Tuesday, October 26, 2010

मेरा कारनामा

कल पापा -मम्मी , बड़े पापा के साथ ड्राइंग रूम में बाते कर रहे थे , मै दूसरे कमरे में खेल रहा था . खेलते खेलते मेरे हाथ पापा की एक कॉपी लग गयी , बस क्या था , एक-एक पन्ना के चीथड़े उड़ा दिए . जब सारी कॉपी फाड़ डाली तब कोई कमरे में आया . तब तक ,बहुत देर हो चुकी .मै हंस कर दूसरे कमरे में भाग गया . अब तो बस एक तस्वीर ही ली जा सकती थी , मेरे उत्पात के प्रमाण की .आप भी देख ले



कापी के चीथड़े

एक एक पन्ना अलग अलग


उत्पात करने के बाद हंसता हूँ , फिर कोई कुछ कहे भी तो कैसे

Monday, October 25, 2010

बड़े पापा के साथ भारत द्वार (इंडिया गेट)


बड़े पापा , पापा और मम्मी के साथ कल भारत द्वार( इंडिया गेट ) गया . हमारा सबसे प्यारा पिकनिक स्थल इंडिया गेट ही है और वहाँ गए कई दिन हो गए थे. रात में इंडिया गेट जाने और वहाँ के खुले फील्ड में घूमना मुझे बहुत पसंद है . इंडिया गेट जाने पर तीन चार चीजे हर बार कॉमन होती है जैसे एक बाल खरीदना , बबल फेकले वाली मशीन लेना , कुरकुरे खाना और लौटते रास्ते में कही खाना खाना .

तो ये सारी बाते कल भी हुई . इंडिया गेट पर बड़े पापा ने मेरे लिए एक बाल खरीदी , बबल फेकने वाली मशीन ली , मैंने भी कुरकुरे खाया और लौटते समय मेरठ वाले रेस्तरा में हम सबने खाना खाया .














24/10/2010 को रेट लिस्ट

Friday, October 22, 2010

इनक्रेडिबल स्पीति ( Incredible Spiti)

पापा के दोस्त संजीव अंकल जो हमारे पड़ोसी है , दशहरे की छुट्टी के समय पापा को लाहुल -स्पीती ( हिमाचल प्रदेश ) चलने के लिए कह रहे थे . लंबा प्रोग्राम और पारिवारिक कारणों से पापा नहीं जा सके . कल संजीव अंकल स्पीती से घूम कर आ गये . स्पीति की तसवीरें देखकर पापा हैरान रह गये . स्पिति हिमाचल परदेश का एक जिला है जो छह महीने बर्फ के चलते देश से कटा होता है . काजा शहर स्पीती का केंद्र है जो ४००० मीटर की उचाई पर स्पीति नदी के तट पर बसा हुआ है . बौद्ध मोनास्ट्री से भरा हुआ ये क्षेत्र बहुत सुंदर है . काजा मनाली से लगभग २०० कि मी की दूरी पर है . मनाली से सुबह में एक बस काजा के लिए खुलती है जो ११-१२ घंटे में काजा पहुचाती है . काजा से ही कुछ दूरी पर दुनिया का सबसे उचाई पर बसा हुआ गांव है ( Khibber Village) .

काजा के आस पास के दर्शनीय स्थल - Kye Monastery, Chandratal Lake, Khibber Village,Lanza Village,Komic Monastery(the world’s highest motorable monastery at 4587 mts), Pin Valley National Park, Dhankar Monastery, Tabo Monastery



उनके द्वारा ली हुई कुछ तसवीरें





काजा शहर का दृश्य

स्पीति नदी

एक गांव

काजा शहर

स्पीति वैली के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए संजीव अंकल के एक दोस्त ने एक वेब साईट बनाई है http://www.incrediblespiti.com/ यहाँ स्पीति वैली के बारे में पूरी जानकारी ली जा सकती है .

Thursday, October 21, 2010

बड़े पापा आये , साइकिल लाये


दशहरे की अगली सुबह मेरे बड़े पापा आरा से दिल्ली आये . श्रमजीवी एक्सप्रेस से सुबह में ही बड़े पापा आ गए . वो आरा से मेरे लिए खुरमा लाये थे . उसी दिन शाम को उन्होने मेरे लिए सायकिल खरीदाने को कहा .फिर उन्होंने माल रोड पर स्थित पंजाब सायकिल स्टोर से एटलस कंपनी की सायकिल ( १४ से मी ) खरीदी . सायकिल पाकर मै सातवे आसमान पर हूँ .अभी चलाना नहीं आ रहा है , मम्मी पापा की सहायता से सायकिल की सीट पर बैठ जा रहा हूँ पर पैर छोटे पड़ रहे है और सायकिल के पैडल पुरे घूम नहीं पा रहे है. हां घंटी मारने में खूब मजा आ रहा है .

बड़े पापा अभी दिवाली तक मेरे साथ ही रहेंगे. खूब मजा आयेंगा .












सायकिल की दूकान पर

Maadhav Archive: अक्टूबर २०१० में दिल्ली में एटलस की १४ इंच की सायकिल का मूल्य रु २५०० है .

