Friday, April 30, 2010

माधव : ढोल वाला

मुझे ढोल बजाते कभी देखा है? नहीं ना ! आज दिखाता हूँ मै ढोल भी बजाता हूँ , पापा कहते है तबलची बनेगा
आप क्या कहते है ?

Thursday, April 29, 2010

आयरन मैन

इन दिनों मम्मी - पापा को खूब परेशान कर रहा हूँ . हर काम जो मुझे नहीं करना चाहिए वही कम कर रहा हूँ. पापा चाय पीते है तो कप में पानी डालने की जिद करता हूँ , कोई भी सामान उठा कर घर से बाहर फेक देता हूँ . मोबाइल , कलम , कंघी, खुरपी ,जूते, अपने खिलोने कुछ भी पाता हूँ सीधे घर से बाहर फेकता हूँ . बाहर घुमने की बीमारी (आदत) तो पुरानी है दिन पर दिन बढ़ती जा रही है .पीने के लिए ग्लास में पानी लेता हूँ और पुरे घर में पानी फेंकता हूँ , कभी कभी स्लीप भी हो जाता हूँ . पापा को टी वी नहीं देखने देता हूँ , टी वी देखने बैठते है तो सीधे स्वीच से ही टी वी बंद कर देता हूँ , जबरदस्ती कम्पूटर खोलने के लिए कहता हूँ , फिर मोनीटर के स्वीच से मोनीटर ओफ कर देता हूँ . शैतानियाँ इतनी है की गिनाई नहीं जा सकती है, मम्मी बहुत परेशान होती है तो पापा मम्मी का धैर्य बढाते है कहते है " माधव आज शैतानी नहीं करेगा तो कब करेगा ".
अब तस्वीर में ही देखिये , आयरन देखा मैंने और शुरू हो गया








Tuesday, April 27, 2010

नया ड्रेस




ये मेरा नया शर्ट है , कमला नगर में स्थित गुप्ता की दूकान से ली है . कैसी है ?

Friday, April 23, 2010

"कुछ नहीं" खाया है कभी ?





क्या आपने कभी" कुछ नहीं " खाया है ? जी हाँ "कुछ नहीं" ! चौंक गए ! "कुछ नहीं" एक आइसक्रीम है जो दिल्ली में ज्ञानी(GIANIS) नामक एक आइसक्रीम चेन की दूकान पर मिलती है . पिछले दिन जब हम मेट्रो से कनाट प्लेस गए थे तो राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर स्थित ज्ञानी(GIANIS) के आउटलेट पर इस "कुछ नहीं" आइसक्रीम के बारे में जाना . क्यों इसका नाम "कुछ नहीं" पड़ा ये कहानी भी लिखी हुई है , तो जब भी आप अगली बार दिल्ली आये कुछ खाए न खाए पर "कुछ नहीं" आइसक्रीम जरुर खाए .

Thursday, April 22, 2010

हैपी बर्थ डे ऋतू दीदी


आज ऋतू दीदी का जन्मदिन है . आज जब सुबह नींद खुली तो पापा- मम्मी, ऋतू दीदी को फोन पर जन्म दिन की शुभकामनाएं दे रहे थे , मैंने भी फोन लिया और अपने भाषा में ही दीदी को जन्म दिन की शुभकामनाये दी .




ऋतू दीदी के साथ मेरी तस्वीर (जनवरी २०१० की )


Wednesday, April 21, 2010

पहला गाना

झूम झूम लक लक लक ......... झूम झूम लक लक लक .........कोई पंजाबी गाना है , नमन ( मेरा दोस्त ) ये गाना गाता है और मैंने सुनकर सीख लिया , ये मेरा पहला गाना है . बिना किसी वजह के जब भी याद आता है , गाना शुरू कर देता हूँ झूम लक लक लक ......... . इस विडियो में गाया मैंने है और डांस भी मैंने ही किया है.

लाल किला की कुछ और तसवीरें








Tuesday, April 20, 2010

माधव का दिल्ली दर्शन ( Part-II)


