माधव का मुंडन तीन सितम्बर २०१० को हुआ था . बाल तो अभी अभी थोड़े थोड़े ही बड़े हुए है पर साइड की कलम बड़ी हो गयी है . आरा में ही मै माधव को लेकर नाई की दूकान पर गया था पर माधव ने बाल नहीं कटाए . कुर्सी पर बैठते ही खूब जोर जोर से चिल्लाने लगा . उसका रौद्र रूप देख नाई की भी काटने की हिम्मत नहीं हुई , उसने मना कर दिया और बोला कि जब बच्चा थोड़ा और बड़ा हो जाए तब कटवा लेना.
खैर उसके बाद हम दिल्ली आ गए . दिल्ली में मै और माधव की मम्मी , माधव को लेकर बिग बॉस नामक एक सलून में गए . मगर जनाब वहाँ भी अकड गए , "मुझे बाल नहीं कटाना है " कह कर रोने लगा . मम्मी को लगा मेरा बेटा मेरी बात नहीं टालेगा, सो उन्होंने माधव को खूब फुसलाया , मनाया और आखिर में धमकाया भी , पर रिजल्ट शून्य रहा . मै माधव को लेकर बैरंग ( बिना बाल कटे ) घर आ गया . सोचा फिर कभी !
पर ११ दिसंबर, २०१० को माधव के मामा घर आये . माधव का अपने मामा से खूब पटती है . बातो बातो में माधव अपने मामा के साथ उसी सैलून में गया और बाल कटवा लिए . जब मामा -भांजा घर आये तो हम माधव के कटे बाल देख हैरान रह गए . सच ही कहा है बच्चा का दिल राजा का होता है , वही करता है जो उसका मन करता है .
बाल काटने से पहले
बाल काटने के बाद