मेरे विद्यारंभ संस्कार के साथ ही ओपचारिक रूप से मेरी शिक्षा की शुरूआत हो चुकी है . पापा मेरे लिए दो पुस्तकें खरीद लाये है , कलम घर पर था ही , बस एक टीचर की जरुरत थी वो मम्मी बन गयी है . मम्मी मुझे आजकल कलम पकडना सीखा रही है , कलम पकड़ कर कॉपी पर गोला बनाना सिखा रही है . मै बाए हाथ का ज्यादा प्रयोग कर रहा हूँ , पर मम्मी मुझे बार - बार दाए हाथ से लिखने को कहती है , आगे देखते है कौन हाथ काम आता है .
कलम से लिखने में , निशाँ बनाने के बहुत मन लग रहा है . कलम पाता हूँ तो कही भी लिखना शुरू कर देता हूँ, कापी , किताब , दीवाल , अपने शरीर , पापा के शरीर कही भी लिख देता हूँ , फिर जोर जोर से हंसता हूँ . पापा की कई किताबों पर लिख चुका हूँ , घर की रंगाई पुताई हुवे , अभी जयादा दिन नहीं हुवे है पर सब दीवारों पर माधव पेंटिंग नजर आ रही है . मम्मी फिर मेरे लिए कलर पेंसिल लाइ है जिससे मै रंगना और चित्रों में रंग डालना भी सीख रहा हूँ . मम्मी A ,B,C,D सीखा रही है , पर G से आगे बढ़ने का मन नहीं कर रहा है . फिर मम्मी चित्रों को recognise करवा रही है . अभी तक जिन चीजों को पहचान गया हूँ वो है , apple , ball , cat. doggy, elephant, fish , kite, Jug, Moon,rabbit.........
सिलसिला जारी है . रात को सोने से पहले एक बार पापा से भी पढता हूँ ( या यु कहे पापा को पढाता हूँ ).
पापा मम्मी मेरे लिए स्कूल की तलाश में लग गए है, देखते है आगे क्या होता है !
पढ़ने में कम लिखने में ज्यादा मजा आ रहा है
पढ़ने में कम लिखने में ज्यादा मजा आ रहा है
रंग भरना भी मम्मी सीखा रही है
.
माधव लिपि , पड़ सकते हो तो पढ़ लो !
पापा की एक किताब मिली , मैंने उस पर अपने हस्ताक्षर कर दिए
एक और हस्ताक्षर , और भी कई है
12 comments:
एक चोटी की कमी है... बाकि पूरा गुरुकुल के लग रहे हो
प्यार.
hastakshar bahut cute hain. lage raho munna bhai ...
चल अब जल्दी से पढना सीख ले, वेसे एक नकली चोटी रख ही ले... या मम्मी की चुटिया रात को काट कर अपने सर पर लगा ले:) बन गया तेरा काम
चलो तुम भी आगये हमारे साथ ....
बहुत अच्छी है तुम्हारी पेंटिंग ..... अपने चित्रोंके फोटो देते रहना ....
अभी मम्मी से ही पढ़ो उनसे बेहतर और कोई नहीं पढ़ा पायेगा .....
इस शुभ काम की शुरूआत के लिए बहुत-बहुत बधाई!
अब तो खेलने के साथ-साथ पढ़ना भी होगा!
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आपकी पोस्ट की चर्चा तो यहाँ भी है!
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http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/18.html
मेरे साथ तो बिलकुल उल्टा है भाई ....लिखने में एक जगह बैठना जो पड़ता है इसलिए मैं घूम घूम कर उछल कूद करती हुई पढाई करा लेती हूँ :D
तुम तो बहुत मेहनती निकले ....लगे रहो , शुभकामनाए !
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
मयंक अंकल
वैसे किसी काम को शुरू करने से पहले बडों का आशीर्वाद लेना जरूरी होता है , तो आप के आशीर्वाद का इच्छुक हूँ , जैसे आपके पीछे माता सरस्वती बसती है वैसे ही मुझे भी आशीर्वाद दे की मेरे ऊपर भी माँ सरस्वती का आशीर्वाद बना रहे
@ रावेंद्रकुमार रवि
thanx
ये तस्वीरें समय के साथ मूल्यवान होती जाएंगी।
......लगे रहो , शुभकामनाए !
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पार आना हुआ
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