कुतुबमीनार घुमने के अगले दिन भी हमारे मेहमानों का दिल्ली भ्रमण का प्रोग्राम बना . मम्मी ने पापा को भी ऑफिस नहीं जाने दिया . हम सभी फिर दिल्ली घुमने निकले , आज पापा भी थे . सबसे पहले लाल किला गए ,पापा ने टिकट कटाया , मेरा टिकट नहीं लगा , लाल किला बहुत बड़ा था . वहां हमने किले के अन्दर , लाहौर गेट , दीवान ऐ आम , दीवाने ख़ास , हम्माम , मोती मस्जिद, म्युजियम देखा . किला इतना बड़ा था की घूमते घूमते कई घंटे लग गए, धुप और गर्मी बहुत तेज थी सब थक गए और मै भी . पर मम्मी मेरे लिए बोतल में दूध लाई थी सो मै तो वही शुरू हो गया , पेट पूजा की, फिर घुमा .
लाल किला घुमने के बाद बाकी सभी को भूख लग गयी, सो के बाद हम चांदनी चौक आ गए , और गुरुद्वारा शीश गंज साहिब होते हुवे सीधे हल्दीराम की दूकान में प्रवेष कर गए . राज कचोरी , दही भल्ला , वेज नुडल्स और छोले चावल का आर्डर दिया गया . मेरा फेवरीट तो आप जानते ही है ! जी हाँ नुडल्स ! और मै लग गया नुडल्स खाने में . खाना खाने के बाद हम सब कनाट प्लेस के लिए निकले , तभी हमारे ग्रुप के एक सदस्य फूफाजी कही गम हो गए ,और एम् टी एन एल का नेटवर्क भी ख़तम हो गया . अब चांदनी चौक में कोई गुम हो जाए तो ढूढने में समय तो लगेगा ही , तो उन्हें ढूढने में कुल एक घंटे लग गए , फिर हम कनाट प्लेस गए , इनर सर्किल का एक चक्कर मारा और सीधे घर वापस.


लाल किला


लाहौरी गेट , लाल किला


दीवान -ऐ -आम में माधव


दीवान -ऐ -ख़ास में माधव

थक गया ,अब थोड़ी पेट पूजा भी ( पीछे मोती मस्जीद है )




हल्दी राम रेस्टोरेंट , चांदनी चौक में नुडल्स पूजा


Monday, April 19, 2010

मेरी १०० वी पोस्ट

आज मैंने सेंचुरी लगा ली है. ये मेरी १०० वी पोस्ट है . है ना खुशी की बात , तो नाच गाना हो जाए , तो देखे मेरा ये नाच

माधव का दिल्ली दर्शन ( Part-I)

पिछले सप्ताह मेरी मम्मी की बुआ जो इलाहाबाद में रहती है हमारे यहाँ आई थी . मम्मी की बुआ इलाहाबाद में रहती है और फूफाजी पंजाब नेशनल बैंक में काम करते है , वे लोग ,{ बुआ , फूफाजी , अनुराग (मामा) और निखिल ( मामा)}जम्मू , वैष्णो देवी , अमृतसर होते हुवे दिल्ली आये थे . अब उनका दिल्ली घुमने का प्रोग्राम था . बस क्या उनके प्रोग्राम में मै भी शामिल हो लिया और हम चले घुमने . सबसे पहले कुतुबमीनार गए , फिर लोटस टेम्पल , अक्षरधाम और आखिर में इंडिया गेट .इंडिया गेट आते आते थकान के चलते मुझे नींद आ गयी . दिन भर घूमते रहे हम , धुप बहुत तेज थी , और गर्मी भी . मम्मी ने मेरे लिए , एक तौली ले ली थी और मेरे सर पर रख दिया था , पर गर्मी से क्या फर्क पड़ता है , मुझे तो घुमने का मौका मिलना चाहिए .
तसवीरें भी है , देखे





मम्मी की बुआ के साथ कमल मंदिर में
निखिल मामा के साथ कमल मंदिर में

कुतुबमीनार में माधव , थ्री इडियट्स के साथ

माधव, मम्मी की बुआ के साथ , साथ में मम्मी भी है

कुतुबमीनार में माधव

कुतुबमीनार में माधव

Tuesday, April 13, 2010

ये क्या हो रहा है ?

तसवीरें में ध्यान दे , पैर की तरफ , जी हाँ जूते ! मेरे नहीं पापा के है, पर मैंने पहन रखे है. आज सुबह जब पापा ने शुज मांगे तो मैंने शुज लाया तो जरुर, पर खुद ही पहन लिया . ये मेरी पुरानी आदत है और दिन पर दिन बढ़ती जा रही है . पापा , मम्मी, मामा किसी के भी जूते , चप्पल को अपना ही समझता हूँ और पहन लेता हूँ. मै जूतों , चप्पल का प्रेमी तो हूँ और कभी भी बिना जूते /चप्पल के नहीं रहता , पता नहीं , दूसरों के जूते , चप्पल पहन कुछ ज्यादा ही मजा आता है . आज सुबह भी यही हुआ , बस क्या था , पापा ने कुछ स्नैप ले लिए , आप देखे , कैसे है !








