Thursday, September 30, 2010
मेरा स्पीड डांस
स्पीड डांस कभी देखा है आपने , मेरा स्पीड डांस देखे . डांस में मेरा साथ दिया है मेरे दोस्त नमन ने. where's the Party To-Night......................................
Wednesday, September 29, 2010
पढ़ाई , पढ़ाई और बस पढ़ाई
आज कल कापी, कलम , पुस्तकों से प्यार हो गया है . सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक पेन , पेन्सिल , बुक का पीछा नहीं छोड़ रहा हूँ . ये कल रात को सोने से पहले की तसवीरें है, पापा के कुछ कागजात थे , मैंने देखे और पढ़ना शुरू कर दिया .अब क्या पढ़ा , ये नहीं बताउंगा क्योकि अभी मुझे पढ़ना आता ही नहीं है. अब सोचिये , जब पढ़ने नहीं आता है तब ये हाल , जब पढ़ने आ जायेंगा तब क्या हाल होगा .
क्या देखी है आपने ऐसी लगन ?
Tuesday, September 28, 2010
नटखट माधव
माधव दिन पर दिन नटखट बनता जा रहा है . अब वो काम करना भी शुरू कर दिया है जिससे दूसरे परेशान हो और माधव को मजा आये . कल रात (27, सितम्बर,2010) को माधव ने बोतल से पानी मुह में लेकर फेकना शुरू कर दिया. इस काम से दूसरों को परेशानी हो रही थी और माधव को मजा आ रहा था और वो ठहाके लगा रहा था . वीडियो में आप ठहाके देख सकते है .
Monday, September 27, 2010
मुझे पढ़ाई करनी है
वैसे आज का ये विज्ञापन भी कमाल का है , A- Amsterdem B- Bangkok C-Cairo, D-Dubai................Z-Zurikh. ९९ डालर में कही भी घूम लो , कमाल की बात है !
thanx
Mrityunjay Kumar Rai
Sunday, September 26, 2010
जॉय ऑफ गिविंग वीक (Joy of giving week), 26 September-2 October,2010
आज से जॉय ऑफ गिविंग वीक (Joy of giving week), शुरू हो रहा है जो 26 September से 2 October,2010 तक चलेगा .सभी को मेरी शुभकामनाएँ की ये प्रोग्राम सफल हो और लोगो को इससे लाभ और जॉय पहुचे .
Happy Joy of Giving Week
सभी तक जॉय पहुचे यही मेरी कामना
Thursday, September 23, 2010
बारिस ,यमुना @ 207.05 मीटर , बाढ़ और लिट्टी चोखा का मजा
कल दिल्ली में खूब बारिस हुई , शाम में बारिस शुरू क्या हुई पूरी रात बारिस होती रही .इस साल तीसरी बार दिल्ली में फिर बाढ़ का ख़तरा पैदा हुआ है. रविवार से ही बारिस हो रही है . . पापा शाम सात बजे बारिस में भींगते हुवे ऑफिस से घर आये. बता रहे थे की रिंग रोड , माल रोड सभी जगह जाम लगा है .कल दिल्ली में यमुना पुरे उफान पर थी ,हथनीकुंड बाँध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है . २०७ मीटर का रिकॉर्ड १९८८ के बाद टूटा था .पापा कल ऑफिस के रास्ते जाते समय यमुना जी की कुछ तसवीरें लाये है लो आप भी दर्शन कर लो.
यमुना @207.05 metre, गणेश विसर्जन भी हो रहा है
यमुना @ 207.05metre
यमुना @ 207.05 Metre
यमुना@207.05 meter
पुरे दिन बारिस के कारण मै भी घर में नजरबंद हो गया था , सो पापा के आते ही बाहर आने की फरमाईश कर डाली , मैंने सैंडल भी पहन लिए , बाहर खूब तेज बारिस हो रही थी , पापा बहुत मुश्किल में पड़ गए , फिर किसी तरह मुझे मम्मी ने मनाया .
बारिस में पापा ने मम्मी से लिट्टी चोखा बनाने की बात कही . पापा ने दो महीने पहले ही वजीराबाद गांव से उपले लाकर रख दिया था. बाकी सारा सामान ( निम्बू , अदरक , धनिया , हरी मिर्च ) हम परसों ही लाये थे सो बारिस में भींगकर कुछ भी लाने की जरुरत नहीं थे , सब कुछ घर पे मौजूद था , बस बनाने की जज्बे की जरुरत थी और वो जज्बा मम्मी में था , बस क्या, मम्मी लिट्टी चोखा बनाने की तैयारी में गयी . चैम्पियनस लीग का मैच ( चेन्नई vs वोर्रीयर) 9 PM, शरू होते होते , लिट्टी -चोखा बन कर तैयार भी हो गया था . देसी घी में लगा कर आलू बैगन का भरता , चटनी और सलाद के साथ मम्मी ने मुझे और पापा को पेश किया , आप भी देख लो .
