Tuesday, November 30, 2010

आरा यात्रा : छठ की झलकिया

आरा में इस साल हमारे घर में भी छठ हुआ था. बड़ी मम्मी और बुआ ने व्रत रखा था .खास बात ये रही कि हम किसी तालाब के पास नहीं गए बल्कि अपने घर के छत पर ही छोटा सा तालाब बना लिया . वही पर अर्घ्य दिया गया .











Monday, November 29, 2010

आज दिल्ली वापस


आज(29/11/2010) मै मम्मी और पापा २३५३ गरीब रथ से दिल्ली आ गए . 10 से 28 November तक मै अपने ददिहाल (आरा )और ननिहाल(बक्सर ) में रहा . बहुत अच्छा लगा अपनों के बीच में रहना .





Sunday, November 21, 2010

कल चोट लग गयी


कल छत पर ऋतू दीदी के साथ खेल रहा था . दौड़ते दौड़ते गिर पडा , फर्स पक्के का था सो नाक पर चोट लग गयी . तेज दर्द हुआ , रोने लगा ,पापा दौड़े हुवे छत पर आये ,मुझे चुप कराया . अगले दिन घाव का निशाँ मेरे नाक पर बन गया .

चोट का निशान नाक पर



चोट का निशान नाक पर

चोट का निशान नाक पर

Friday, November 19, 2010

आरा की स्पेसल मिठाई खुरमा

आज आरा की एक बहुत ख़ास और लजीज मिठाई से आपका परिचय करवाता हूँ . इस मिठाई का नाम है खुरमा . केवल छेना और चीनी से बनती है ये मिठाई . आरा के अलावा बिहार में भी कही और नहीं मिलती है . पर अगर दिल्ली में खाना है तो इन दिनों मिल सकती है . व्यापार मेले में बिहार पवेलियन में जाइए , इस मिठाई को वहा जरुर पायेंगे .





Thursday, November 18, 2010

नयी गाडी:दादाजी का तोहफा

कल दादाजी स्कुल जा रहे थे , जाते समय मैंने दादाजी को गाडी लाने के लिए कहा . शाम को दादाजी घर आये तो गाडी साथ में थी . गाडी देख कर मै बहुत खुश हुआ .वैसे तो दिल्ली में मेरे पास ऐसी गाडी थी. पर दादाजी की खरीदी ये गाडी मेरे लिए बहुत ख़ास है












Wednesday, November 17, 2010

एक नया हवाई जहाज

बड़े पापा मेरे और राघव भैया के लिए छठ के दिन दो हवाई जहाज खरीद लाये . हवाई जहाज पाकर मेरे खुशी का ठिकाना नहीं रहा. हम दोनों भाई अपना अपना जहाज लेकर रेस लगाते है , बड़ा मजा आता है . राघव भैया कहते है की वो बड़ा होकर पायलट बनेंगे







आरा में माधव का गैंग

कई दिन के बाद ब्लॉग पर आया हूँ , दरअसल आरा में घर में इंटरनेट की सुविधा नहीं है , इसलिए पोस्ट नहीं आ पा रही है .वैसे आरा में मै जम गया हूँ यहाँ आरा में मेरा बहुत बड़ा गैंग बन गया है , गैंग में शामिल है वर्षा दीदी , ऋतू दीदी , राघव भैया , अंजली दीदी और कई जिनके मै नाम नहीं जानता . इनके साथ बड़ा गैंग बन गया है . खूब मस्ती होती है. आप भी देख ले .














Thursday, November 11, 2010

आखिर में आरा आ ही गया

फिलहाल आरा में हूँ . दादाजी के पास . खूब मजा आ रहा है.









Tuesday, November 9, 2010

फिर दिल्ली टू आरा (Delhi to Ara)


ट्रेन टिकट का इन्तेजाम हो चुका है .अबकी बार मगध एक्सप्रेस में टिकट कटा है , आज आठ बजे ट्रेन है . सब ठीक ठीक रहा तो कल दोपहर तक दादाजी के पास आरा में रहूंगा .

Monday, November 8, 2010

गोलमाल -3


छ नवंबर को हम आरा नहीं जा पाए' स्टेसन से लौटकर वापस आना पड़ा . भारतीय रेल और ममता बनर्जी को कोसते कोसते छ नवंबर बीत गया .सात नवंबर को घर में सब कुछ शांत शांत सा था . दूध वाले ने दूध नहीं दिया , अखबार वाले ने अखबार नहीं दिया , कूड़े उठाने वाला भी कूड़ा उठाने नहीं आया . हमारा बैग जो पैक हो के स्टेसन गया था अभी तक पैक ही था . हमारा मन दिल्ली में था ही नहीं बल्कि आरा चला गया था बस शरीर हमारे साथ था .मम्मी बहुत गुस्से में थी और पापा पर हर बात पर भड़क रही थी .

शाम होते होते पापा में सोचा , दिल को बहलाने और मम्मी का मुड ठीक करने के लिए लिए कुछ किया जाए . फिर गोलमाल देखने का प्रोग्राम बना . मेरे जन्म के बाद पापा -मम्मी साथ में कभी सिनेमा हाल नहीं गए थे . वजह मै ही था ,क्या मै दो तीन घंटे सिनेमा हॉल में बैठ पाउँगा , इस बात के डर से मेरे जन्म से आज तक सिनेमा हाल नहीं गए . पर कल प्लान बन गया था . अडवांस में गोलमाल की टिकटे आई. 7.30 Pm का शो देखने मै मम्मी और पापा घर से बत्रा सिनेमा के लिए निकले .गोलमाल देखने के बाद मम्मी का मुड ठीक हो गया . सिनेमा सबको अच्छा लगा .

