दिल्ली मे आज कल नर्सरी  मे एडमिसन चल रहा है . तमाम पारेंट्स अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए स्कूलों का ख़ाक छानते फिर रहे  है. अखबारों मे स्कुल के एक एक पन्नों के विज्ञापन आ रहे है . पिछली साल मै भी माधव के एडमिसन के लिए कई स्कूलों मे घुमा था. लिंक यहाँ है   .  दिल्ली के पारेंट्स मे बच्चों के एडमिसन के लिए हो रहे दर्द को मै महसूस कर सकता हूँ क्योकि पिछले साल मैं भी इस दौर से गुजरा था . मुझे याद है जब पहली लिस्ट मे माधव का नंबर किसी भी स्कुल मे नहीं आया था तो कितनी निराशा हुई थी ! तमाम दौड़ भाग के  बाद माधव का एडमिसन जब मोंट फोर्ट स्कुल मे हुआ था तो कितनी खुशी हुई थी बयाँ नहीं कर सकता !
आज कल मुझे रोज दो चार फोन आ रहे है . कुछ मित्र , कुछ मित्रों के मित्र  और अन्य कई लोग मुझसे स्कुल मे एडमिसन के लिए बात करते है . कुछ लोग  स्कूलों की रैंकिंग {HT-C Fore Ranking}के बारे मे पूछते है .  कुछ स्कूलों के बारे मे जानकारी लेते है . कुछ मित्र पूछते है कि कुछ ले देकर भी एडमिशन होता है क्या ? कुछ जानकार , अपने बच्चों के सर्टिफिकेट अटेस्ट कराने के लिए आते है .  
अभिभावकों को उधेड़बुन मे डालने का काम दिल्ली के अखबारों ने भी किया है . हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार हर साल दिल्ली के स्कूलों का एक सर्वे कराता है और उसके आधार पर टॉप टेन स्कूलों की एक रेटिंग निकालता है {इस साल की रेटिंग यहाँ पढ़े } . बस , अब ये रेटिंग ही समस्या पैदा करती है . लोग अखबार पढते है और चाहते है कि उनका बेटा उन्ही स्कूलों मे पढ़े . 
पर मेरी सलाह है कि लोग इन रेटिंग पर खास  ध्यान ना दे और अपने लाड़ले का स्कुल चुनते समय इन कुछ बातो पर ध्यान दे :
स्कुल आपके घर के आस पास हो {घर से चार किमी  की दूरी पर्याप्त है }
स्कुल  आने जाने के लिए यातायात सुविधा हो 
स्कुल के पास अपना प्ले ग्राउंड हो 
स्कुल की छवि धर्मनिरपेक्ष हो 
अंतिम बात बच्चे  का एडमिसन कही ना कही हो ही जाएगा अतः जब पहली लिस्ट मे नाम आ आये तो अपना दिल छोटा ना करे . शुभकामनाएँ
 
 

 
 
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