लिट्टी
आलू बैगन के भरते के साथ
लिट्टी खाने के बाद पापा के साथ एक सुन्दर पल
Wednesday, September 22, 2010
शिक्षा शुरू
मेरे विद्यारंभ संस्कार के साथ ही ओपचारिक रूप से मेरी शिक्षा की शुरूआत हो चुकी है . पापा मेरे लिए दो पुस्तकें खरीद लाये है , कलम घर पर था ही , बस एक टीचर की जरुरत थी वो मम्मी बन गयी है . मम्मी मुझे आजकल कलम पकडना सीखा रही है , कलम पकड़ कर कॉपी पर गोला बनाना सिखा रही है . मै बाए हाथ का ज्यादा प्रयोग कर रहा हूँ , पर मम्मी मुझे बार - बार दाए हाथ से लिखने को कहती है , आगे देखते है कौन हाथ काम आता है .
कलम से लिखने में , निशाँ बनाने के बहुत मन लग रहा है . कलम पाता हूँ तो कही भी लिखना शुरू कर देता हूँ, कापी , किताब , दीवाल , अपने शरीर , पापा के शरीर कही भी लिख देता हूँ , फिर जोर जोर से हंसता हूँ . पापा की कई किताबों पर लिख चुका हूँ , घर की रंगाई पुताई हुवे , अभी जयादा दिन नहीं हुवे है पर सब दीवारों पर माधव पेंटिंग नजर आ रही है . मम्मी फिर मेरे लिए कलर पेंसिल लाइ है जिससे मै रंगना और चित्रों में रंग डालना भी सीख रहा हूँ . मम्मी A ,B,C,D सीखा रही है , पर G से आगे बढ़ने का मन नहीं कर रहा है . फिर मम्मी चित्रों को recognise करवा रही है . अभी तक जिन चीजों को पहचान गया हूँ वो है , apple , ball , cat. doggy, elephant, fish , kite, Jug, Moon,rabbit.........
सिलसिला जारी है . रात को सोने से पहले एक बार पापा से भी पढता हूँ ( या यु कहे पापा को पढाता हूँ ).
पापा मम्मी मेरे लिए स्कूल की तलाश में लग गए है, देखते है आगे क्या होता है !
पढ़ने में कम लिखने में ज्यादा मजा आ रहा है
पढ़ने में कम लिखने में ज्यादा मजा आ रहा है
रंग भरना भी मम्मी सीखा रही है
.
माधव लिपि , पड़ सकते हो तो पढ़ लो !
पापा की एक किताब मिली , मैंने उस पर अपने हस्ताक्षर कर दिए
एक और हस्ताक्षर , और भी कई है
Monday, September 20, 2010
संडे , बारिस , पाँव भाजी और बारिस में पोलियो खुराक (19 September 2010)
इस साल दिल्ली पर मानसून कुछ ज्यादा ही मेहरबान है , सितम्बर महीने में आजतक २१० मी ली बारिस हो चुकी है तो इस दशक का रिकॉर्ड है . रविवार से मौसम फिर गीला हो चुका है . सुबह सुबह ही खूब बारिस हो रही है . कल सुबह नींद से जगा तो बारिस हो रही थी.नींद से उठते ही मैंने मम्मी से बनाना (केला) खाने के लिए माँगा , उस वक्त घर में सिर्फ एक केला पड़ा था जो मम्मी ने मुझे दिया.
कभी तेज बारिस, कभी फुहार, बारिस जारी थी . मम्मी ने मौसम का मिजाज देखकर पाँव भाजी बनाया , जिसे मैंने और पापा ने खूब छक कर खाया . पाँव भाजी खाने के बाद पापा मुझे बाइक पर बिठाकर पोलियो सेंटर पर गए , रास्ते में बारिस की फुहारें मुझे भिगाती रही. पोलियो दवा पीने के बाद पापा ने मेरे लिए केले खरीदे फिर हम वापस घर को आ गए . घर के दरवाजे पर बंदरों का एक दल खडा था , हमारे हाथ में केला देखते की सारे बन्दर हम पर झपट पड़े , पापा ने फुर्ती दिखाते हुवे घर में प्रवेश करते ही तुरंत दरवाजा बंद कर दिया . बेचारे बन्दर हाथ मलते रह गए , फिर पापा को बारिस में भीगते बंदरों पर दया आ गयी और उन्होंने कुछ केले बंदरों की तरफ फेंक दिए. हमें जानवरों के प्रति दवावान और संवेदनशील होना चाहिए . है ना !