अब अपनी बात बताता हूँ . सिनेमा हाल में आकार सिनेमा देखना मेरा पहला अनुभव था . कुल मिलाकर गोलमाल -3 ,मेरी पहली फिल्म बन गयी .मेरा कोई टिकट नहीं लगा . मैंने सिल्वर स्क्रीन को बड़ा टी वी समझा . सिनेमा में मेरे नाम का एक कैरेक्टर ( माधव, अरशद वार्षी ) भी था , मूवी चलती रही ,पहले हाफ तक मै पापा की गोद में बैठा , दूसरे हाफ में मम्मी की गोद में चला गया. मैंने किसी को परेशान नहीं किया . हां एक बार सु सु लगी तो पापा बाथ रूम में ले जाकर करा लाये .सबसे अच्छी बात की भारतीय रेल द्वारा दिए गए गम को हम मूवी देखने के बाद भूल गए .

घर से रेलवे स्टेसन और फिर वापस( सफर नहीं SUFFER)

६ नवंबर की पोस्ट में मैंने लिखा था की हम सब दिल्ली से आरा जा रहे है . सब कुछ ठीक ठाक था सही समय पर हम नई दिल्ली स्टेसन के लिए निकले और प्लेटफोर्म नंबर सात पर ट्रेन का इंतेजार करने लगे . ट्रेन आई पर उसमे AC-II कोच लगा ही नहीं था . रेलवे की इस बदइंतजामी की वजह से हमें ट्रेन छोडनी पडी और घर वापस आना पड़ा . इससे जयादा बुरा कुछ नहीं हो सकता था . आरा जाने की खुशी काफूर हो गयी . भारतीय रेल की ऐसी बदइंतजामी हमने पहली बार देखी . अब टिकट दलालो के जरिये टिकट लेने का इन्तेजाम हो रहा है , शायद बात बन जाए तो फिर आरा जा पाए . पर भारतीय रेल वाह रे वाह ...........................

Sunday, November 7, 2010

दिवाली की कुछ तस्वीरें




रंगोली बनाया मैंने


भगवान जी


पटाखों के आवाज के डर से रोने लगा, और मम्मी के पास किचेन में चला गया


एक बम और फटा !


पापा के साथ

भैया - दूज की शुभकामनायें

Saturday, November 6, 2010

दिल्ली टू आरा (Delhi to Ara)

आज श्रमजीवी एक्सप्रेस(2392) से हम आरा जा रहे है ,दादा जी के पास. हम करीब आठ महीने बाद ( होली के बाद पहली बार ) आरा जा रहे है . आरा में दादा , दादी ( जो फिलहाल हरिद्वार में है ), बड़ी मम्मी , वर्षा दीदी , ऋतू दीदी , राघव भैया और कई लोगो से मिलने का मौका मिलेगा .कुछ दिन के लिए नाना -नानी के पास भी जाने का प्लान है .तो माधव ब्लॉग का आज से 21 नवंबर तक आरा से प्रसारण होगा . आरा की चटपटी खबरों और तस्वीरों के साथ मै और मेरे पापा आरा से माधव बलोग पर उपस्थित होगे .

पिछली बार जब मै आरा गया था , तब की कुछ तसवीरें वीडियो के रूप में .



Friday, November 5, 2010

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें



Wednesday, November 3, 2010

धनतेरस की शुभकामनायें



On Dhanteras...

सुबह का आगाज , अखबार के साथ

पापा अपनी सुबह की शुरुआत चाय की चुस्की और अखबार के साथ करते है . मै चाय नहीं पीता हूँ क्योकि ये गम ( मै गर्म को गम बोलता हूँ ) होता है . बहुत पहले एक बार चाय के कप में हाथ डाल दिया था , हाथ जल गया था , तभी से चाय के कप से हमेशा दूर रहता हूँ.
अब मै चाय नहीं पी सकता तो क्या हुआ ,पर अखबार के पन्ने तो पलट ही सकता हूँ . आज सुबह उठ कर अखबार उठाया और अखबार से सारे पन्ने एक एक कर पलट डाले, किसी पढ़ाकू की तरह !







Tuesday, November 2, 2010

सायकिल की प्रैकटिश चल रही है

बड़े पापा आये और सायकिल खरीदा . पर ये मुझे अभी चलानी नहीं आ रही है . बड़े पापा रोज सुबह शाम मुझे सायकिल चलाना सीखा रहे है . चक्कर ये है की पैर नीचे से सायकिल के पैडल को खींच नहीं पा रहा है . इसके चलते आधा आधा पैडिल ही घुमाता हूँ , धीरे धीरे ही सही पर सायकिल चल तो रही है .
एक बात और बड़े पापा ने मुझे सायकिल सीखाया तो मैंने भी गुरु दक्षिणा में उन्हें कंप्यूटर का यु पी एस बंद करना सिखाया .









Monday, November 1, 2010

मेरा हेलीकोप्टर


मेरा दोस्त नमन पिछले दिनों अपने नानी के घर गया था, जहा से वो हेलीकोप्टर लाया था . वैसे तो मेरे पास भी एरो प्लेन है पर उसका हेलीकोप्टर मुझे बहुत पसंद आया और मैंने मम्मी पापा से वैसा ही हेलीकोप्टर खरादने को कहा . अगले दिन मम्मी पापा मुझे लेकर बाज़ार गए और मेरे लिए हेलीकोप्टर खरीदा . आज कल वो हेलीकोप्टर मेरा सबसे अजीज खिलौना बना हुआ है . सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हेलीकोप्टर मेरे हाथ में ही होता है .
रात में मै उसे भी सुलाता हूँ अपने पास .






 
Copyright © माधव. All rights reserved.
Blogger template created by Templates Block Designed by Santhosh
Distribution by New Blogger Templates