नया स्वाद : टोमैटो केच अप


इन दिनों अपने खाने में एक नया डिस शामिल किया है "टोमैटो केच अप ". किचेन में जाकर मम्मी से फरमाईस करता हूँ , मम्मी फ्रीज से टोमैटो केच अप निकालकर एक कटोरी में चम्मच के साथ देती है और मै उसे धीरे धीरे खाता हूँ . ख़त्म होने के बाद "ख़त्म -ख़त्म" कहते हुवे फिर मम्मी के पास जाता हूँ , थोड़ा सा और मिल जाता है. खाने के दौरान कई बार टमाटर होठ और गाल पर लग जाते है और सभी हँस देते है







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Monday, April 12, 2010

माधव: बुआ के घर


कल मैंने नया शर्ट और पैंट पहना था , ये तो आपको पता चल चुका है . अब आगे की बताता हूँ , कल हम गुंजा बुआ के घर महरौली गए थे , गुंजा बुआ कुतुबमीनार के पास रहती है . कल बहुत गर्मी थी और "लू " भी चल रही थी सो मम्मी ने मुझे एक कैप पहना दिया . कैप तो मैंने पहन ली , पर मुझे कुछ ख़ास मजा नहीं आया सो रास्ते में ही मैंने कैप उतार कर कही फेक दी , फिर वो कैप मिली भी नहीं . गुंजा बुआ के घर पर अनुष( बुआ का लड़का ) (सात महीने ) से मिला , वो बहुत छोटा और बहुत क्यूट था . उसके पास बहुत से खिलोने थे , मै उसके सारे खिलोने से खेला , उसके वाकर पर मैंने वाक( Walk) किया . सात महीने के अनुष के दांत निकलने वाले थे सो उसे लूज मोशन हो रहा था , उसे पोटी करता देख मैंने भी पोटी की .
बुआ ने मुझे बहुत प्यार किया , फूफाजी ने कैडबरी की " दो रूपये में दो- दो लड्डू" वाला चाकलेट खिलाया , उनके घर में कम करने वाली मेड ( Maid) से भी मेरी दोस्ती हो गयी . रात आठ बजे हम वहां से वापस लौटने के लिए रवाना हुवे , सरोजनी नगर, चाणक्यपुरी आते- आते मुझे नींद आ गयी .







ये अनुष है , है ना प्यारा !


अनुष का वाकर मुझे अच्छा लगा

अनुष के पास बहुत से खिलोने थे , जैसे की ये



मेरी कैप, जो मैंने कल कही गुम कर दी

कैप में मेरी तस्वीर , कैसी है !

नया कपड़ा

ये मेरा नया कपड़ा है . कल मम्मी ने पहनाया . ये पैंट नहीं कैपरी है पर पापा को ये बात समझ में नहीं आती , वो तो कहते है की पैंट के तो दो ही प्रकार होते है फुल पैंट या हाफ पैंट , ये फुल और हाफ के बीच वाला उन्हें समझ में नहीं आता . नया कपड़ा पहना तो अब नया का मतलब समझ गया हूँ , खुद" नया "बोलना भी सीख गया हूँ और हर नयी चीजें दुसरो को दिखाता हूँ . तो नया कपड़ा पहन कर " नया -नया " बोला .
अब आप बताये कैसा है ये मेरा नया शर्ट और कैपरी ( पैंट) ?
है ना स्मार्ट !







Saturday, April 10, 2010

क्रिकेट और फुटबाल का फ्युसन ( क्रिकेट बैट के साथ फुटबाल का खेल )

मै हमेशा क्रिकेट बैट के साथ फुटबाल खेलता हु , है ना इम्प्रोवैजेसन( Improvisation) !
क्रिकेट है ही इम्प्रोवैजेसन( Improvisation) का खेल , जितना इम्प्रोवैजेसन( Improvisation), उतना ही सफल
आप भी देख ले