Friday, September 17, 2010
लैप टॉप पर एक नजर
पापा के लैप टॉप मुझे बहुत आकर्षित करता है . मेरे उत्पात के चलते पापा ने घर का डेस्क टॉप खोलना बंद कर दिया है , अपने काम छोटे से लैप टॉप से ही कर लेते है वो भी मुझसे छिप छिपा कर . मेरी नजर लैप टॉप पर पडी नहीं की , मै अपना काम शुरू कर देता हूँ . सबसे पहले लैप टॉप पापा से छिन कर अपने कब्जे में करता हूँ , फिर अपनी इंजीनियरिंग दिखाता हूँ , लैप टॉप पर इधर उधर कुछ भी दबा देता हूँ , कुछ ना कुछ तो खुल ही जाता है . अब एक दिन डेस्क टॉप पर पडी एक वीडियो गेम के आइकोन पर क्लिक कर दिया , बस क्या था एक गेम खुल गया, काक चेष्टा वको ध्यानम लगाकर मै गेम को देखेने लगा . पापा हैरान परेशान आश्चर्या से मेरी और देखने लगे , फिर मम्मी को किचेन से बुला लाये और मम्मी से मेरी शिकायत लगाईं , मम्मी ने कहा माधव ठीक कर रहा है , घर में लैप टॉप खोलना मना है .
काक चेष्टा , वाको ध्यानं
वीडियो गेम का मजा
Tuesday, September 14, 2010
दिल्ली बाढ का मै भी गवाह बना (११/०९/२०१०)
पिछले शनिवार को दिल्ली में बाढ आई थी . यमुना खतरे के निशाँ से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही थी. शनिवार( 11 September,2010) को छुट्टी के चलते पापा घर पर ही थे . मुझे कफ की शिकायत थी , नाक से पानी आ रहा था , चिडचिडा सा हो गया था . दोपहर होते होते घूमने के लिए रोने लगा , तब पापा मुझे यमुना जी( चंदगी राम अखाड़े के पास ) के किनारे ले गए . यमुना में बाढ आयी हुई थी , जब मै यमुना तट पर पहुंचा, यमुना अपने अधिकतम लेवल पर थी ( 206.70 Metre), ये काँटा २०७ को छूने वाला ही थी .बाईस साल पहले यमुना इसी लेवल पर थी तब बाढ आया था . मैंने यमुनाजी में कुछ पत्थर -कंकण मारे और घर आ गया , पर मेरे जाने के कुछ देर बाद पानी कम होने लगा और शाम तक टी वी पर आने लगा की पानी कम होने लगा था .
हिन्दी है हम, हिन्दी दिवस पर सभी ब्लोगर्स को मेरी शुभकामनायें
कहते है बच्चा अपनी माँ की भाषा के सबसे करीब होता है और मै कोई अपवाद नहीं हूँ . अभी मै केवल हिन्दी ही समझता और बोलता हूँ .हिन्दी के जरिये ही पापा ब्लॉग के जरिये मेरी बाते आभासी दुनिया को बताते है . हिन्दी ब्लोगिंग के जरिये ही मेरा ब्लॉग ६० देसो में पढ़ा जाता है .हिन्दी के जरिये ही मै कई लोगो से जुड़ा हूँ. मै तो अभी केवल हिन्दी में ही बात करता हूँ, मुझे हिन्दी पर अभिमान है .
भाषाओं के उद्यान में हिन्दी ऐसा पुष्प है जो माधुर्य, सौंदर्य और सुगंध से भरपूर है। माधुर्य के कारण हिन्दी मिष्ट है। सौंदर्य के कारण हिन्दी शिष्ट है। सुगंध के कारण हिन्दी विशिष्ट है। माधुर्य, हिन्दी का शिवम् है। सौंदर्य, हिन्दी का सुंदरम् है। सुगंध, हिन्दी का सत्यम् है।
Monday, September 13, 2010
स्टूडियो प्रेम , कमला नगर , दिल्ली (28 August 2010)
मेरे मुंडन संस्कार से कुछ दिन पहले (28 August,2010 ) को हम स्टूडियो प्रेम , कमला नगर, गए . स्टूडियो प्रेम दिल्ली का एक नामी स्टूडियो है . वहाँ एक अंकल ने मेरे कई फोटोग्राफ लिए . खुले बालों में मेरा चेहरा भूले तो नहीं होंगे आप ? चलो , याद ताज़ा करा देता हूँ .
