Monday, January 31, 2011

माल रोड से महरौली (दिल्ली मेट्रो से )

कल रविवार था . हम मेट्रो रेल से फूफाजी ( अनुष ) के घर गए थे . हम माल रोड के पास रहते है और फूफाजी मेहरौली में . जाने के लिए सीधी मेट्रो सेवा है . मै मेट्रो में कई दिनों से नहीं बैठा था , और मम्मी पापा से मेट्रो पर चलने की जिद कर रहा था . सो कल पूरी एक घंटे की मेट्रो की सवारी हुई . अनुष से मिलकर अच्छा लगा और खूब धूम धडाका हुआ .
















Friday, January 28, 2011

एट बेलो (Eight Below), एक होलीवुड मूवी जिसने माधव को रुला दिया !

कल रात मैंने Eight Below नाम की एक होलीवुड फिल्म देखी . माधव भी अपनी मम्मी के साथ ये मूवी देख रहा था . किसी सत्य घटना पर आधारित ,ये फिल्म आदमी और जानवर के बीच के भावनात्मक रिश्ते की कहानी है . फिल्म अंटार्कटिका के एक अन्वेषक (Explorer) की है जो वही विक्टोरिया नाम के कैम्प में अपने आठ स्लेज कुत्तों के साथ रहता है. कुत्तों के नाम है -माया , ट्रूमैन,स्नोर्टी,मैक्स , ओल्ड जैक , शैडो . फिल्म बिपरीत परिस्थितियों में इंसानी जज्बे की जीने की कहानी है .इस फिल्‍म की कहानी मन को छूनेवाली और कलाकारों का अभिनय शानदार है. फिल्म में हीरो खराब मौसम के चलते घायल होकर अंटार्कटिका से वापस लौट आता है पर उसके आठ कुत्ते वही छूट जाते है . नायक को घर पर अपने बेटो ( नायक फिल्म में कुत्तों को बेटा कह कर बुलाता है ) की इतनी याद आती है कि वह अकेले ही उन कुत्तों को वापस लाने के लिए निकल पड़ता है . उसका साथ उसके दोस्त देते है और आखिर में वो सभी अंटार्कटिका अपने कुत्तों के पास पहुच जाते है. फिल्म मानवता , संवेदना और भावुक लम्हों के साथ खत्म हो जाती है . फिल्म स्वामिभक्ति (Loyalty) और दोस्ती( Friendship) की एक मिशाल देती है .


फिल्म खत्म होती है , तब रात के बारह बज रहे होते है , मै कंप्यूटर बंद करता हूँ . कम्पूटर बंद होते ही माधव रोने लगता है . ये रुलाई सामान्य नहीं थी , माधव दिल से रो रहा था , शायद माधव फिल्म की कहानी समझ चुका था और भावुक होकर रो रहा था या फिल्म के कुत्ते माधव को पसंद आये थे ? मुझे ये चीज समझ नहीं आई , कि माधव फिल्म खत्म होने के बाद फुट -फुट कर रोने क्यों लगा ? तीन साल के बच्चे में इतनी भावनात्मक समझ हो सकती है क्या ? माधव इतना ज्यादा दुखी हो गया कि उसने कल रात मुझसे कहानी भी नहीं सूनी,बल्कि दूध भी नहीं पीया .

फिल्म का हैंग ओवर आज सुबह भी दिखा , जगते ही जनाब ने वही फिल्म देखने की इच्छा जताई और स्कुल जाने तक वही फिल्म देखता रहा .

फिल्म Eight Below से मुझे बाल मनोबिज्ञान का एक अलग ही पहलु देखने को मिला.




फिल्म के कुछ दृश्य जो दिल को छू गए



Thursday, January 27, 2011

आज डोरीमाँन दिखा

पिछले साल नवंबर २०१० में जब मै छठ त्यौहार के दौरान आरा गया था वहाँ वर्षा दीदी और ऋतू दीदी टी वी पर डोरीमाँन नाम का एक कार्टून प्रोग्राम बहुत चाव से देखती थी .मुझे अभी तक कार्टून वगैरह की समझ नहीं है पर चूकि मै उन्ही दोनों के साथ रहता था सो मै भी डोरीमन देख लेता था .

