Wednesday, September 29, 2010

पढ़ाई , पढ़ाई और बस पढ़ाई

आज कल कापी, कलम , पुस्तकों से प्यार हो गया है . सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक पेन , पेन्सिल , बुक का पीछा नहीं छोड़ रहा हूँ . ये कल रात को सोने से पहले की तसवीरें है, पापा के कुछ कागजात थे , मैंने देखे और पढ़ना शुरू कर दिया .अब क्या पढ़ा , ये नहीं बताउंगा क्योकि अभी मुझे पढ़ना आता ही नहीं है. अब सोचिये , जब पढ़ने नहीं आता है तब ये हाल , जब पढ़ने आ जायेंगा तब क्या हाल होगा .

क्या देखी है आपने ऐसी लगन ?







9 comments:

डॉ टी एस दराल said...

अरे वाह , अभी से इतनी मेहनत ! लेकिन अभी कंप्यूटर से दूर रहना बेटा ।

संजय भास्‍कर said...

अरे वाह .........

संजय भास्‍कर said...

जब पढ़ने आ जायेंगा तब क्या हाल होगा .
gajab dhaoge..

समयचक्र said...

पढोगे लिखोगे तो बन जाओगे नबाब ... बहुत अच्छा लगा...

राज भाटिय़ा said...

मान गये भाई बहुत लगन से पढ रहा है हमारा प्यारा माधव, लगे रहो. राम राम

Shubham Jain said...

अरे वाह माधव अभी से इतनी पढाई...
बहुत अच्छे खूब पढो...


माधव को यहाँ भी देखिये :
मिलिए ब्लॉग सितारों से

रंजन said...

सही जा रहा है बिडू!!

प्यार..

Yashwant R. B. Mathur said...

Very Good consentration!

jai said...

relly heart toching

 
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