Friday, September 10, 2010
राघव भैया के साथ मस्ती
हरिद्वार में मुंडन कराने के बाद हम सब दिल्ली लौट आये . मै , मम्मी ,पापा , बुआ , बड़ी मम्मी दादी , राघव भैया और बुआ की छोटी नन्ही परी ( उम्र -दो महीने ). राघव भैया के साथ मेरी खूब पटी. पापा में हम दोनों को एक एक खिलौना खरीद दिया . हम दोनों उस से खूब खेले . राघव भैया के साथ दो तीन दिन का साथ बहुत अच्छा रहा .बुआ की नवजात पुत्री ( नन्ही परी ) को देखकर मेरे अंदर खूब उत्सुकता रही , उसको रोता देख मै तुरंत चुप कराने के लिए बुआ /मम्मी से कहता . यहाँ पर मै भैया के रोल में आ गया था . मै उसे बाबू बुलाता था . नन्ही परी और राघव भैया अब दिल्ली में मेरे साथ नहीं है पर उनकी बहुत याद आती है .
राघव और माधव
राघव और माधव
राघव और माधव
नन्ही परी
Wednesday, September 8, 2010
Tuesday, September 7, 2010
मुंडन संस्कार(चुड़ा कर्म )और विद्यारंभ संस्कार, 03/09/2010
वैसे तो ये पोस्ट मै कल बुधवार को लिखता , पर कल शाम को बक्सर से नाना नानी का फोन आ गया , उन्होंने मेरे मुंडन की तस्वीर जल्द से जल्द ब्लॉग पर डालने को कहा , सो पापा आज ही ये पोस्ट लिख रहे है . मै बता दु की मेरे नाना नानी कंप्यूटर जानते है, रोज मेरा ब्लॉग पढते है और फोन करके अपना कमेन्ट देते है .
०३ सितम्बर २०१० को मेरा मुंडन संस्कार होना था . पिछले दिन दिल्ली से हरिद्वार की यात्रा , फिर हरिद्वार भ्रमण से थकान हो गयी सो मै जल्द सो गया .रात में बारह बजे मेरी दादी , बुआ , बड़ी मम्मी , राघव भैया और बुआ की लड़की भी आरा से हरिद्वार पहुच गए . सुबह में पांच बजे मम्मी ने मुझे जगाया , शांति कुञ्ज में विद्यारंभ संस्कार ब्रह्म मुहूर्त में होता है . पाच बजे नहा धोकर, मम्मी ने मुझे नए कपडे पहनाए और हम सभी विद्यारंभ संस्कार के लिए यज्ञ शाला में गए . वहाँ पर वैदिक रीती रिवाज़ से मेरा विद्यारंभ संस्कार संपन्न हुआ , आखिर में मुझसे कलम से गायत्री मंत्र लिखवाया गया , मुझे लिखना कहा आता है , अभी सीधी लकीर भी नहीं खींच सकता , वो तो मम्मी ने मेरा हाथ पकड कर मुझसे गायत्री मन्त्र लिखवाया . मेरे साथ- साथ राघव भैया का भी विद्यारंभ संस्कार हुआ .
इसके बाद सुबह दस बजे मुंडन संस्कार होना था. हरिद्वार में तेज बारिस शुरू हो गयी. खैर, तेज बारिस के बीच ही मेरा मुंडन (चुड़ा कर्म ) संस्कार शुरू हुआ, पूजा पाठ हुआ, मेरे बाल में दही लगाया गया फिर नाई उस्तरा लेकर मेरी तरफ बढ़ा , मै डर के मारे चिल्लाने लगा , हाथ पैर मारने लगा , नाई पीछे हट गया , फिर मुझे मम्मी , बड़ी मम्मी , बुआ सबने मिलकर मुझे पकड़ा , तब जाकर मेरे बाल कटे , पर मै लगातार रोता रहा . रो रोकर मै थक गया .
मुंडन से ठीक पहले की तस्वीर
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