कुछ दिन बाद , मै तो फिर दिल्ली आ गया और डोरीमाँन को भूल गया .पर आज सुबह सुबह अखबार ( हिन्दुस्तान, रीमिक्स ) में डोरीमाँन की तस्वीर आई थी . डोरीमाँन की तस्वीर देखते ही मै डोरीमाँन को पहचान गया और डोरीमाँन-डोरीमाँन चिल्लाने लगा . मै पापा -मम्मी को भी डोरीमाँन की तस्वीर दिखाई और कहा "मेरा डोरीमाँन" .

अखबार में डोरीमाँन के बारे में जानकारी दी हुई है जैसे कि बीसवी शताब्दी का एक डोरीमाँन एक कैट रोबोट है , जो कि एक छोटे बच्चे नोबिता की मदद करता है , जिसका आई क्यू कमजोर है और वह बहुत लेजी बच्चा है .डोरीमाँन नोबिता के जीवन को ठीक करता है . नोबिता का जीवन बहुत ही दयनीय है . वह बहुत ही समस्याओं से तंग रहता है .

आप डोरीमाँन को देखना चाहते है तो रविवार .३० जनवरी को दोपहर एक बजे हंगामा टी वी पर डोरीमाँन देख सकते है .

वैसे मेरी स्कूलिंग सही चल रही है और स्कुल की सारी बातें मै फेस बुक( FACE BOOK) पर करता हूँ .



साभारः हिन्दुस्तान दैनिक और गूगल

Tuesday, January 25, 2011

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ






Monday, January 24, 2011

संडे इज फंडे ( Sunday is Fun Day )


इस संडे से पहले मेरे लिए सारे दिन एक जैसे थे . सोमवार से रविवार कोई फर्क नहीं पर पिछले हफ्ते से मेरी लाइफ में भी संडे की value आ गयी . स्कुल में admission होने से मेरी लाइफ में भी संडे आने लगा है . पिछले हफ्ते सोमवार से शुक्रवार तक स्कुल जाने से शरीर कुछ थक सा गया था . सो शनिवार और रविवार को सुबह देर से उठा . उठते ही बाहर पार्क में चला गया . वहाँ कुछ दोस्तों के साथ धुल -मिट्टी में खेला . पापा थोड़ी देर में मेरी खोज खबर लेने आये और मुझे लेकर घर गए . मम्मी ने धुप में तेल से मालिश की और नहा धोकर पोलियो ड्रॉप पीने गया .

स्कुल में एडमिसन होने के बाद ये मेरा पहला संडे था जिसको मैंने फंडे बनाया.











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Friday, January 21, 2011

गुड एफर्ट ( Good Efforts)

स्कुल के पहले दिन मैडम ने मुझे कलर दिया और कापी कलर करने को कहा , मैंने तुरंत कापी कलर करके मैम को दिखाया , मेरी कोशीश से मैम प्रभावित हुई और मुझे ये रिमार्क्स दिया , "Good Effort"







Wednesday, January 19, 2011

जन्म दिन की तसवीरें ( 16 जनवरी 2011)


मामा का गिफ्ट




नानी की गिफ्टेड ड्रेस
श्री राम मंदिर , औट्रम लाइन



हल्दीराम , पीतमपुरा


Tuesday, January 18, 2011

आज स्कुल का पहला दिन

१६ जनवरी २०१० को मै तीन साल का हो गया. १७ जनवरी को पापा ने मेरा एडमिसन डी ए वी नर्सरी स्कुल ,में करा दिया . कल ही मम्मी बाजार से मेरे लिए स्कुल बैग , लंच बॉक्स , पानी की बोतल आदि लाई . आज स्कुल में मेरा पहला दिन था. मम्मी ने सुबह जल्द उठा दिया .मै झटपट तैयार होकर बैग कंधे पर लटकाया, लंच बॉक्स ( बिस्कुट और मेरा फेवरिट नमकीन ) और पानी की बोतल गले में डाली और स्कुल जाने को तैयार . पापा -मम्मी मुझे ऐसे तैयार देखकर भावुक हो गए . चूजा पहली बार घोसले से बाहर उड़ान भरने जा रहा था .मै पहली बार उनके छत्रछाया से निकल कर दुनिया के बीच जा रहा था . मम्मी ,पापा और ईश्वर को प्रणाम कर मै मम्मी के साथ स्कुल पहुचा . मम्मी मुझे स्कुल छोड़ कर घर आ गयी. ११.१० मिनट पर स्कुल से मम्मी को फोन आया " माधव रो रहा है इसे ले जाओ ".