Tuesday, October 19, 2010

दशहरा -2010


विजय दशमी को (17/10/2010) हम शाम में दशहरा देखने मुखर्जी नगर रामलीला मैदान गए . वहाँ पर राम लीला का मंचन चल रहा था . राम लीला में राम -कुम्भकर्ण युद्ध हुआ , फिर लक्षमन -मेघनाद युद्ध हुआ और आखिर में भगवान राम ने रावण का संहार किया . राम लीला मैदान में खूब भीड़ भाड थी . बहुत सारे लोग आये हुवे थे , बच्चे अपने माँ -पिटा के कंधे पर बैठ कर राम लीला देख रहे थे.मै भी बारी बारी से मम्मी पापा और मामा के कंधे पर सवार रहा . रावण के मरते ही आतिस बाजी शुरू हो गयी ,और मेरा डर के मारे बुरा हाल था . कभी मम्मी . कभी पापा , कभी मामा के गोद में चिपक कर छुप जाता . फिर रावण , मेघनाद के पुतलों में आग लगाईं गई , इतने तेज पटाखे फूटे की मैने डर के मारे आखे बंद कर ली. खैर किसी तरह वो पल बीता , फिर मेले से मेरे लिए मम्मी ने गदा और तलवार खरीदी . घर आने से पहले हम अग्रवाल स्वीट की दूकान पर गए , जलेबिया खरीदी गयी, फिर हमने घर आकार जलेबियाँ खाई .



पायजामा -कुर्ते में



पापा और मामा के साथ ( पीछे रावण का पुतला है )


पटाखे फूटना शुरू हुआ और मेरी सिट्टी -पिट्टी गम


मै सो नहीं रहा ! पटाखों के डर से आखे बंद की है

जलेबियाँ


घर आ कर जान में जान आयी , अपनी गदा के साथ

.

Monday, October 18, 2010

नवमी: अनुराधा पौडवाल के भजन के साथ


नवमी (16/10/2010)को मै मम्मी पापा और मामा के साथ हम नोएडा गए , वहाँ अनुराधा पोडवाल जी का भजन का प्रोग्राम था .. सुपर टेक के प्रोजेक्ट केप टाउन का भूमि पूजन था . आयोजक की तरफ से हमें निमंत्रण मिला था .दोपहर में हम सब वहाँ पहुचे. अनुराधा पोडवाल जी का भजन चल रहा था. वहाँ हम बच्चों के लिए बहुत कुछ था . रेल गाड़ी , हवाई जहाज , घोड़ा इत्यादि . मैंने रेल गाडी की सवारी की , पर बाकी किसी चीज के लिए मना कर दिया . भजन सुनने के बाद हमने , छोले भठूरे, पाँव भाजी , टिक्की और कुलचे खाए .





माता का दरबार


माता का दरबार


अनुराधा पोडवाल जी


रेल गाड़ी

पानी का डब्बा ने मुझे आकर्षित किया




रेल गाड़ी पर माधव

घोड़े पर नहीं बैठना है




ट्रेन की सवारी


महा अष्टमी की तसवीरें

महा अष्टमी ( 15/10/2010) को मै मम्मी, पापा और मामा के साथ काश्मीरी गेट दुर्गा पूजा समिती के दुर्गा पूजा पंडाल में माँ की अर्चना करने गया गया था . वहाँ मैंने बंगाल का Dhunuchi Naach देखा .

वहाँ की कुछ तसवीरें



जय माता दी


जय माता दी





स्पेसल नृत्य, Dhunuchi Naach

Sunday, October 17, 2010

हैपी दशहरा




Saturday, October 16, 2010

दुर्गा पूजा पर शुभकामनायें




Friday, October 15, 2010

अलविदा शेरा


कल कामनवेल्थ गेम्स समाप्त हो गया . तीन अक्टूबर से शुरू खेलो का कुम्भ कल खत्म हो गया . मैंने भी तीन खेलो का मजा लिया , हॉकी , साइकलिंग और रग्बी . शेरा को मैंने खूब पसंद किया , उसके तसवीरें खिचाई . मेरे लिए इस कामन वेल्थ गेम्स की याद शेरा ही है जिसे मै काटू कहता हूँ.

Common Wealth Games: By Madhav's Eye view



शेरा (काटू) के साथ एक क्लिक



एक और



असली नायक पुरे 101


रग्बी सेवेन मैच का एक नजारा


पापा रग्बी देखने गए है या फोटो खिचाने !


आसमान में उड़ते पक्षियों (बाज) का राज क्या है ?

Thursday, October 14, 2010

मेरी ड्राइविंग


आज कल मै नक़ल खूब कर रहा हूँ . पापा को हेलमेट पहन कर बाइक चलाते देख कर मै भी हेलमेट पहन कर अपना थ्री व्हीलर चलाता हूँ . पापा को गाड़ी चलाते देख मेरा मन भी हिलोरे मारने लगा है, गियर बदलने का मन करता है. जिद करके ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता हूँ , चाबी लगाता हूँ , गाना बजने लगता है फिर खूब स्टीरिंग घुमाता हूँ .पापा इसे आभासी ड्राइविंग कहते है .













 
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