Wednesday, September 30, 2009

जॉय ऑफ़ गिविंग वीक (27th september-3rd अक्टूबर)



जॉय ऑफ़ गिविंग वीक (27th september-3rd अक्टूबर) पर हर कोई कुछ ना कुछ कर रहा है , मै भी कुछ करना चाहता हूँ . पर मेरे पास देने के लिए क्या है ? हां याद आया एक चीज है , मै अपनी smile आपको दे सकता हु, तो ये रही मेरी मुस्कुराहट , उम्मीद है आप खुश हुए होंगे , मै भी खुश.

रामलीला और रावणवध

दशहरा के दिन पापा मम्मी के साथ रामलीला और रावणवध देखने गया था. मेरी कालोनी में इस साल रामलीला और रावणवध का आयोजन नहीं हुआ था तो पापा मुझे लेकर मुखर्जी नगर रामलीला ग्राउंड लेकर गए .तीन बड़े बड़े पुतले मैदान में लगाए गए थे . रामलीला देखने वालों की अच्छी खासी भीड़ थी और हम सबसे पीछे खड़े थे. पापा लंबे है , उन्हें तो दिक्कत नहीं हुए पर मम्मी को रामलीला दिखाई में परेशानी हुई . पापा ने मुझे कंधे पर बैठा लिया. पर मै कहाँ मानने वाला था, मै पापा- मम्मी की गोद में ही आता जाता रहा. रामलीला ख़त्म होने बाद आतिशबाजी शुरू हुई , शुरुआत के पटाखे की आवाज तो मै झेल गया पर थोडी देर बाद मेरी हिम्मत जबाब देने लगी और मै डरकर पापा की गोद से मम्मी की गोद ( दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह )में जाकर दुबक गया . पटाखों का शोर तीव्र से तीव्रतम होता गया और मै रोने लगा . पापा और मम्मी ने मेरे कान पर अपना हाथ रख दिया. जब भी पटाखे थोड़े पल के लिए बंद होता मै उत्सुकता वस अपना चेहरा मम्मी की गोद से बाहर निकालता और तभी फिर पटाखे बजने लगते .



बहरहाल आख़िरी में पटाखे बजने बंद हो गए और हम सब वापस घर को लौट चले . रास्ते में पापा हमें मेरठवाले की दूकान पर लेकर गए , वहां हमने जिलेबियां और कुल्फी खाई और वापस घर को लौट आए.
 
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