Thursday, November 26, 2009

आखिर क्यों

आज से करीब एक साल पहले हिन्दुस्तान के पश्चिमी तट पर बसे एक होटल से आग के गुब्बार और धुए उड़ते देखे गए थे . उन्ही गुब्बार से इस मासूम को ऐसा दर्द मिला जिसने इसको रोने के लिए छोड़ दिया. एक ऐसी आंधी आयी जो इस मासूम को रोने और बिलखने की लिए छोड़ गयी . 26/11/2009 की त्रासदी में इस बेजुबान से उसके माँ बाप को छीन लिया और बना दिया अनाथ , किसी दुसरे की दया का पात्र बनने के लिए . ये तस्वीर १ दिसंबर 2008 की ली हुई है . ये दो वर्षीय मोसे होत्ज्बर्ग की, जिसके रब्बी पिता और माँ नरीमन हाउस में मारे गए , बिना किसी गलती के यु ही.

हादसे के चार दिन बाद सोमवार को मुंबई के एक सिनेगाग में मेमोरिअल सर्विस के दौरान इस यतीम के विलाप से खामोशी टूट गए और कई लोगों की आखे नम हो गई.

मेरा क्या कसूर

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