एक राज की बात , स्कुल में मैंने पैंट में ही शु शु कर दिया था , वहा की मैम ने फिर मेरी पैंट बदली .

स्कुल का पहला दिन कुछ यु ही मीठी यादों के बीच गुजर गया.




मेरी पहली पाठशाला

स्कुल की ओर पहला कदम

तमाम साजो सामान से लैस स्कुल की ओर

Monday, January 17, 2011

धन्यवाद'


कल मेरा जन्म दिन था . दिन भर शुभकामनाए मिलती रही . जिस किसी ने फ़ोन किया , सबने मुझसे बात करना चाहा . मैंने किसी से बात किया, किसी से नहीं, सब मुड पर निर्भर था . वैसे मकर संक्राती के दिन ही मेरा दोस्त नमन के चाचू का अकस्मात निधन हो गया . बहुत दुखद घटना थी , लक्की चाचू मुझे भी बहुत प्यार करते थे . भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.

इस घटना के बाद पापा -मम्मी मेरा जन्म दिन मनाने का प्रोग्राम रद्द कर दिया .वैसे सुबह में मैंने नानी का खरीदा हुआ कपड़ा पहना. मामा ने उपहार में एक बस दिया और पापा ने एक कार .
पापा -मम्मी , मामा और मै मंदिर गए , वहा भगवान को प्रसाद चढाया और आशीर्वाद लिया .

कल इन लोगो ने मुझे जन्म दिन की शुभ कामनाए दी:

दादू -आरा से
बुआ -
वर्षा दीदी
ऋतू दीदी
अनीमा मौसी

नाना -नानी बक्सर से

पिताजी ,बड़ी मम्मी और राघव भैया नवानगर से

गुंजा बुआ -दिल्ली से
निधी बुआ -बीरपुर(गाजीपुर ) से
निशु बुआ -रामनगर ( वाराणसी ) से
निकू चाचू -आदमपुर (पंजाब ) से

इन लोगो के अलावा दिल्ली में बहुत से लोगो ने मुझे शुभकामनाए दी . ब्लॉग धरातल पर भी कई साथियो ने मुझे wish किया.

सभी लोगो को मेरा आभार और धन्यवाद

Sunday, January 16, 2011

आज मेरा जन्म दिन है









Friday, January 14, 2011

मकर संक्रांति पर शुभकामनाएँ

Wednesday, January 12, 2011

दादी की गंगा सागर की धर्म यात्रा


मेरी दो दादीयाँ पिछले दिनों गंगा सागर की यात्रा पर निकली है. उनकी मंजिल मकर संक्रांती यानी १४ जनवरी को गंगा सागर पर दुबकी लगाने की है .गंगासागर पर उस दिन बहुत बड़ा मेला लगता है .यात्रा देवघर , गंगासागर , जगन्नाथपुरी, तिरुपती बालाजी , मद्रास . मदुरै , रामेश्वरम , कन्याकुमारी , नासिक ,उज्जैन , पुष्कर , मथुरा , चित्रकूट तक की है . मेरी दोनों दादी धर्म परायण है .मेरी इश्वर से प्रार्थना है कि ईश्वर उनकी इस धर्म यात्रा को सफल बनाएँ .





बड़ी दादी


छोटी दादी

Tuesday, January 11, 2011

मेड इन चाइना


कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी "चांदनी चौक टू चाइना". फिल्म में हीरो चांदनी चौक से चाइना जाता है . पता नहीं चांदनी चौक से चाइना कुछ जाता है या नहीं, पर चाइना से चांदनी चौक बहुत कुछ आता है . जहाँ तक बच्चों के खिलौनों का सवाल है , आप किसी भी दूकान में चले जाय सारे खिलोने पर मेड इन चाइना लिखा पायेंगे . इस चीज को देखकर कई सवाल मन में उठते है जैसे ,भारत में मेड इन इंडिया खिलौने क्यों नहीं मिल रहे है ? क्या खिलौने बनाने की कोई फैक्टरी हमारे देश में नहीं है ? दस रूपये से लेकर हजार रूपये तक के ये खिलोने चाइना से बन कर आ रहे है , क्या ये सारे खिलोने लीगल तरीके से इंडिया आते है ( मतलब सारे टैक्स और लेवी चुकाकर )या ये खिलौने तस्करी के जरिए भारत में आ रहे है ? जब हमारे देश में इतनी बेरोजगारी है तो सरकार इन खिलोनो पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाती है ? प्रतिबन्ध लगने से खिलोने हमारे देश में बनने लगेंगे जिससे रोजगार का सृजन होगा .वैश्वीकरण (Globalization) के दौर में पता नहीं मेरी ये सोच कितनी तार्किक और व्यवहारिक है , खुद मुझे पता नहीं !




