माधव अब धीरे -धीरे नए स्कुल में अडजस्ट करने लगा है . नए स्कुल का पहला दिन बहुत मुश्किल भरा था . स्कुल वैन को देखते ही रोने चिल्लाने लगा , किसी तरह वैन पर बैठाया पर रोता ही रहा . अपने बच्चे को रोता बिलखता देखना बहुत कष्टकारी होता है पर दिल को मजबूत करना ही पड़ता है . खैर नए स्कुल ने जाते दस दिन हो गए है और जनाब अब एडजस्ट हो रहे है .
कल स्कुल से घर आये तो मम्मी से पूछा कि मै बड़ा कब होऊँगा ? पूछने पर बड़ा होने के लिए तीन कारण बताया
१. मै डोर बेल खुद से बजाऊँगा
२. जैसे पापा कार चलाते है मै भी चलाउंगा
३. पापा के जैसे बाइक भी चलाउंगा
तेरी ऊँची शान है मौला , मुझको भी तो लिफ्ट करा दे
2 comments:
माधव, इत्ती भी क्या जल्दी है बड़े होने की. मैं तो सोचती हूँ कि छोटी ही रहूँ और खूब मस्ती करूँ.
pahi sahi kah rahi hai...abhi khoob khelo aur padhai karo...jaldi bade ho jaoge:)
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