Sunday, November 15, 2009

बाल दिवस

कल बाल दिवस था , हमारा दिन . शनिवार होने के चलते कल पापा घर पर ही थे . मैंने अपना दिन रोजमर्रे की दिनचर्या के साथ शुरू किया . फिर तनु और नमन आये, उनके साथ मैंने खूब धमा चौकडी मचाई उनके साथ खूब खेला , ग्यारह बजते-बजते वो चले गए पर मेरा दिल है की मानता नहीं . मेरा मन घर से उब गया और मैंने पापा से बाहर जाने की जिद शुरू की , मांग पुरी होते ना देखते मैंने रोना शुरू कर दिया , आखिर में पापा मुझे लेकर सामने वाले पार्क में गए . मै वहा एक घंटे खेला जब पापा वापस लाये तो फिर रोना शुरू किया . पापा फिर मुझे लेकर पार्क में गए फिर मैंने वहां आधे घंटे विताये और तब पापा मुझे लेकर आये . घर आने पर मै फिर भी शांत नहीं बैठा और मेरी शैतानियाँ जारी रही. आखिर में दिन भर पापा मम्मी के नाक में दम करने बाद मै शाम को चार बजे जाकर सोया. नींद आठ बजे रात में खुली , मम्मी ने पापा से कहा इसे किसी की नजर लग गयी है इसे लेकर मंदिर में चलते है झाडा लगवाने . फिर मम्मी , पापा मुझे लेकर पास के मंदिर में गए , वहा पुजारीजी ने मुझपर मंत्र का जाप किया . फिर हम घर को वापस आ गए . देखते है पुजारी जी के मंत्र का सर मुझ पर होता है या नहीं ?




घर का ये हाल मैंने किया है


पार्क में भी मैंने पापा को तंग किया

1 comments:

Anonymous said...

बाल दिवस पर खूब मज़े किये आपने !!

 
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