Friday, April 9, 2010

जिप्सी के साथ खेल

नए खिलौने और इंजीनियरिंग


इन दिनों मेरे खिलोनों का स्टोक बढ़ गया है , कई नए खिलोने मेरे स्टोक में ऐड हुवे है. खेलने की मौज हो गयी है . खिलोनों में सारी गाडिया ही है , जिप्सी , फेरारी , टैंक , सुमो . कभी जिप्सी चलाता हूँ , मर भर जाए तो फेरारी की सवारी कर लेता हूँ , एक गाडी तो रिमोट कण्ट्रोल से चलती है .इन खिलोनों ने मेरे दोस्तों में मेरी धाक जमा दी है और मेरे खिलोने चलाने के लिए मुझसे दोस्ती बढाने लगे है .
जिप्सी चलाते चलाते बोर हो गया तो , ऑटो मोबाईल इंजिनियर बन गया , जिप्सी के पुर्जे- पुर्जे खोल दिए , दोनों अलग कर दिया, पर इंजीनियरिंग फेल हो गयी ,और इंजन और चेसिस मुझसे नहीं जुड़े , फिर पापा -मम्मी ने मिलकर इंजन और चेसिस को एक साथ सिलो टेप लगाकर जोड़ा , तब जाकर जिप्सी फिर चलने लायक बन पायी , पर अब इस जिप्सी का महत्व कम हो गया है , मैंने इसको चलाना छोड़ दिया है , जनाब एक कोने में पड़े रहते है , अब केवल नमन ( मेरा दोस्त ) ही इनको चलाता है .
मेरी इंजीनियरिंग अब दुसरे खिलोनो पर जारी है ......................................




एक्सिडेंट हो गया

हाथ में फेरारी है , बीच में जिप्सी और सबसे आगे सुमो

सही हालत में जिप्सी

माधव इंजीनियरिंग के बाद जिप्सी का हाल

जाइलो की तसवीरें






है ना शानदार !

Thursday, April 8, 2010

नाना की जाइलो( XYLO)

नाना ने नई गाडी खरीदी है , महिंद्रा जाइलो. इससे पहले नाना के पास बोलेरो थी . काले रंग की बहुत ही सुन्दर और आरामदायक गाडी है और पता है गाडी में टी वी भी है ? वैसे मै किसी भी यात्रा में गाडी खुलते ही सो जाता हूँ और अगर गाडी ज्यादा आरामदायक हो तो नींद और जल्द आती है सो मै जब भी नई जाइलो में बैठा, जल्द ही नींद आ गई . आप गाडी देखे और बताये कैसी गाडी है ?

तसवीरें अपलोड नहीं हो पा रही है , थोड़ी देर बाद शायद अपलोड हो जाए .

Wednesday, April 7, 2010

कुर्सी


आरा और बक्सर में मेरे लिए कुर्सी खरीदी गयी थी , मै अपनी कुर्सी पर ही बैठता था , बहुत प्यार से संभाल कर रखता था मै अपनी कुर्सी . शान के साथ बैठता था उस पर . पर आरा से जब दिल्ली आया तो कुर्सी आरा में ही छुट गयी. यहाँ दिल्ली में कुर्सी थी नहीं . मम्मी ने पापा से मेरे लिए कुर्सी खरीदने को कहा , पापा ने सहमती तो दे दी पर कुर्सी नहीं आई . मम्मी रोज पापा को कुर्सी के बारे में कहती और पापा रोज मीठी गोली दे देते.

फिर एक दिन मामा मुझे लेकर फर्नीचर की दूकान पर गए और मेरे लिए कुर्सी खरीदी , मै बहुत खुस हुआ , कुर्सी खुद ही लेकर घर आया , जब घर आया तो मेरे दोस्त नमन और तनु मेरी कुर्सी देखने आये , मेरी कुर्सी देखकर दोनों का मन ललचा , बैठने के लिए मेरी मिन्नतें करने लगे . पर मै अभी दिल का छोटा हूँ मैंने उन्हें बैठने नहीं दिया , मजबूरन उन्हें मेरी कुर्सी दूर से देखकर ही संतोष करना पडा , थोड़ी देर बाद तनु को कुर्सी पर बैठने दिया , पर बस एक पल के लिए फिर उतार दिया .फिर शाम को जब पापा घर आये , कुर्सी देखकर शर्मा गए.
मुझे अपनी कुर्सी से बहुत प्यार है , इस पर बैठकर बहुत आनंद आता है , बहुत खुस होता हूँ और इस के चलते दोस्तों में धाक भी जमती है , आप भी देखे मेरी जादुई कुर्सी है ना कमाल की !












Monday, April 5, 2010

जुगाड़ बिस्तर


आज कल जुगाड़ी बन गया हूँ और अपने लिए नए बिस्तर का जुगाड़ किया है ,
क्या देखेंगे आप ?
तो देखिये



सीसे का बना बिस्तर

आराम दायक भी है





पर सोने के लिए बिस्तर नहीं नींद की जरुरत होती है


देखा आपने , कैसा है ? सीसे का बना बिस्तर
टेबल का कितना सही उपयोग किया है, आपातकाल में जब घर में सोने की और कोई जगह ना हो तो टेबल का उपयोग तो कर ही सकता हूँ .

 
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