love
@ संगीता पुरी
सही कहा आपने , भठूरे पापा ने उडाये मुझे तो बिलकुल भी नहीं दिया
आपके साथ यह सफ़र अच्छा रहा।
अरे सोना, यह सब चटर-पटर खाते वक्त हम सबको भी याद कर लिया करो। तस्वीरें देखकर तो जी ललचा गया। वैसे हल्दीराम की उस दुकान पर 2008 में एक दिन लंच किया था। हां परांठे वाली गली अभी तकी नहीं आजमाई। तुम्हारे मम्मी-पापा तुम्हें खूब तफ़रीह करवाते हैं। सही में, मौजां ई मौजां तुम्हारी तो।
संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
संगीता पुरी July 21, 2010 4:33 PM
घूमने तक तो सही है .. पर इतना छोटा माधव .. और इतने बडे बडे भटूरे .. तूने खाया कैसे ??
तुम्हारे साथ सैर सपाटा करके मज़ा आगया माधव !
तुम्हारे साथ सैर सपाटा करके मज़ा आगया माधव !
ओहो हो हो
भटूरा तो माधव के मुंह से भी बडा है।
इस पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है!
माधव जी आपका ब्लाग बहुत अच्छा है आपके पापा आपसे बहुत प्यार करते है तभी तो उन्होने आपने ही क्षण को कैमरे में कैद किया है बहुत अच्छा ।
गंगा के करीब विजट करने का शुक्रिया।
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