ये सारे सवाल मेरे मन में तब आये जब मेरे बेटे(माधव) का एक दोस्त नमन कल मेरे घर आया था . उसने माधव का एक खिलोना लिया और पीछे लिखे हुए लाइन को पढ़ा "मेड इन चाइना " . ये बाते माधव ने सूनी और कल से ही" मेड इन चाइना"- "मेड इन चाइना" का रट्टा मार रहा है .माधव के पास लगभग सभी खिलोने "मेड इन चाइना " ही है , क्या करे "मेड इन इंडिया " टैग की बाजार में कुछ मिलता ही नहीं . हां एक लकड़ी की गाड़ी है जो उसके मामा शिमला से लाये थे वो मेड इन इंडिया है .कुछ और खिलोने है जो "मेड इन इंडिया" है पर वो अल्पसंख्यक की सूची है . बहुसंख्यक तो "मेड इन चाइना" ही है .

खैर माधव को इस बात से क्या मतलब ! उसे तो अपने सारे खिलोनो से बहुत प्यार है खासकर अपनी खिलोना कारों से .इन खिलोना कारों से माधव कितना प्यार करता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि माधव हर रात अपने किसी ना किसी खिलौना कार को लेकर ही सोता है और सुबह जगते ही उसी के बारे में पूछता है .

आज भी सुबह माधव जगते ही हाथ में खिलोना कार ली और बोला, "मेड इन चाइना ".


Made in India


Made In China

Monday, January 10, 2011

पापा ...पापा... होल्ड हेक्दानाल्ड (Old Mcdolad) सुनना है !

हमारा टी वी कुछ दिनों से खराब पड़ा है . सैमसंग कंपनी में शिकायत डाली हुई है पर अभी तक कुछ खास कारवाई नहीं हुई है . टी वी खराब होने के चलते , कम्पूटर का जयादा स्तेमाल हो रहा है . मै कम्पूटर को क्मुट बोलता हूँ . अब दिन में old mcdolad song सुनता हूँ .

पापा घर पर होते है तो उनसे बोलता हूँ ,पापा ...पापा... होल्ड हेक्दानाल्ड (Old Mcdolad) सुनना है . पापा मेरी भाषा समझ नहीं पाते है, परेशान हो जाते है , फिर मम्मी मेरी बात का सही मतलब पापा को बताती है.
इस पोएम में बहुत सारे जानवर है जिन्हें देखकर मै बहुत खुश होता हूँ .

आप भी सुने , मजा आएगा .


Thursday, January 6, 2011

सर्द दिल्ली


आज कल दिल्ली जबरदस्त ठण्ड पड़ रही है .मम्मी पापा हमेशा मुझे स्वेटर से ढक कर रख रहे है .थर्मल , स्वेटर , मोजा , दस्ताने , टोपी ......








Wednesday, January 5, 2011

नाना -नानी


परसों नाना - नानी दिल्ली से बक्सर चले गए . ट्रेन तक छोड़ने मै भी गया था . "मै भी बक्सर जाउंगा" ये जुमला मै दस दिन से बोल रहा था . नानी ट्रेन में बैठी तो मुझे एक खिलौना दे कर फुसला दिया और मै बक्सर नहीं जा पाया . पर अब भी मै यही कह रहा हूँ "मै भी बक्सर जाउंगा". नाना -नानी दस बारह दिन हमारे साथ रहे . हमने खूब एन्जॉय किया . नाना अपनी आखोँ से मुझे डराते थे , फिर मै सॉरी बोल देता था .


नाना -नानी बक्सर चले गए , मुझे छोड़कर . फिर भी मै रोज बक्सर जाने की बात करता हूँ . नाना नानी की रोज याद आती है .















 
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