Monday, September 26, 2011

ये कौन सा पक्षी है !

कल मेरे घर के पीछे बिजली के खंभे पर एक बड़ा पक्षी आकर बैठा . देखने से तो ईगल प्रजाति का लग रहा था पर मुझे इसका नाम नहीं पता ! वैसे इसको देखकर बड़ा अच्छा लगा . दिल्ली जैसे शहर में ऐसे पक्षियों की मौजूदगी सुखद एहसास है .






Thursday, September 15, 2011

बारिस

आज मेरी और माधव की नींद बारिस के आवाज के कारण खुली . सुबह में खूब तेज बारिस हुई . माधव नींद से जग कर बोला , " पापा बारिस हो रही है ". मौसम विभाग बोल रहा है कि इस साल १० फीसदी कम बारिस हुई है पर दिल्ली में तो रोज बारिस हो रही है .

बारिस से मेरे गमलो में जबरदस्त हरियाली है . चम्पा में फुल खिले है , पिंक कलर के फुल . आरी पाम अपने शबाब पर है . हरियाली की वजह से गिलहरी , कबूतर , मैना मंडराते रहते है . माधव जब कभी भी रोता है , कबूतरो को दिखाता हूँ , रोना भूलकर कबूतर देखने लगता है .



























Wednesday, September 14, 2011

बटरफ्लाई

बटरफ्लाई माधव को बहुत आकर्षित करती है . बटरफ्लाई को ठीक से पहचान नहीं पाया है ,कीट पतंगों को भी बटरफ्लाई ही बोलता है . पिछले दिन अपनी कॉलोनी के पार्क में गया और बटरफ्लाई के पीछे -पीछे दौड़ा . बटरफ्लाई तो हाथ नहीं लगी , कुछ कीड़े हाथ आ गए . बोला .-"पापा -पापा देखो बटरफ्लाई"


















Monday, September 12, 2011

रेल म्यूजियम दिल्ली :अभी भी छुक-छुक करती है फेयरी क्वीन


कल यानी रवीवार (11/09/2011) को मै माधव को लेकर रेल म्यूजियम गया . माधव को ट्रेन से बहुत लगाव है. ट्रेन देखते की रोमांचित हो जाते है और चिल्लाने लगते है ट्रेन गाड़ी छुक ..छुक ....छुक ! दिल्ली में तो वैसे ही किसी सड़क पर निकल जाए मेट्रो रेल तो दिख ही जाती है , बस क्या ! मेट्रो देखते ही ट्रेन ट्रेन चिल्लाने लगते है .

ट्रेन की इस धुन को सही खुराक देने के लिए रेल म्यूजियम से अच्छी जगह और क्या हो सकती है . रेल परिवहन संग्रहालय नई दिल्ली में शांतिपथ, चाणक्यपुरी में 1977 में स्थापित किया गया था। करीब 12-14 एकड़ जमीन पर बने इस म्यूजियम में 1853 से 1994 तक के रेल परिवहन के इतिहास से जुड़े करीब 70 तरह के इंजन, क्रेन, सैलून कोच देखने को है । यही नहीं, रेलवे इतिहास से जुड़ी विदेशी वस्तुएं, जैसे पुराने मॉडल भी यहां पर उपलब्ध है























Thursday, September 8, 2011

दिल्ली में भूकंप

कल रात (बुधवार , ०७ सितम्बर २०११ ) 11 बजकर 27 मिनट पर दिल्ली में भूकंप के झटके आये . माधव जी सोने से पहले अपनी गाड़ी से खेल रहे थी , तभी भूकंप आया और आवाज हुई . माधव डरकर मेरे पास आ गया , मै भी डर गया . झटका ज्यादा लंबा नहीं था पर डरा गया .

वैसे दिल्ली पर कल शनि का साया था . दिन में हाई कोर्ट के पास बम ब्लास्ट हुआ जिसमे ११ बेगुनाहों की जान गयी और रात में भूकंप .

भगवान सबको सद्वुद्धि दे . आमीन

Saturday, September 3, 2011

छोटा भीम



"छोटा भीम" माधव का सबसे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर है . स्कुल से घर आने के बाद सबसे पहले "छोटा भीम" देखते है. सारे कैरेक्टर के नाम भी याद है जैसे कालिया , छुटकी , राजू . मंकी आदि .

माधव पर "छोटा भीम" का इफेक्ट -
"छोटा भीम" देखने का इफेक्ट भी है . "छोटा भीम" स्ट्रोंग और पॉवर फुल है . माधव भी छोटा भीम की तरह स्ट्रोंग और पॉवर फुल बनने के नाम पर दूध पी लेते है. "छोटा भीम" लड्डू खाता है , सो माधव ने लड्डू की मांग की . माधव बोलते है मै भी स्ट्रोंग और पॉवर फुल बनूंगा .



वैसे मेरा मानना है कि टी वी पर आने वाले कार्टून प्रोग्राम में "छोटा भीम" सबसे अच्छा है . कारण , सबसे पहले, "छोटा भीम" की पृष्ठभूमी भारतीय गांव की है, प्रोग्राम में कृष्णा और बलराम की भी गेस्ट एंट्री कभी-कभी होती है . रोज की परम्पराए ,रीती रिवाज और सारे चीजे लगभग भारतीय है और वास्तविकता से नजदीक लगती है .इसके अलावा सबसे अच्छी बात जो "छोटा भीम" में है वो ये कि छोटा भीम बहादुर है , उद्यमी है , बुद्धिमान है , सामजिक कार्य करता है , दुश्मनों से अपने गांव(ढोलक पुर ) और देश को बचाता है, कहा जाय तो छोटा भीम रियल हीरो है . छोटा भीम में हिम्मत है , बुद्धिमत्ता है , खाने के शौक है और जरूरतमंद लोगों की मदद करने की आदत है .
"छोटा भीम" बेहतर , साफ़ सुथरा और एंटरटैनिंग कार्टून है .

BLAST FROM THE PAST (Vol-53) - GGCOM-CB53A

माधव के कार्टून प्रोग्राम उनके मनपसंद के आधार पर -
१. छोटा भीम
२. टॉम एंड जेरी
३.बेन १०
४. डोरेमोन

Friday, September 2, 2011

दक्ष , अमित और सौम्या पांड्या


माधव ने अब स्कुल के सहपाठियों का जिक्र करना शुरू कर दिया है. कल शाम को बोला , " पापा ! आज न .. मेरा लंच(Lunch) ...सौम्या पंड्या ने खा लिया " . थोड़ी देर बाद फिर बोला , "पापा आज न ...मैम ने दक्ष को डांटा! मैंने माधव से पूछा , क्यों ? तो माधव बोला "दक्ष ने क्लास में पोटी की थी ना ! इस लिए डांटा "

माधव के मुख से निकली ये सारी बातें बहुत अच्छी लगती है . मै बार -बार सारी चीजे उससे पूछता हूँ और वो जबाब देता है . फिर उब जाता है और बोलता है कल बताउंगा.अभी तीन सहपाठियो का नाम याद हुआ है जिनके नाम है- दक्ष , अमित और सौम्या पांड्या .


 
Copyright © माधव. All rights reserved.
Blogger template created by Templates Block Designed by Santhosh
Distribution by New Blogger Templates